इतवार (Sunday)
वरदान मांगूंगा नहीं
शिवमंगल सिंह 'सुमन'
दूर-दूर तक हो गया उसका ही आकाश...❤️❤️
A blog with multi colour from natural remedies to interesting and amazing things of world. Short stories to educate and entertain. The feel of nature with home remedies for different ailments . Also the twist of comedy and brilliance of Birbal. All in one place. Miles to go more to come...stay connected..India❤️
शिवमंगल सिंह 'सुमन'
एक बार चुल्लबोधि नामक एक शिक्षित व कुलीन व्यक्ति ने सांसारिकता का त्याग कर सन्यास मार्ग का वरण किया। उसकी पत्नी भी उसके साथ सन्यासिनी बन उसकी अनुगामिनी बनी रही। अतः दोनों ही एकांत प्रदेश में प्रसन्नता पूर्वक सन्यास साधना में लीन हो जीवन यापन करने लगे।
एक बार वसंत ऋतु में दोनों एक घने जंगल में विहार कर रहे थे। चुल्लबोधि अपने फटे कपड़ों को सील रहा था। उसकी पत्नी वही एक वृक्ष के नीचे ध्यानस्थ थी। तभी उस वन में शिकार खेलता हुआ एक राजा प्रकट हुआ। चिथड़ो में लिपटी एक अद्वितीय सुंदरी को ध्यान मग्न देखकर उसके मन में कुभाव उत्पन्न हुआ। किंतु सन्यासी की उपस्थिति देख वह ठिठका तथा पास आकर उसने उस सन्यासी की शक्ति परीक्षण हेतु यह पूछा कि - "क्या होगा यदि कोई नृशंस पशु तुम लोगों पर आक्रमण कर दे?" चुल्लबोधि ने तब सौम्यता से सिर्फ इतना कहा "मैं उसे मुक्त नहीं होने दूंगा।"
राजा को ऐसा प्रतीत हुआ कि वह सन्यासी कोई तेजस्वी या सिद्ध पुरुष नहीं था। अतः राजा ने अपने आदमियों को चुल्लबोधि की पत्नी को रथ पर बिठाने का संकेत दिया। राजा के आदमियों ने तत्काल राजा की आज्ञा का पालन करते हुए चुल्लबोधि की पत्नी को रथ पर बिठा दिया। चुल्लबोधि के शांत भाव में तब भी कोई परिवर्तन नहीं आया।
जब राजा का रथ सन्यासिनी को लेकर प्रस्थान करने को तैयार हुआ तो राजा ने अचानक चुल्लबोधि से उसके कथन का आशय पूछा। वह जानना चाहता था कि चुल्लबोधि ने किस संदर्भ में "उसे मुक्त नहीं होने दूंगा" कहा था। चुल्लबोधि ने तब राजा को बताया कि उसका वाक्य क्रोध के संदर्भ में था, क्योंकि क्रोध ही मानव का सबसे बड़ा शत्रु होता है। क्योंकि -
"करता हो जो क्रोध को शांत
जीत लेता है वह शत्रु को
करता हो जो मुक्त क्रोध को
जल जाता है वह स्वयं ही
उसकी आग में।"
राजा चुल्लबोधि की सन्यास साधना की पराकाष्ठा से अत्यंत प्रभावित हुआ। उसने उसकी पत्नी को आदर सम्मान के साथ वही रथ से उतारा और पुनः अपने मार्ग को प्रस्थान कर गया।
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Once an educated and aristocratic man named Chullabodhi renounced the worldly path and renounced the renunciation path. His wife also remained a sanyasini with him and remained his follower. Therefore, both of them began to live happily in solitude and became engaged in ascetic practice.
Once in the spring, the two were traveling in a dense forest. Chullabodhi was sealing his torn clothes. He was his wife meditating under a tree. Then a king appeared hunting in that forest. Seeing a unique beauty draped in rag, meditated in her mind, she developed a sense of mind. But seeing the presence of the monk, he was stunned and came near and asked him to test the strength of the monk, that "What if a dastardly animal attacks you?" Chulbodhi then softly said "I will not let him be free."
