प्रकृति के पांच तत्वों से बने रहस्यमयी "पंचभूत शिव" मंदिर

प्रकृति के पांच तत्वों से बने रहस्यमयी "पंचभूत शिव" मंदिर

पंच तत्व रूप में पूजे जाते है शंकर

शिव पुराण के कैलाश संहिता के अनुसार शिव से ईशान उत्पन्न हुए और ईशान से पांच मिथुन की उत्पत्ति हुई। पहला मिथुन आकाश, दूसरा वायु, तीसरा अग्नि, चौथा जल और पांचवा मिथुन पृथ्वी है। इन पांचों का स्वरूप इस प्रकार बताया गया है- आकाश में 1 शब्द ही गुण है। वायु में शब्द और स्पर्श 2 गुण है। अग्नि में शब्द, स्पर्श और रूप इन 3 गुणों की प्रधानता है। जल में शब्द, स्पर्श, रूप और रस  4 गुण माने गए हैं, और पृथ्वी शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध इन 5 गुणों से संपन्न है।

पंच तत्व रूप में पूजे जाते है शंकर

 उपरोक्त पांचों तत्वों से संबंधित शिव मंदिर दक्षिण भारत में स्थित है, जिसे हमने अपने ब्लॉग के पिछले अंकों में समाहित किया है,एक नजर फिर से-

आकाश रूप

इससे संबंधित शिव मंदिर का नाम नटराज मंदिर है जो तमिलनाडु के चिदंबरम शहर में स्थित है‌। मुख्य मंदिर में दीक्षितकर पुरोहित पूजा करते हैं। मुख्य मूर्ति नृत्य करते हुए शिव की है, उनके बाएं हाथ पर पार्वती की मूर्ति है और दायीं ओर एक सोने के छोटे से बॉक्स में स्फटिक के शिवलिंग रखे रहते हैं, जिनका बाहर लाकर अभिषेक किया जाता है। गर्भ गृह में केवल पुजारी प्रवेश करते हैं।

चिदंबरम का नटराज मंदिर / Nataraja Temple of Chidambaram

पृथ्वी रूप

इस तत्व से संबंधित मंदिर का नाम एकंबरनाथ है, जो कांचीपुरम (तमिलनाडु) में स्थित है। इसके शिवलिंग बालू के माने गए हैं, और उसका जल आदि से अभिषेक नहीं होता है। शिवलिंग का आकार गोल लगभग ढाई फीट ऊंचा है। यहां केवल तेल का छींटा लगाते हैं। इस मंदिर में 3500 वर्ष पुराना आम का वृक्ष बताया जाता है, इसके तने को काटकर मंदिर में धरोहर के रूप में रखा गया है।

एकंबरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम / Ekambaranathar Temple

अग्नि रूप

इस तत्व से संबंधित मंदिर का नाम अरुणाचलेश्वर है और तिरुवन्नामलाई (तमिलनाडु) में स्थित है। यह बहुत ही विशाल मंदिर है यहां हर प्रकार की पूजा अर्चना का समय निश्चित है।शिव पार्वती का श्रृंगार बहुत ही सुंदर मनोहारी, लुभावना और मन को शांति देने वाला लगता है।

श्री अरुणाचलेश्वर मंदिर, तमिल नाडु / Arunachalesvara Temple, Tamil Nadu

वायु रूप

इस तत्व के मंदिर का नाम कालीहंस्ती है जो आंध्र प्रदेश के जिला चित्तूर के कालाहस्ती में स्थित है। यह मंदिर ऊंचाई वाली पहाड़ी पर बना हुआ है।इस मंदिर में पिंडी की ऊंचाई लगभग 4 फुट है। पिंडी पर मकड़ी व हाथी की आकृति प्रतीत होती है। यहां अभिषेक के लिए धोती पहन कर जाना अनिवार्य है।यहां शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ता है, अलग शिला रखी है उसी पर जल चढ़ाया जाता है इस मंदिर में गाय की विशेष पूजा होती है।

कालहस्ती मंदिर, आंध्र प्रदेश (Srikalahasti Temple,  Andhra Pradesh)

जल रूप

इस तत्व के मंदिर का नाम जंबूकेश्वर है, जो त्रिचिरापल्ली तमिल नाडु में स्थित है यह मंदिर तिरुवन्नाईकावल में स्थित है। मंदिर का प्रांगण बहुत बड़ा है।

जंबूकेश्वर मंदिर, तमिल नाडु / Jambukeswarar Temple, Tamil Nadu

नटराज मंदिर, चिदंबरम(आकाश रूप)

एकंबरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम(पृथ्वी रूप)

श्री अरुणाचलेश्वर मंदिर, तमिलनाडु(अग्नि रूप)

19 comments:

  1. आपके ब्लॉग में आध्यत्म संबंधी जानकारियां भी अद्भुत होती हैं। हमारा शरीर और प्राण शरीर के चक्र भी पांच तत्त्वों को इंगित करते हैं। यूनिवर्स में सर्वप्रथम शिव तत्व था। पांच तत्व से ही हमारी कांशसनेस का विस्तार होता है। इन पांचों तत्त्वों से संबंधित मंदिरों की जानकारी अद्वितीय है।

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  2. ज्ञानवर्धक जानकारी

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  3. अद्भुत जानकारी 👌👌👍

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  4. पांच तत्व से बना मंदिर तमिलनाडु राज्य में शिव जी का है,जो अलग अलग जगह पर स्थित है।

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  5. जय हो 👍 हर हर महादेव 🙏

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  6. अच्छी जानकारी

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  7. जय महाकाल, पंचतत्व महादेव के इन मन्दिरों की जानकारी बहुत ही अद्भुत और प्राचीन धरोहरों से अवगत कराने वाला है।

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