उल्लू का राज्याभिषेख (Coronation of Owl)

उल्लू का राज्याभिषेख 

उल्लू का राज्याभिषेख (Coronation of Owl)

कौवों और उल्लूओं की शत्रुता बहुत पुरानी है, परंतु यह शत्रुता क्यों है और यह कितनी पुरानी है इसका विचार कम ही लोगों ने किया।

बौद्ध परंपरा में कौवा और उल्लू की शत्रुता के वैमनस्य की एक कथा प्रचलित है। आज वही कथा आपके समक्ष प्रस्तुत है। 

उल्लू का राज्याभिषेख (Coronation of Owl)

संबोधि प्राप्त करने के बाद जब बुद्ध श्रावस्ती स्थित जेतवन में विहार कर रहे थे, तो उनके अनुयायियों ने उन्हें उल्लूओं द्वारा अनेक कौवों की संहार की सूचना दी। तब बुद्ध ने यह कथा सुनाई थी।

सृष्टि के प्रथम निर्माण चक्र के तुरंत बाद मनुष्यों ने एक सर्वगुण संपन्न पुरुष को अपना अधिपति बनाया। जानवरों ने सिंह को तथा मछलियों ने आनंद नाम के एक विशाल मत्स्य को अपना राजा चुना। इससे प्रेरित होकर पक्षियों ने भी सभा की और उल्लू को भारी मत से राजा बनाने का प्रस्ताव रखा। राज्याभिषेक के ठीक पूर्व पक्षियों ने दो बार घोषणा की कि उल्लू उनका राजा है, किंतु अभिषेक के ठीक पूर्व जब तीसरी बार घोषणा करने जा रहे थे,

उल्लू का राज्याभिषेख (Coronation of Owl)

 तो कौवों ने कांव-कांव कर उनकी घोषणा का विरोध किया और कहा क्यों ऐसे पक्षी को राजा बनाया जा रहा है जो देखने से क्रोधी प्रवृत्ति का है और जिनकी एक वक्र दृष्टि से ही लोग गर्म हांड़ी में रखे तिल की तरह फूटने लगते हैं। कौवों के इस विरोध को उल्लू सहन ना कर सका और उसी समय वह उसे मारने के लिए झपटा और उसके पीछे - पीछे भागने लगा। तब पक्षियों ने भी सोचा कि उल्लू राजा बनने के योग्य नहीं था। क्योंकि वह अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं कर सकता था। अतः उन्होंने हंस को अपना राजा बनाया। 

उल्लू का राज्याभिषेख (Coronation of Owl)

किंतु उल्लू और कौवों की शत्रुता तभी से आज तक चलती आ रही है।

English Translate

 Coronation of Owl

The animosity of ravens and owls is very old, but few people have considered why this enmity is there and how old it is. There is a legend in Buddhist tradition of hostility to crow and owl.  Today the same story is presented to you.

 After attaining enlightenment, when the Buddha was making a monastery at Jetavan at Shravasti, his followers informed him of the killing of many crows by owls.  Then Buddha told this story.

उल्लू का राज्याभिषेख (Coronation of Owl)

 Immediately after the first creation cycle of the world, humans made a virtuous man their suzerainty.  The animals chose the lion and the fishes chose a huge fish named Anand as their king.  Inspired by this, the birds also gathered and proposed to make the owl a king with a heavy vote.  Just before the coronation, the birds announced twice that the owl was their king, but just before the consecration was going to announce for the third time, the ravens protested against their declaration, and asked why such a bird was made king.  It is going to be indignant from the point of view and from whose point of view, people start bursting like a mole placed in a hot handi. 

उल्लू का राज्याभिषेख (Coronation of Owl)

 The owl could not bear this opposition of the crows and at the same time he pounced to kill him and started running after him.  Then the birds also thought that the owl was not fit to be king. 

 Because he could not control his anger. So they made Hans their king. But the hostility of owls and crows has been going on since then.

Ayurveda The Synthesis of Yoga and Natural Remedies - 66 - डेंगू ( Dengue )

                                    डेंगू ( Dengue )


डेंगू को बदनतोड़ बुखार भी कहते हैं। यह मच्छरों की विशेष प्रजाति एंडिश एनोफिलीस के काटने से फैलता है। जब यह मच्छर किसी को काटता है तो वायरस सलाइवा के साथ मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है और रक्त धमनी द्वारा पूरे शरीर में फैल जाता है। यह वायरस रक्त कोशिकाओं को दूषित करने लगता है, जिससे खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम होने लगती है। एक स्वस्थ मनुष्य के शरीर में लगभग दो से चार लाख की प्लेटलेट्स की संख्या होती है। डेंगू के कारण प्लेटलेट्स की संख्या 1.5 लाख से भी कम होने लगती है, जिससे व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ जाता है।