The king felt that the monk was not a brilliant or perfect man. So the king indicated to his men to place Chullabodhi's wife on the chariot. The king's men immediately obeyed the king's order and placed Chullabodhi's wife on the chariot. There was no change even in the quiet sense of Chullabodhi.
When the king's chariot was ready to depart with Sanyasini, the king suddenly asked Chullabodhi the intention of his statement. He wanted to know in what context Chullabodhi said "he will not let him be free". Chullabodhi then told the king that his sentence was in reference to anger, because anger is the greatest enemy of man. Because -
"Who Calm the Anger
He wins the enemy
Who does free anger
It burns itself
In his fire. "
King Chullabodhi was extremely impressed with the culmination of his sannyasha sadhana. He alighted his wife with the same chariot with respect and departed her path again.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 24 फरवरी 2021 ( बुधवार) को गुजरात के अहमदाबाद में विश्व के सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम (मोटेरा स्टेडियम ~ नरेंद्र मोदी स्टेडियम ~ सरदार पटेल स्टेडियम) का उद्घाटन किया। उद्घाटन में मोटेरा स्टेडियम का नाम बदलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर रखा गया। इसे अब तक सरदार पटेल या मोटेरा स्टेडियम के नाम से जाना जाता था। अहमदाबाद के मोटेरा इलाके में स्थित सरदार पटेल क्रिकेट स्टेडियम अब दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट ग्राउंड हो गया है। (मोटेरा स्टेडियम ~ नरेंद्र मोदी स्टेडियम ~ सरदार पटेल स्टेडियम)
इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री और गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित शाह, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत,खेल मंत्री किरण रिजिजू और बीसीसीआई सचिव जय शाह मौजूद रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि-"आज भारत के खेल जगत का स्वर्णिम दिन है। आज भारत के राष्ट्रपति जी के कर -कमलों से लौह पुरुष भारत रत्न सरदार पटेल जी के नाम से जोड़कर एक बड़े स्पोर्ट्स एनक्लेव का भूमि पूजन हुआ है"। उन्होंने कहा कि "सरदार पटेल स्पोर्ट्स एनक्लेव में विश्व की सभी खेलों की व्यवस्था होगी। देश और दुनिया के सभी खेलों के सभी खिलाड़ियों की ट्रेनिंग और रहने की सुविधा भी होगी"। अमित शाह जी ने कहा कि "यहां 3000 बच्चों के एक साथ खेलने और रहने की व्यवस्था होगी"। उन्होंने बताया कि "सरदार पटेल स्पोर्ट्स एनक्लेव, नरेंद्र मोदी स्टेडियम और नारायणपुरा में बनने वाले स्पोर्ट्स कंपलेक्स यह तीनों मिलाकर किसी भी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने वाले सभी खेलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने की पूरी व्यवस्था एक ही शहर में एक ही स्थान पर होगी, और अहमदाबाद को अब एक स्पोर्ट्स सिटी के नाम से जाना जाएगा"। अमित शाह जी ने कहा कि "सरदार पटेल स्पोर्ट्स एनक्लेव का भी भूमि पूजन आज किया है। हमारे देश को जरूरत है कि हमारे देश के युवा अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में दिखाई दे और मेडल जीते।मोदी जी ने इस स्पोर्ट्स एनक्लेव को बनाकर इस क्षेत्र को बहुत बड़ा उपहार दिया है"।
* अहमदाबाद के साबरमती तट के निकट स्थिति यह स्टेडियम आधुनिक खेल सुविधाओं से सुसज्जित है और यहां एक साथ 1.32 लाख लोग बैठकर मैच देख सकते हैं।
* यह स्टेडियम 63 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। स्टेडियम में चार ड्रेसिंग रूम और तीन प्रैक्टिस ग्राउंड है।
* क्रिकेट मैदान के साथ यहां पर 236 एकड़ में फैले इस मोटेरा स्टेडियम में एथलेटिक्स ट्रेक एंड फील्ड, फुटबॉल स्टेडियम, हॉकी तथा टेनिस का मैदान, वेलड्रम, स्केटिंग, वॉलीबॉल, बोटिंग सेंटर आदि भी बनाए गए हैं।
* यहां इनडोर और आउटडोर दोनों प्रैक्टिस की सुविधा है।
* यहां का ड्रेनेज सिस्टम इतना अत्याधुनिक है कि बारिश बंद होने के आधे घंटे बाद ही मैच शुरू हो सकता है।
* देश का पहला ऐसा है स्टेडियम है जहां पर एक खास तरह की एलईडी फ्लड लाइट लगाई गई है।
* पुर्ननिर्मित इस स्टेडियम में करीब 800 करोड़ रुपए की लागत लगी है।
