शतावरी /Shatavari / Asparagus

शतावरी (Asparagus)

हिमालय की वादियाँ प्राकृतिक जड़ी बूटियों की भरमार है। शायद ही कोई ऐसी जड़ी बूटी हो, जो हिमालय में मौजूद ना हो। शतावरी भी हिमालय और हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली जड़ी बूटी है।

शतावरी को आयुर्वेद में बहुत ही फायदेमंद जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है। शतावरी का नाम कम लोगों को ही पता है, इसलिए बहुत कम लोग ही शतावरी का प्रयोग करते हैं।

ब्रह्मा जी के दुर्गा कवच में वर्णित नव दुर्गा के नौ विशिष्ट औषधियों में से एक शतावरी भी है।

शतावरी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

शतावरी क्या है?

शतावरी झाड़ीदार लता वाली एक जड़ी - बूटी है। एक- एक बेल के नीचे कम से कम 100 या उससे अधिक जड़े होती हैं। यह जड़े लगभग 30 से 100 सेंटीमीटर लंबी एवं 1 से 2 सेंटीमीटर मोटी होती हैं। जड़ों के दोनों सिरे नुकीले होते हैं। इन जड़ों के ऊपर भूरे रंग का पतला छिलका होता है। इस छिलके को निकाल देने से अंदर दूध के समान सफेद जड़ निकलती है। इन जड़ों के बीच में कड़ा रेशा होता है, जो गीली एवं सुखी अवस्था में ही निकाला जा सकता है। शतावरी पौधे के लगभग हर भाग का उपयोग औषधि बनाने में किया जाता है।

जानते हैं शतावरी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

शतावरी में बहुत मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसमें फोलेट होता है, जो कि हड्डियों के लिए भी बहुत अच्छा होता है। सामान्यता शतावरी दो प्रकार की होती है- 
1. विरलकंद 
2. कुंतपत्रा  
विरल कंद के कंद छोटे, मांसल फूले हुए और गुच्छों में होते हैं। 
जबकि कुंतपत्रा झाड़ीनुमा पौधा है। इसके कंद छोटे और मोटे होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और फल गोल होते हैं। कच्ची अवस्था में फल हरे रंग के और पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। 
शतावरी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

नींद ना आने की समस्या (अनिद्रा)

अनिद्रा की परेशानी होने पर शतावरी चूर्ण बहुत ही लाभकारी है। 2 से 4 ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध में पका लें और इसमें घी मिलाकर सेवन करने से नींद ना आने की समस्या दूर होती है।

शारीरिक कमजोरी में

किसी भी व्यक्ति को अगर शरीर में ताकत की कमी महसूस होती है, तो शतावरी को घी में पकाकर उससे शरीर की मालिश करने से कमजोरी दूर होती है।

सर्दी जुकाम में

शतावरी के जड़ का काढ़ा बनाकर 15 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से सर्दी जुकाम से आराम मिलता है।

सांसों से संबंधित रोग

शतावरी के एक भाग में एक भाग घी तथा चार भाग दूध मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे घी में पकाकर 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से सांस से संबंधित रोग, रक्त से संबंधित रोग, सीने में जलन, बात और पित्त विकार में आराम मिलता है।

बवासीर की समस्या

तीन से चार ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध के साथ सेवन करने से बवासीर में आराम मिलता है।

पेचिश की समस्या

ताजे शतावर को दूध के साथ पीसकर छान लें। इसे दिन में दो-तीन बार पीने से पेचिश की समस्या में फायदा होता है।

अपच की समस्या

5 मिलीलीटर शतावरी के जड़ के रस को मधु और दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से अपच की परेशानी दूर होती है।

पेट दर्द में

अगर पित्त दोष के कारण पेट में दर्द हो रहा है, तो प्रतिदिन सुबह 10 मिलीलीटर शतावरी के रस में 10 से 12 ग्राम मधु मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

सिर दर्द में

शतावरी के ताजे फल को कूटकर रस निकाल लें। इस रस में बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर उबाल लें। इस तेल से सिर की मालिश करने से सिर दर्द और अधकपारी में आराम मिलता है।