 डेंगू होने के लक्षण (Symptoms of Dengue):-

#  शुरुआती दौर में पूरे शरीर में हल्का दर्द होता है, विशेष तौर पर आंख, सिर, हाथ-पैर और कमर में।

#  मुंह के स्वाद में कमी आ जाती है।

#  दूसरे दिन शरीर में असहनीय दर्द होता है और हल्की ठंड लगती है।

#  भूख में कमी होने लगती है।

#  शरीर का तापमान 102 से 104 डिग्री तक हो जाता है।

#  इसमें जी मिचलता रहता है और लिवर में सूजन के कारण कभी-कभी खाने के तुरंत बाद उल्टी की शिकायत भी रहती है।

#  कमजोरी महसूस होने लगती है और बराबर लेटे रहने की इच्छा होती रहती है।

#  शरीर में खसरे के समान लाल लाल दाने निकल आते हैं।

#  प्लेटलेट्स की संख्या 30000 से भी नीचे आने पर रोगी की हालत गंभीर हो जाती है, जिस कारण रोगी के विभिन्न अंगों जैसे - नाक, मसूड़े व पेशाब में खून आ सकता है।

डेंगू होने पर घरेलू उपचार (Home Remedies for Dengue ):-


#  डेंगू के बुखार में पपीते के पत्ते का रस दो से तीन चम्मच दिन में तीन बार देना है। 

# गिलोय का काढ़ा बनाकर दिन में ३-४ बार देना है। साथ में बकरी का दूध भी दे सकते हैं।

#  हरसिंगार के पांच पत्ते पत्थर पर पीसकर पानी में उबालकर पिएं, बुखार ठीक हो जाएगा। जो बुखार किसी दवा से ठीक नहीं होता है, वह इससे ठीक होता है। जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू का बुखार, ब्रेन मलेरिया। यह सब 15 से 20 दिन मैं ठीक होते हैं।

#  10 पत्ते तुलसी के, 3-4 काली मिर्च पत्थर पर पीसकर चटनी बना लें और एक गिलास पानी में उबालकर पी लें, बुखार ठीक हो जाएगा।

#  नीम की गिलोय को कुचलकर पानी में उबाल लें और फिर पानी पी लें तो खराब से खराब बुखार भी ठीक हो जाएगा। बुखार बहुत अधिक होने से प्लेटलेट्स खून में कम होने लगते हैं, उसमें सबसे ज्यादा काम आती है गिलोय।

#  10-15 तुलसी के पत्ते, 10-15 नीम के पत्ते पत्थर पर कूटकर चटनी बना लें और एक गिलास पानी में आधा होने तक उबालकर पी लें, बुखार ठीक हो जाएगा।

#  ब्रेन मलेरिया, टाइफाइड, चिकनगुनिया, डेंगू, स्वाइन फ्लू, इनसेफेलाइट, माता रानी के बुखार :- 20 तुलसी के पत्ते, नीम की गिलोय का सत् 5 ग्राम, सोंठ ( सूखी अदरक) 10 ग्राम, 10 छोटी पीपल के टुकड़े सबको कूट कर काढ़ा बना लें सुबह, दोपहर शाम तीनों समय लेना है।

English Translate

Dengue


Dengue is also called bad fever.  It is spread by the bite of Andes anophilis, a special species of mosquito.  When this mosquito bites someone, the virus enters the human body with saliva and blood is spread throughout the body by an artery.  This virus starts contaminating the blood cells, which causes the number of platelets in the blood to decrease.  A healthy human body has about two to four lakh platelets.  Due to dengue the number of platelets starts to be less than 1.5 lakhs, which puts a person's life in danger.

  Symptoms of Dengue: - 

# In the initial stages, there is mild pain in the whole body, especially in the eyes, head, arms and legs.

 # Mouth taste decreases.

 # On the second day there is unbearable pain in the body and there is a mild cold.

 # There is a decrease in appetite.

 # Body temperature ranges from 102 to 104 degrees.

 # There is nausea in it and sometimes due to swelling in the liver, there are complaints of vomiting immediately after eating.

 # Weakness begins to feel and there is a desire to keep lying down.

 # Red grains like measles appear in the body.

 # If the number of platelets falls below 30000, the condition of the patient becomes serious, due to which blood can come in the various organs of the patient such as nose, gums and urine.

 Home Remedies for Dengue: - 

# In dengue fever, give two to three teaspoons of papaya leaf three times a day.

 # Make a decoction of Giloy and give it 3-4 times a day.  Also goat milk can also be given.

 # Grind five leaves of Harsingar on a stone and boil it in water, the fever will be cured.  A fever which is not cured by any medicine is cured by it.  Such as chikungunya fever, dengue fever, brain malaria.  All this is fine in 15 to 20 days.

 # 10 leaves of basil, grind 3-4 black pepper on a stone and make a sauce and boil in a glass of water and drink, the fever will be cured.