* बताया जाता है कि यह ओलंपिक आकार के 32 फुटबॉल स्टेडियमों के बराबर है।
मोटेरा स्टेडियम का इतिहास काफी रोचक रहा है। इस मैदान पर भारत के महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने टेस्ट में 10000 रन पूरे किए थे। इसके अलावा मोटेरा की पिच पर 1987, 1996 और 2011 के आईसीसी वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप के मैचों का आयोजन किया जा चुका है।
इस ऐतिहासिक मैदान पर भारत की टीम अपने टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का डे-नाइट टेस्ट मैच खेलने 24 फरवरी 2021को उतरी है। वहीं भारत में यह दूसरा डे-नाइट टेस्ट मैच खेला जा रहा है। इसी ग्राउंड पर 24 फरवरी 2020 को नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम का आयोजन भी हुआ था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का स्वागत किया था।
English Translate
President Ram Nath Kovind inaugurated the world's largest cricket stadium in Ahmedabad, Gujarat on 24 February 2021 (Wednesday). At the inauguration, the Motera Stadium was renamed after Prime Minister Narendra Modi. It was till now known as Sardar Patel or Motera Stadium. The Sardar Patel Cricket Stadium, located in Motera area of Ahmedabad, has now become the largest cricket ground in the world.
Union Home Minister and President of Gujarat Cricket Association Amit Shah, Gujarat Governor Acharya Devvrat, Sports Minister Kiran Rijiju and BCCI Secretary Jay Shah were present on the occasion.
Addressing the program, Amit Shah said that- "Today is the golden day of India's sports world. Today the land worship of a big sports enclave by the name of President of India, Iron Man Bharat Ratna Sardar Patel ji. Has happened". He said that "Sardar Patel Sports Enclave will have the facilities for all the sports of the world. All the players of all sports in the country and the world will also have training and accommodation". Amit Shah said that "there will be a system for 3000 children to play and live together". He explained that "The sports complex built at Sardar Patel Sports Enclave, Narendra Modi Stadium and Narayanpura together will be a complete arrangement to play all the games in any international event at the international level in one place, and Ahmedabad will now be known as a sports city ”. Amit Shah ji said that "Sardar Patel Sports Enclave is also performed bhoomi pujan today. Our country needs that the youth of our country can appear in international competitions and win medals. Modiji has made this field very much by making this sports enclave. Has given a big gift ".
* Situated near the Sabarmati coast of Ahmedabad, this stadium is equipped with modern sports facilities and here 1.32 lakh people can sit and watch matches together.
* This stadium is spread over an area of 63 acres. The stadium has four dressing rooms and three practice grounds.
* Along with the cricket ground, the Mottera Stadium spread over 236 acres here has an athletics track and field, football stadium, hockey and tennis ground, welldrum, skating, volleyball, boating center etc.
* It has both indoor and outdoor practice facilities.
* The drainage system here is so state-of-the-art that the match can start only half an hour after the rain stops.
* The first such stadium in the country is where a special type of LED Flood Light has been installed.
* The reconstructed stadium has cost around Rs 800 crore.
* It is said that this is equivalent to 32 football stadiums of Olympic size.
The history of Motera Stadium has been quite interesting. On this ground, India's great cricketer Sunil Gavaskar had completed 10,000 runs in Tests. Apart from this, matches of 1987, 1996 and 2011 ICC ODI Cricket World Cup have been organized on Motera's pitch.