घाव सुखाने में

शतावरी के 20 ग्राम पत्तों के चूर्ण को दोगुने घी में तल लें। इस चूर्ण को अच्छी तरह पीसकर घाव पर लगाने से पुराना घाव भी ठीक हो जाता है।

रतौंधी में

शतावरी के मुलायम पत्तों को घी में भूनकर सेवन करने से रतौंधी रोग में आराम मिलता है।

बुखार में

शतावर और गिलोय के बराबर -बराबर 10 मिलीलीटर भाग में थोड़ा सा गुड़ मिलाकर पीने से बुखार में लाभ होता है।

पथरी की समस्या

20 - 30 मिलीलीटर शतावरी के जड़ से बने रस में बराबर मात्रा में गाय के दूध को मिलाकर पीने से पुरानी पथरी भी जल्दी गल जाती है।

शतावरी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

शतावरी के नुकसान (Side Effects of Shatavari)

जैसा कि हम सभी जानते हैं "अति सर्वत्र वर्जयेत"। वैसे तो शतावरी का कोई भी नुकसान नहीं होता है, परंतु अधिक मात्रा में शतावरी के सेवन से कुछ समस्याएं हो सकती हैं-
  • त्वचा पर दाने लचकत आना
  • आंखों में खुजली या जलन की समस्या

शतावरी में मौजूद पौष्टिक तत्व (Nutritional Value of Asparagus)

शतावरी में मौजूद पौष्टिक तत्व (Nutritional Value of Asparagus)

अन्य भाषाओं में शतावरी के नाम

हिंदी(Hindi)     - सतावर, सतावरि, सतमूली, शतावरी, सरनोई
इंग्लिश (English)     - Wild asparagus (वाईल्ड एस्पैरागस)
संस्कृत (Sanskrit)     -शतावरी, शतपदी, शतमूली, महाशीता, नारायणी, काञ्चनकारिणी, पीवरी, सूक्ष्मपत्रिका, अतिरसा, भीरु, नारायणी, बहुसुता, बह्यत्रा, तालमूली
उर्दू (Urdu)    - सतावरा (Satavara)
उड़िया (Oriya)    - चोत्तारु (Chhotaru), मोहनोले (Mohnole)
गुजराती (Gujarati)    - एकलकान्ता (Ekalkanta), शतावरी (Shatavari)
तमिल (Tamil)    - किलावरि (Kilavari), पाणियीनाक्कु (Paniyinakku)
तेलुगु (Telugu)    - छल्लागडडा (Challagadda), एट्टावलुडुटीगे (Ettavaludutige);
बंगाली (Bengali)    - शतमूली (Shatamuli), सतमूली (Satmuli)
पंजाबी (Punjabi)    - बोजान्दन (Bozandan); बोजीदान (Bozidan)
मराठी (Marathi)    - अश्वेल (Asvel), शतावरी (Shatavari)
मलयालम (Malayalam)    - शतावरि (Shatavari), शतावलि (Shatavali)
नेपाली (Nepali)     - सतामूलि (Satamuli), कुरीलो (Kurilo)
अराबिक (Arabic)    - शकाकुल (Shaqaqul)
पर्शियन (Persian)- शकाकुल (Shaqaqul)
शतावरी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

English Translate

Asparagus

The Himalayan valleys are full of natural herbs. There is hardly any herb that is not present in the Himalayas. Shatavari is also a herb found in the Himalayas and the Himalayan region.

Shatavari is known as a very beneficial herb in Ayurveda. Few people know the name of Shatavari, so very few people use Shatavari.

Shatavari is also one of the nine special medicines of Nav Durga, described in the Durga Kavach of Brahma ji.


What is Shatavari?

Shatavari is a herbaceous shrub. There are at least 100 or more roots under each vine. These roots are about 30 to 100 cm long and 1 to 2 cm thick. Both ends of the roots are sharp. On top of these roots there is a thin brown skin. By removing this peel, a white root like milk comes out inside. In between these roots there is a tough fiber, which can be removed only in wet and dry condition. Almost every part of the Shatavari plant is used to make medicine.

Know about the benefits, harms, uses and medicinal properties of Shatavari

A lot of anti-oxidants are found in Shatavari. It contains folate, which is also great for bones. Generally Shatavari is of two types-

1. Viralkand

2. Kuntapatra

The tubers of the rare tuber are small, fleshy whorls and in clusters.

