नीम (Neem)
नीम (Neem) से तो शायद ही कोई अपरिचित होगा। नीम (Neem) अपने कड़वेपन के कारण जाना जाता है। यह नीम (Neem) जितना कड़वा होता है, स्वास्थ्य के लिए उतना ही अधिक फायदेमंद भी होता है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि नीम पर्यावरण के लिए भी उतना ही उत्तम और बेहतर है।
नीम क्या है?
नीम एक औषधीय पेड़ है, जो 15 से 20 मीटर (लगभग 50 से 65 फुट) ऊंचा कभी-कभी 35 से 40 मीटर (115 से 131 फुट) तक भी ऊंचा हो सकता है। इसकी शाखाएं बहुत फैली हुई होती हैं। तना सीधा और छोटा होता है। इसकी छाल कठोर तथा दरार युक्त होती है और इसका रंग सफेद घुसर या लाल, भूरा भी हो सकता है। 20 से 40 सेंटीमीटर (8 से 16 इंच) तक पत्तियों की लम्बाई होती है, जिसमें 20 से लेकर 31 तक गहरे हरे रंग के पत्ते होते हैं। इसके फूल सफेद और सुगंधित होते हैं। इसका फल चिकना तथा अंडाकार होता है और इसे निंबोली कहते हैं। फल का छिलका पतला तथा गुदा रेशेदार और सफेद पीले रंग का और स्वाद में कड़वा मीठा होता है। इसकी गुठली सफेद और कठोर होती है, जिसमें एक या कभी-कभी 2 से 3 बीज होते हैं।
जानते हैं नीम के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में
औषधि के रूप में नीम के सभी भागों का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना गया है। नीम के तने, पत्तियां और बीज औषधि के काम में आते हैं। गांव में अभी भी लोग इसकी टहनियों का दातुन करते हैं। इसकी पत्तियों का इस्तेमाल दवा बनाने में करते हैं तथा इसके बीज का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। रोज सुबह खाली पेट नीम की पत्तियों को खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती है साथ ही शारीरिक विकार भी दूर होते हैं।
मधुमेह या डायबिटीज में
मधुमेह में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में नीम का सेवन सहायता करता है। एक रिसर्च के अनुसार नीम में anti-diabetic की क्रियाशीलता पाई जाती है, जिसकारण यह शर्करा की मात्रा को रक्त में नियंत्रित करने में मदद करता है।
रक्त विकार (खून साफ करने के लिए) में
नीम के झाड़ का छाल खून साफ करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। नीम एक योग वाही द्रव्य है, जो शरीर के छोटे-छोटे क्षेत्रों में पहुंचकर वहां के हानिकारक जंतुओं को नष्ट करता है। नीम का काढ़ा या ठंडा रस बनाकर 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन पीने से खून के विकार दूर होते हैं।
बुखार में
20-20 ग्राम नीम, तुलसी तथा गिलोय और 6 ग्राम कालीमिर्च को मिला लें। इसे महीन पीसकर पानी के साथ मिलाकर ढाई ढाई ग्राम की गोलियां बना लें। 2 - 2 घंटे के अंतर पर एक - एक गोली गर्म पानी से सेवन करने से बुखार ठीक हो जाता है।
घाव मेंं
हमेशा बहते रहने वाले जख्म या घाव को नीम के पत्तों के काढ़े से अच्छी प्रकार धुल लें। इसके बाद नीम के छाल की राख का इस पर लेप कर दें। सात - आठ दिन में घाव पूरी तरह ठीक हो जाता है।
आग से जलने पर
आग से जले हुए स्थान पर नीम का तेल लगाने से तुरंत लाभ होता है। इससे जलन भी शांत होती है।
चर्म रोगों में
नीम की जड़ की ताजी छाल और नीम के बीज की गिरी 10-10 ग्राम को अलग-अलग नीम के ताजे पत्ते के रस में पीस लें। इसे अच्छी तरह मिला लें। मिलाते समय नीम के पत्तों का रस डालते जाएं। जब मिलकर उबटन की तरह तैयार हो जाए, तब इस उबटन को खुजली, दाद, वर्षा तथा गर्मी से होने वाली फुंसियों पर लगाने से आराम होगा। यह शीतपित्त तथा शारीरिक दुर्गंध आदि त्वचा के सभी रोगों को दूर करता है।
चेचक में
नीम की 7 लाल कोमल पत्तियां और 7 दाने काली मिर्च को मिला लें। इसका एक महीने तक नियम पूर्वक सेवन करने से 1 साल तक चेचक निकलने का डर नहीं रहता है। चेचक हो जाने पर नीम के बीजों की 5 -10 गिरी को पानी में पीसकर लेप करने से चेचक के दानों की जलन शांत होती है।
बालों की समस्या