On this historic ground, India's team landed on 24 February 2021 to play a day-night Test match of their Test cricket history. This is the second day-night Test match being played in India. The Namaste Trump program was also organized on this ground on 24 February 2020, in which Prime Minister Narendra Modi welcomed the then US President Donald Trump.
Motera Stadium Capacity नरेंद्र मोदी स्टेडियम Motera Stadium New Look
सरदार पटेल स्टेडियम Motera Stadium Dimensions मोटेरा स्टेडियम
World Biggest Cricket Stadium विश्व का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम
Motera Cricket Stadium मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम World Biggest Stadium
उल्लू एक ऐसा पक्षी है जो दिखने में डरावना दिखता है और साथ ही या पक्षी एक खतरनाक पक्षी भी है। उल्लू को अधिकतर लोग बेवकूफ समझते हैं। लेकिन उल्लू एक चालाक पक्षी है। वैसे तो माना जाता है कि उल्लू को केवल रात में ही दिखाई देता है, लेकिन यह बात पूरी तरीके से सही नहीं है क्योंकि उल्लू को दिन में भी दिखाई देता है लेकिन रात में इनकी आंखे दिन की अपेक्षा कई गुना ज्यादा संवेदनशील हो जाती हैं जिसकी वजह से रात को इनको ज्यादा दिखाई देता है। यह तो सभी जानते हैं कि उल्लू दिन में नहीं बल्कि रात में जागते हैं।
An owl is a bird that looks creepy in appearance and is also a dangerous bird. Owls are considered stupid by most people. But the owl is a clever bird. Although it is believed that the owl is seen only at night, but this is not entirely correct because owls are also seen during the day but at night their eyes become many times more sensitive than in the day. Because of this they are more visible at night. It is known by all that owls do not wake up during the day but at night. Let's know some interesting facts about owls-
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर (Ujjain Mahakaleshwar Temple) भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर (Ujjain Mahakaleshwar Temple) मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। स्वयंभू (स्वयं से पैदा हुआ) भव्य और दक्षिणमुखी (एक अनूठी विशेषता) होने के कारण महाकालेश्वर महादेव का अत्यंत पुण्यदायी महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है। उज्जैन भारतीय समय की गणना के लिए केंद्रीय बिंदु हुआ करता था, और महाकाल को उज्जैन का विशिष्ट पीठासीन देवता माना जाता था। 1235 में इल्तुतमिश के द्वारा उज्जैन के महाकालेश्वर प्राचीन मंदिर (Ujjain Mahakaleshwar Temple) का विध्वंस किए जाने के बाद से यहां जो भी शासक रहे, उन्होंने इस मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया, इसलिए मंदिर अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त कर सका है।
इतिहास से पता चलता है कि उज्जैन में सन् 1107 से 1728 ईसवी तक यवनों का शासन रहा। इन के शासनकाल में लगभग 4500 वर्षों में स्थापित हिंदुओं की प्राचीन धार्मिक परंपराएं प्राय: नष्ट हो चुकीं थीं। लेकिन 1690 ईस्वी में मराठों ने मालवा क्षेत्र में आक्रमण कर दिया और 29 नवंबर 1728 को मराठा शासकों ने मालवा क्षेत्र में अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। इसके बाद उज्जैन का खोया हुआ गौरव पुनः लौटा और सन 1731 से 1809 तक यह नगरी मालवा की राजधानी बनी रही। मराठों के शासनकाल में यहां दो बड़ी घटनाएं घटीं-पहला महाकालेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण और ज्योतिर्लिंग की पुर्न:प्रतिष्ठा और दूसरा सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। आगे चलकर राजा भोज ने इस मंदिर का विस्तार कराया।
मंदिर एक परकोटे के भीतर स्थित है। गर्भगृह तक पहुंचने के लिए एक सीढ़ीदार रास्ता है, इसके ठीक उपर एक दूसरा कक्ष है, जिसमें ओमकारेश्वर शिवलिंग स्थापित है। मंदिर का क्षेत्रफल 10.77 x 10.77 वर्ग मीटर और ऊंचाई 28.71 मीटर है। महाशिवरात्रि एवं श्रवण मास में हर सोमवार को इस मंदिर में अपार भीड़ होती है। मंदिर से लगा एक छोटा सा जल स्रोत है जिसे कोटि तीर्थ कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इल्तुतमिश ने जब मंदिर को तुड़वाया तो शिवलिंग को इसी कोटि तीर्थ में फेंकवा दिया था, बाद में इसकी पुर्न प्रतिष्ठा कराई गई।