Whereas kuntapatra is a bushy plant. Its tubers are small and thick. Its flowers are white in color and the fruits are round. The fruits are green in unripe state and turn red when ripe.

शतावरी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

trouble sleeping (insomnia)

Shatavari powder is very beneficial in case of insomnia. Cook 2 to 4 grams of shatavari powder in milk and mix it with ghee and consume it, it ends sleeplessness.

in physical weakness

If any person feels lack of strength in the body, then by cooking Shatavari in ghee and massaging the body with it, weakness is removed.

in winter

Make a decoction of asparagus root and take it in 15 to 20 ml quantity, it provides relief from cold and flu.

respiratory diseases

Make a paste by mixing one part ghee and four parts milk in one part of asparagus. Cooking it in ghee and consuming it in the amount of 5 to 10 grams, it provides relief in respiratory diseases, blood related diseases, heartburn, talking and bile disorders.

piles problem

Taking three to four grams of Shatavari powder with milk provides relief in piles.

dysentery problem

Grind fresh asparagus with milk and filter it. Drinking it two-three times a day is beneficial in the problem of dysentery.

indigestion problem

Taking 5 ml juice of shatavari root mixed with honey and milk ends indigestion.

in stomachache

If there is pain in the stomach due to pitta dosha, then taking 10 to 12 grams of honey mixed with 10 ml shatavari juice every morning is beneficial.

in headache

Crush the fresh fruit of asparagus and extract the juice. Boil this juice by mixing equal quantity of sesame oil. Massaging the head with this oil provides relief in headache and migraine.

in wound drying

Fry the powder of 20 grams of Shatavari leaves in double the ghee. Grind this powder well and apply it on the wound, old wounds are also cured.

in night blindness

Roast soft leaves of Shatavari in ghee and take, it provides relief in night blindness.

in fever

Mixing a little jaggery in 10 ml equal parts of Shatavar and Giloy and drinking it, it provides relief in fever.

stone problem

Mixing equal quantity of cow's milk in 20-30 ml juice made from the root of asparagus and drinking it, old stones also dissolve quickly.

Side Effects of Shatavari

25 comments:

  1. शतावरी के बारे में अत्यंत विस्तृत जानकारी। नौ विशिष्ट औषधियों में से एक शतावरी अपने स्वास्थ्य गुणों के कारण बेजोड़ है।

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  2. दुनिया होती जा रही है अंग्रेजी
    विदेशी दवाओं के पीछे बावरी
    आयुर्वेद में औषधियों का भंडार

    उनमें से एक विशेष है शतावरी
    इनके विशेष गुणों और फायदों से
    लोग तो बिल्कुल ही है अनजान
    इनका इस्तेमाल बहुत ही उपयोगी
    इनसे होता नहीं है कोई नुकसान
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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  3. दुनिया होती जा रही है अंग्रेजी
    विदेशी दवाओं के पीछे बावरी
    आयुर्वेद में औषधियों का भंडार
    उनमें से एक विशेष है शतावरी
    इनके विशेष गुणों और फायदों से
    लोग तो बिल्कुल ही है अनजान
    इनका इस्तेमाल बहुत ही उपयोगी
    इनसे होता नहीं है कोई नुकसान
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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    1. बहुत खूब 👍🏻👌👌👌👌

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  4. @RupaSin44202771
    दुनिया होती जा रही है #अंग्रेजी
    #विदेशी दवाओं के पीछे बावरी
    आयुर्वेद में औषधियों का भंडार
    उनमें से एक विशेष है #शतावरी
    इनके विशेष गुण और फायदों से
    लोग तो बिल्कुल ही है अनजान
    इनका इस्तेमाल बहुत ही उपयोगी
    इनसे होता नहीं है कोई नुकसान
    🥰👁👇
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  5. वैद्यराज जी को सादर प्रणाम

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  6. अच्छी जानकारी

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  7. शतावरी विभिन्न रोगों में प्रयोग की जाने वाली जड़ी बूटी है यह दो प्रकार की होती है विरालकंड एवं कुंटपत्रा।हमें इसका प्रयोग करना चाहिए।

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  9. अच्छी और उपयोगी जानकारी

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