इतवार (Sunday)
गुफ़्तगू
उसने कहा- बेवजह ही
खुश हो क्यों?
मैंने कहा- हर वक्त
दुखी भी क्यों रहूँ ..
खुश हो क्यों?
मैंने कहा- हर वक्त
दुखी भी क्यों रहूँ ..
उसने कहा- जीवन में
बहुत गम हैं,
मैंने कहा -गौर से देख,
खुशियां भी कहाँ कम हैं..
बहुत गम हैं,
मैंने कहा -गौर से देख,
खुशियां भी कहाँ कम हैं..
उसने तंज़ किया -
ज्यादा हँस मत,
नज़र लग जाएगी,
मेरा ठहाका बोला-
चिकनी हूँ,
फिसल जाएगी..
ज्यादा हँस मत,
नज़र लग जाएगी,
मेरा ठहाका बोला-
चिकनी हूँ,
फिसल जाएगी..
उसने कहा- नहीं होता
क्या तनाव कभी ?
जवाब दिया- मैंने ऐसा
तो कहा नहीं..
क्या तनाव कभी ?
जवाब दिया- मैंने ऐसा
तो कहा नहीं..
उसकी हैरानी बोली-
फिर भी यह हँसी?
मैंने कहा-डाल ली आदत
हर घड़ी मुसकुराने की..
फिर भी यह हँसी?
मैंने कहा-डाल ली आदत
हर घड़ी मुसकुराने की..
फिर तंज़ किया-अच्छा,
बनावटी हँसी, इसीलिए
परेशानी दिखती नहीं।
मैंने कहा-
अटूट विश्वास है,
प्रभु मेरे साथ है,
फिर चिंता-परेशानी की
क्या औकात है।
कोई मुझसे "मैं दुखी हूँ"
सुनने को बेताब था,
इसलिए प्रश्नों का
सिलसिला भी
बेहिसाब था..
बनावटी हँसी, इसीलिए
परेशानी दिखती नहीं।
मैंने कहा-
अटूट विश्वास है,
प्रभु मेरे साथ है,
फिर चिंता-परेशानी की
क्या औकात है।
कोई मुझसे "मैं दुखी हूँ"
सुनने को बेताब था,
इसलिए प्रश्नों का
सिलसिला भी
बेहिसाब था..
पूछा - कभी तो
छलकते होंगे आँसू ?
मैंने कहा-अपनी
मुस्कुराहटों से बाँध
बना लेती हूँ,
अपनी हँसी कम पड़े तो
कुछ और लोगों को
हँसा देती हूँ ,
कुछ बिखरी ज़िंदगियों में
उम्मीदें जगा देती हूँ..
यह मेरी मुसकुराहटें
दुआऐं हैं उन सबकी
जिन्हें मैंने तब बाँटा,
जब मेरे पास भी
कमी थी।
छलकते होंगे आँसू ?
मैंने कहा-अपनी
मुस्कुराहटों से बाँध
बना लेती हूँ,
अपनी हँसी कम पड़े तो
कुछ और लोगों को
हँसा देती हूँ ,
कुछ बिखरी ज़िंदगियों में
उम्मीदें जगा देती हूँ..
यह मेरी मुसकुराहटें
दुआऐं हैं उन सबकी
जिन्हें मैंने तब बाँटा,
जब मेरे पास भी
कमी थी।
🍂🍂ऐ जिन्दगी तेरे जज्बे को सलाम,
पता है की मंजिल मौत है फिर भी, दौड़े जा रही है..❤️
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ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteSuperb 👍 happy Sunday 🌞
ReplyDeleteगुफ़्तगू = बातचीत ,बार्तालाप , चर्चा , बहस . बातचीत का आदान प्रदान,
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ReplyDeleteरंज की जब , गुफ़्तगू होने लगी
आप से तुम , तुम से तू होने लगी : दा
Happy Sunday
ReplyDeleteHappy Sunday...
ReplyDeleteखूबसूरत पंक्तियाँ
आज कि यह कविता "गुफ्तगू" तुम्हारे व्यक्तित्व पर बिल्कुल सटीक बैठती है... सरल, शुद्ध, साधारण भाषा में जीवन की कला को व्यक्त करते हुए सुंदर और प्रेरणादायक कविता 👌👌👌👏👏
ReplyDeleteVery beautiful pic😍❣️
Happy Sunday 💐💐
Happy Sunday
ReplyDeleteपीछे गुलशन है मगर लोगो को दिख नही रहा
ReplyDeleteहा हा हा
Happy Sunday 🌹🌹
ReplyDeleteVery beautiful pic, 😘♥️♥️
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता, शुभ और मंगलमय रविवार
ReplyDeleteआशावादी सोच को प्रदर्शित करती बेहतरीन कविता।
ReplyDeleteHappy Sunday
एक अच्छी सी गुफ्तगू के साथ.. हरियाली के बीच पीला फूल.. आज तो लखनऊ का मौसम भी बहुत खुशनुमा है। इस मौसम को और खुशनुमा बनाता आज का पोस्ट..👌🌹
ReplyDeleteBhut hi khubsurat kavita aur sab se khubsurat tum ❤️❤️😘😘 Happy sunday beautiful 🤗🤗🤗
ReplyDeleteHpy sunday ji very nice
ReplyDeleteBful pic ..nice poem
ReplyDeleteNajpiękniejszy uśmiech dla Ciebie.
ReplyDeleteअच्छी कविता।शुभ रविवार।
ReplyDeleteWow dear. .beautiful ..bagon me bahar hai😍😍😍😍
ReplyDeleteNice poem👌👌👌
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteKhoobsurat sunday👌👌
ReplyDeleteNice
ReplyDeletetumhi ho ye kavita ke rup me..nice one
ReplyDeleteNice
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