- नीम के पत्ते और बेर के पत्ते सम भाग में लेकर अच्छी तरह पीस लें। इसका उबटन या लेप सिर पर लगाकर एक-दो घंटे बाद धो लें। इससे बाल काले, घने और लंबे होते हैं।
- नीम के पत्तों को पानी में अच्छी तरह उबाल कर ठंडा होने दें। इसी पानी से सिर को धोते रहने से बाल मजबूत होते हैं। बालों का गिरना या झड़ना रुक जाता है। इसके अतिरिक्त सिर के रोगों में लाभ होता है।
- नीम के बीजों को पीसकर लगाने से या नीम के पत्तों के काढ़े से सिर धोने से बालों के जुएं खत्म हो जाते हैं।
नकसीर में
नीम की पत्तियों और अजवाइन को बराबर मात्रा में पीस लें। इसे कनपटी पर लेप करने से नाक से खून बहना यानी नकसीर बंद हो जाता है।
कान का बहना
नीम के पत्ते के 40 मिलीलीटर रस को 40 मिलीलीटर तिल के तेल में पकाएं। तेल मात्र शेष रहने पर छानकर तीन चार बूंद कान में डालने से कान का बहना बंद हो जाता है।
दांतों के लिए
नीम का दातुन करना दातों के लिए अच्छा होता है।
100 ग्राम नीम की जड़ को कूटकर आधा लीटर पानी में 1 चौथाई शेष रहने तक उबालें। इस पानी से कुल्ला करने से दातों के अनेक रोग दूर होते हैं।
पेट के कीड़े
नीम के पत्तों का रस निकालकर 5 मिलीलीटर मात्रा में पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
कोलेस्ट्रोल में
नीम की पत्ती का एक्सट्रैक्ट कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है। रिसर्च के अनुसार नीम की पत्तियां मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर कोलेस्ट्रोल की मात्रा को बढ़ने नहीं देती हैं।
मुंह के छाले
नीम की पत्ती को चबाना तथा साथ ही उसको खाना फायदेमंद होता है, क्योंकि नीम की पत्तियों में रोपण (हीलिंग) का गुरण होता है, जो कि छालों को जल्दी भरने में मदद करता है।
नीम के अन्य लाभकारी उपयोग
सुबह नीम की दातुन करने से तथा फूलों के काढ़े से कुल्ला करने से दांत और मसूड़े निरोगी और मजबूत होते हैं।
दोपहर को इसके शीतल छाया में आराम करने से शरीर स्वस्थ रहता है।
शाम को इसकी सूखी पत्तियों के धुए से मच्छर भाग जाते हैं।
नीम की कोमल मुलायम पत्तियों को चबाने से हाजमा ठीक रहता है।
सूखी पत्तियों को अनाज में रखने से उसमें कीड़े नहीं लगते।
नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर स्नान करने से अनेक रोगों से छुटकारा मिलता है।
नीम की जड़ को पानी में घिसकर लगाने से कील मुंहासे मिटते हैं।
नीम के पत्तों का रस खून साफ करता है तथा खून को बढ़ाता भी है। इसे 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में रोज सेवन करना चाहिए।
नीम के नुकसान
गर्भवती महिलाओं और बच्चों को नीम तथा नीम युक्त खाद्य पदार्थ नहीं देना चाहिए।
कारगर उपाय
ReplyDeleteनीम का पेड मेरे घर मै लगा है
Labhkari aushadhi
ReplyDeleteअच्छी जानकारी, कड़वा लेकिन बहुत फायदेमंद नीम
ReplyDeleteहमारा आचरण अंदर भले कसैला हो मगर ऊपर से मधुर होना चाहिए
ReplyDeleteNice info
ReplyDeleteNice info
ReplyDeleteउपयोगी उपाय नीम के
ReplyDeleteनीम कड़वा होते हुए भी अनेक औषधीय गुणों से युक्त होता है।
ReplyDeleteVery informative post👍👍👌👌
ReplyDeletenice info...corona me iska kadha b piya
ReplyDeleteVery good information. . Hamare ghar k samne neem ka bahut bda ped ha .. per koi iska kisi bhi tarah ka upyog nhi karta. .bawjud iske shudh hwa to milta hi ha..him logo ko aise hi jagruk karte raho..
ReplyDeleteNice information
ReplyDeleteVery important post..corona me iski importance aur badh gyi..log thode jagruk huye..
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteInformative post...जितना कड़वा उतना फायदेमंद ..पुराने समय में हर घर के दरवाजे पर नीम का पेड़ हुआ करता था। उसके छाए में पशुओं को बांधते थे। तब बीमारियां भी काम होती थीं।
ReplyDeleteनीम के बेशुमार गुण।
ReplyDeleteThis plant - the same health!
ReplyDeleteNice information
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