सन 1968 के सिंहस्थ महापर्व के पूर्व मुख्य द्वार का विस्तार कर सुसज्जित कर लिया गया था। इसके अलावा निकासी के लिए एक अन्य द्वार का भी निर्माण कराया गया था। लेकिन दर्शनार्थियों के अपार भीड़ को दृष्टिगत रखते हुए बिड़ला उद्योग समूह द्वारा 1980 के सिंहस्थ के पूर्व एक विशाल सभा मंडप का निर्माण कराया गया।
महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्था के लिए एक प्रशासनिक समिति का गठन किया गया है, इसके निर्देशन में यहां की व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है। हाल ही में इसके 118 शिखरों पर 16 किलो स्वर्ण की परत चढ़ाई गई है। मंदिर में दान के लिए इंटरनेट सुविधा भी चालू की गई है।
Mahakaleshwar Temple of Ujjain is one of the 12 Jyotirlingas in India. It is the main temple of Mahakaleshwar God, located in Ujjain city of Madhya Pradesh state. A delightful description of this temple is found in the writings of the Mahakavis such as the Puranas, Mahabharata and Kalidas. Mahakaleshwar Mahadev has immense virtue due to Swayambhu (born himself) being grand and Dakshinamukhi (a unique feature). It is believed that salvation is attained only by his philosophy. Mahakavi Kalidas has praised this temple while referring to Ujjayini in Meghdoot. Ujjain was the central point for the calculation of Indian times, and Mahakal was considered to be the presiding deity of Ujjain. Whatever ruler who lived here since the demolition of this ancient temple by Iltutmish in 1235, he renovated this temple. And given special attention to beautification, the temple has been able to achieve its present form.
History shows that the Yavanas ruled Ujjain from 1107 to 1728 AD. During their reign, the ancient religious traditions of the Hindus, established in about 4500 years, were often destroyed. But in 1690 AD the Marathas invaded the Malwa region and on 29 November 1728 the Maratha rulers established their suzerainty over the Malwa region. After this, the lost glory of Ujjain returned again and from 1731 to 1809 this city remained the capital of Malwa. Two major events took place here during the reign of the Marathas - first the reconstruction of the Mahakaleshwar temple and the restoration of the Jyotirlinga: prestige and the establishment of the Simhastha festival bath, which was a major achievement. Later, King Bhoj got the temple expanded.
The temple is situated within a perkote. There is a staircase to reach the sanctum sanctorum, just above it is another chamber, in which Omkareshwar Shivling is installed. The area of the temple is 10.77 x 10.77 square meters and the height is 28.71 meters. Every Monday in the month of Mahashivaratri and Shravan, there is a huge crowd in this temple. There is a small water source attached to the temple called Koti Tirtha. It is believed that when Iltutmish dismantled the temple, Shivalinga was thrown into this category of pilgrimage, later reputed.
The former main gate of Simhastha Mahaparva was expanded and furnished in 1968. Apart from this, another gate was also constructed for evacuation. But keeping in view the huge crowd of visitors, a huge assembly pavilion was constructed by Birla Industry Group before Simhastha in 1980.
An administrative committee has been set up to arrange the Mahakaleshwar Temple, under its direction, the system is running smoothly. Recently 16 pieces of gold have been climbed on its 118 peaks. Internet facility has also been started for donations in the temple.
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य
अभी अंगूर (Angoor) (Grapes) का मौसम चल रहा है। अंगूर (Angoor) (Grapes) से सभी वाकिफ हैं। अंगूर (Angoor) (Grapes) में पर्याप्त मात्रा में कैलोरी, फाइबर, मैग्निशियम, साइट्रिक एसिड और विटामिन C व E पाई जाती है। इसका स्वाद लगभग सभी उम्र के लोगों को पसंद आता है। मीठे रसीले फलों में शामिल अंगूर (Angoor) (Grapes) एक ऐसा फल है, जो खाने में सुविधाजनक होने के साथ-साथ पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है। हरे, काले और लाल रंग में मिलने वाले अंगूर (Angoor) (Grapes) के दानों में ना तो गुठली होती है और ना ही कड़ा छिलका। फल के तौर पर खाने के साथ - साथ ही अंगूर (Angoor) (Grapes) का उपयोग किशमिश, मुनक्का, जूस, जैम और जेली के रूप में भी किया जाता है।
बाजार में आमतौर पर दो तरह के अंगूर मिलते हैं - हल्के हरे रंग के और काले रंग के। खास तौर पर काला अंगूर ज्यादा फायदेमंद होता है। अंगूर के कुछ प्रकारों में बीज पाए जाते हैं और कुछ में बीज नहीं होते हैं। जिन अंगूरों से वाइन बनाई जाती है, आम तौर पर उन्हें खाने के लिए उपयोग नहीं किया जाता है।
यह छोटा सा फल सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है। आयुर्वेद में अंगूर के फायदे के बारे में बताया गया है। अंगूर कई फाइटोकेमिकल्स का एक प्रमुख स्रोत है। अंगूर का सेवन कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोक सकता है। हृदय संबंधी रोग और अन्य बीमारियों से बचाव करता है। इसका मुख्य घटक रेसवेरेट्रॉल यानी एक प्रकार का पॉलीफेनॉल है, जो मानव रोग में विभिन्न औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। अंगूर का उपयोग कई बीमारियों के लिए दवाइयां बनाने में उपयोग होता है।
थायराइड से पीड़ित व्यक्ति के लिए अंगूर बहुत फायदेमंद है अंगूर के 10 मिलीलीटर रस में 1 ग्राम हरड़ चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से थायराइड में लाभ मिलता है।
मधुमेह के रोगियों के लिए काले अंगूर का सेवन लाभप्रद है इस अंगूर में रेसवेरेट्रॉल नाम का पदार्थ होता है जो खून में इंसुलिन बढ़ाता है, जिससे ब्लड में शुगर का लेवल संतुलित रखने में सहायता मिलती है।
जो व्यक्ति माइग्रेन के दर्द से परेशान है उसके लिए अंगूर का रस पीना फायदेमंद होता है कुछ समय तक अंगूर के रस का नियमित सेवन इस समस्या से निजात दिला सकता है।
मोटापे से तो ज्यादातर लोग परेशान हैं, परंतु कुछ लोग वजन नहीं बढ़ पाने से भी परेशान है। उनके लिए अंगूर के रस का सेवन लाभप्रद है। अगर भूख नहीं लग रही है, तो अंगूर के रस के सेवन से भूख बढ़ती है और साथ ही कब्ज की समस्या से भी छुटकारा मिलता है।
एक गिलास अंगूर के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से खून की कमी दूर होती है इससे हीमोग्लोबिन भी बढ़ता है।
अंगूर में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है जो कि इम्यूनिटी बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने से विभिन्न प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है और किसी भी प्रकार की संक्रामक बीमारी होने की संभावना कम हो जाती है।
आंखों की के स्वास्थ्य के लिए विटामिन ए का सेवन आवश्यक है अंगूर में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए होता है जो आंखों के लिए फायदेमंद है।
अंगूर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट में एंटीकैंसरस गुण पाए जाते हैं, जो स्तन के कैंसर से बचाव करने में सहायक हो सकते हैं। अंगूर कैंसर सेल्स के प्रसार को रोकने में सहायक है।
किडनी के स्वास्थ्य के लिए भी अंगूर एक अच्छा विकल्प है। अंगूर में एंटीऑक्सीडेंट गुण और एंटी इन्फ्लेमेटरी क्रिया होने के कारण किडनी से जुड़ी कई प्रकार की बीमारियों से बचने में मदद मिल सकती है।
शरीर में कोलेस्ट्रॉल का असंतुलन हृदय रोग का कारण बन सकता है। अंगूर का सेवन कोलेस्ट्रोल को संतुलित रखने में सहायक हो सकता है।
अंगूर फोड़े फुंसियों एवं मुहांसों को सुखाने में मददगार है तथा अंगूर के रस से गरारे करने से मुंह के छालों एवं गांव में भी आराम होता है।
English Translate
Right now the season of Angoor (Grapes) is going on. Everyone is aware of Angoor (Grapes). Adequate calories, fiber, magnesium, citric acid and vitamins C and E are found in Angoor (Grapes). Its taste is liked by people of almost all ages. Grapes included in sweet juicy fruits is a fruit that is rich in nutritious properties while being convenient to eat. There is neither kernel nor hard peel in the grains of Angoor (Grapes) which are found in green, black and red colors. Along with eating as a fruit, grapes are also used as raisins, dry grapes, juices, jams and jellies.
Two types of grapes are commonly found in the market - light green and black. Especially black grapes are more beneficial. Seeds are found in some types of grapes and some do not contain seeds. The grapes from which wines are made are generally not used to eat them.
This small fruit is very beneficial for health. The benefits of grapes are explained in Ayurveda. The grape is a major source of many phytochemicals. Grape intake can prevent cancer cells from growing. Prevents cardiovascular diseases and other diseases. Its main component is resveratrol, a type of polyphenol, which is known to have various medicinal properties in human disease. Grapes are used in making medicines for many diseases.
Grape is very beneficial for a person suffering from thyroid. Mixing 10 grams of grapefruit juice with 1 gram of myrobalan and taking it twice a day provides relief in thyroid.
Consumption of black grapes is beneficial for diabetic patients.This grape contains a substance called resveratrol which increases insulin in the blood, which helps in keeping the blood sugar level balanced.
Drinking grapefruit juice is beneficial for a person who is suffering from migraine pain, regular consumption of grapefruit juice for some time can get rid of this problem.
Most people are worried about obesity, but some people are also worried about not gaining weight. Grapefruit juice is beneficial for them. If you do not feel hungry, then the intake of grapefruit juice increases appetite and also relieves constipation problem.
Drinking two spoons of honey in a glass of grape juice removes blood loss, it also increases hemoglobin.
Vitamin C is found in abundance in grapes, which increases immunity, strengthens immunity and can prevent various types of diseases and reduce the chances of getting any type of infectious disease.
Vitamin A intake is necessary for eye health. Grape contains abundant vitamin A which is beneficial for the eyes.
Antioxidants present in grapes have anticancer properties, which can be helpful in preventing breast cancer. Grape is helpful in preventing the spread of cancer cells.
Grapes are also a good option for kidney health. Due to the antioxidant properties and anti-inflammatory action in grapes, it can help to avoid many types of kidney disease.
Imbalance of cholesterol in the body can cause heart disease. Grapefruit intake can be helpful in balancing cholesterol.
Grape boils are helpful in drying pimples and pimples and gargling with grape juice helps in mouth ulcers and also in the village.
Grapefruit is hot. By the way, the age and health of a person depends on how much grapes a person should eat in a day. On average, up to one cup of grapes can be eaten in 1 day.
By the way, there is no specific loss of grapes. But in some circumstances it can harm a particular person.
* Grape seed can be harmful for a person who has appendicitis. Grape seed can cause inflammation in the appendix.
* Grape has a lot of calories, in such a high intake can cause weight gain.
* If a person gets allergic problems easily or is stomach sensitive, eating grapes can increase the allergy or stomach problems.
अंगूर के फायदे Benefits of Grapes Angoor ke Fayde
अंगूर के पौष्टिक तत्व Nutritional value of Grapes Angoor ke Paushtik tatv
अंगूर के औषधीय गुण Medicinal properties of Grapes Angoor ke Aushdhiya gun
काले अंगूर खाने के फायदे Benefits of Black Grapes Kale Angoor ke fayde
लाल अंगूर खाने के फायदे Benefits of Red Grapes Laal Angoor ke fayde
अंगूर के नुकसान Side Effects of Grapes
महादेवी वर्मा
एक समय की बात है, एक राजा के अस्तबल में महिलामुख नाम का एक हाथी रहा करता था, जो बहुत ही सभ्य तथा अपने महावत के लिए परम स्वामीभक्त और आज्ञाकारी था।
एक समय अस्तबल के पास ही चोरों ने अपना अड्डा बना लिया। वे रात - बिरात वहां आते और अपनी योजना और अपने कर्मों का बखान वहां बैठकर किया करते थे। उनके कर्म तो उनकी क्रूरता आदि दुष्कर्म के परिचायक मात्र ही होते थे। कुछ ही दिनों में उनकी क्रूरताओं की कथाएं सुन - सुनकर महिलामुख हाथी की प्रवृत्ति वैसी ही होने लगी। दुष्कर्म ही तब उसे पराक्रम जान पढ़ने लगा। तब एक दिन उसने चोरों जैसी क्रूरता को उन्मुख हो अपने ही महावत को उठाकर पटक दिया और उसे कुचल कर मार डाला।
उस समय हाथी में आए ऐसे आकस्मिक परिवर्तन से सारे लोग हैरान परेशान थे। राजा ने जब महिलामुख के लिए एक नए महावत की नियुक्ति की, तो उसे भी महिलामुख ने वैसे ही मार डाला। इसी प्रकार महिलामुख के लिए नियुक्त किए गए चार अन्य परवर्ती महावतों को भी उसने कुचल कर मार डाला। एक अच्छे हाथी के बिगड़ जाने से राजा बहुत चिंतित हैथे। उन्होंने फिर एक बुद्धिमान वैद्य को बुलावा भेजा और महिला मुख को ठीक करने का आग्रह किया। वैद्य ने हर तरह से हाथी और उसके आसपास के माहौल का निरीक्षण करने के बाद पाया कि अस्तबल के पास ही चोरों का एक अदाअड्डा है, जिनके कुकर्म की कहानियां सुन सुनकर महिला मुख का हृदय भी उन जैसा भ्रष्ट होने लगा था।
बुद्धिमान वैद्य ने तत्काल ही राजा से उस स्थान को कड़ी निगरानी में रखने को कहा और चोरों के अड्डे पर संतो की सत्संग बुलाने का अनुरोध किया। राजा ने बुद्धिमान वैद्य के सुझाव को मानते हुए वैसा ही करवाया। संतों की वाणी सुन - सुनकर महिलामुख भी संतों जैसा व्यवहार करने लगा। महिलामुख की दिमागी हालत सुधर जाने से राजा बहुत बहुत प्रसन्न हुए और वैद्य को प्रचुर पुरस्कार देकर सम्मान के साथ विदा किया।
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Once upon a time, there used to be an elephant named Mahimukh in the stables of a king, who was very gentle and supremely loyal and obedient to his Mahavata.
At one time the thieves made their base near the stables. They used to come there at night and talk about their plans and their deeds while sitting there. Their deeds were only indicative of their cruelty etc. In a few days, listening to stories of their cruelty, the lady elephant began to have the same tendency. Only then did he start to read his might. Then one day he oriented cruelty like thieves, picked up his own Mahavat and threw it and crushed it to death.
At that time all the people were shocked by the sudden change in elephant. When the king appointed a new Mahavat for Mahirmukh, he too was killed by Mahimukh. Similarly, he also crushed and killed four other later Mahavats appointed for Mahimukh. The king was very worried about the deterioration of a good elephant. He then summoned a wise physician and urged her to fix the female mouth.
Vaidya after inspecting the elephant and its surroundings by all means found that there is a court of thieves near the stables, whose heart of the woman's face had become corrupted like him after hearing stories of their misdeeds.
The wise Vaidya immediately asked the king to keep the place under strict surveillance and requested to call satsang of saints at the thieves' base. The king got the same done, following the suggestion of a wise physician. Listening to the saints, Mahimukh also started behaving like saints. Raja was very pleased with the improvement of Mahimukh's mental condition and left Vaidya with a rich prize and honored him.