 # Boil neem Giloy in water and then drink water, then even the worst fever will be cured.  Platelets start to reduce in the blood due to high fever, Giloy is the most useful in that.

 # 10-15 Basil leaves, 10-15 Neem leaves, make a sauce by grinding on a stone and boil in a glass of water till half and drink, fever will be cured.

 # Brain Malaria, Typhoid, Chikungunya, Dengue, Swine Flu, Encephalite, Mata Rani Fever: - 20 basil leaves, 5 grams of Neem Giloy, 10 grams of dry ginger, 10 pieces of small peppercorns.  Prepare the decoction in the morning, afternoon and evening.

पेड़ एक और मालिक दो - Ek Ped Do Malik

  पेड़ एक और मालिक दो (Ek Ped Do Malik)

पेड़ एक और मालिक दो (Ek Ped Do Malik)-- Akbar Birbal Story ~ अकबर बीरबल

एक बार की बात है। रोज की ही तरह बादशाह अकबर दरबार में बैठकर अपनी प्रजा की समस्याएं सुन रहे थे। सभी लोग अपनी अपनी समस्याएं लेकर राजा के सामने हाजिर हो रहे थे।और तभी राघव व केशव नाम के दो पड़ोसी अपनी समस्या लेकर दरबार में आए। इन दोनों की समस्या की जड़ था इन दोनों घर के बीच मौजूद फलों से लबालब भरा आम का पेड़। मामला आम के पेड़ के मालिकाना हक को लेकर था। राघव कह रहा था कि पेड़ उसका है और केशव झूठ बोल रहा है। वहीं, केशव का कहना था कि वह पेड़ का असली मालिक है और राघव झूठा है।

पेड़ एक और मालिक दो का मामला बहुत उलझा हुआ था और दोनों में से कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था। दोनों पक्षों की बात सुनकर और सोच विचार करने के बाद बादशाह अकबर ने यह मामला अपने नौ रत्नों में से एक बीरबल को सौंप दिया। मामले को सुलझाने और सच्चाई का पता लगाने के लिए बीरबल ने नाटक रचा।

उस शाम बीरबल ने दो सिपाहियों से कहा कि वे राघव के घर जाएं और कहें कि उसके आम के पेड़ से आम चोरी हो रहे हैं। उन्होंने दो सिपाहियों को केशव के घर जाकर भी यही संदेश देने को कहा। साथ ही बीरबल ने कहा कि यह संदेश देने के बाद वो उनके घर के पीछे छिपकर देखें कि राघव और केशव क्या करते हैं। बीरबल ने यह भी कहा कि राघव और केशव को पता नहीं लगना चाहिए कि तुम उनके घर आम की चोरी की सूचना लेकर जा रहे हो। सिपाहियों ने बिल्कुल वैसा ही किया जैसा बीरबल ने कहा।

दो सिपाही केशव के घर गए और दो राघव के घर। जब वो वहां पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि राघव और केशव दोनों ही घर में नहीं थे, तो सिपाहियों ने उनकी पत्नियों को यह संदेश दे दिया। जब केशव घर पहुंचा तो उसकी पत्नी ने उसे आम की चोरी की सूचना दी। यह सुनकर केशव ने कहा, “अरे भाग्यवान, खाना तो खिला दो। आम के चक्कर में अब क्या भूखा बैठा रहूं? और कौन-सा वह पेड़ मेरा अपना है। चोरी हो रही है तो होने दो। सुबह देखेंगे।” यह कह कर वह आराम से बैठकर खाना खाने लगा।

वहीं, जब राघव घर आया और उसकी पत्नी ने यह बात उसे बताई, तो वह उल्टे पैर पेड़ की तरह दौड़ पड़ा। उसकी पत्नी ने पीछे से आवाज लगाई, “अरे, खाना तो खा लीजिए,” जिस पर राघव ने कहा “खाना तो सुबह भी खा सकता हूं, लेकिन अगर आज आम चोरी हो गए, तो मेरे पूरे साल की मेहनत पर पानी फिर जाएगा।” सिपाहियों ने दोनों के घर के बाहर छिपकर यह सारा नजारा देखा और वापस दरबार जाकर बीरबल को बताया।

अगले दिन दोनों फिर से दरबार में हाजिर हुए। उन दोनों के सामने बीरबल ने बादशाह अकबर से कहा,"जहांपना, सारी समस्या की जड़ पेड़ है। क्यों ना पेड़ ही कटवा दे। ना रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी।"बादशाह अकबर ने इस बारे में राघव और केशव से पूछा -  "इस बारे में आप दोनों के क्या ख्याल हैं?" इस पर केशव ने कहा, "हुजूर का हुक्म है। आप जैसा कहेंगे मैं वैसे चुपचाप स्वीकार कर लूंगा।" वही राघव ने कहा -"मालिक, मैंने 7 वर्ष उस पेड़ को सींचा है। आप चाहे तो उसे केशव को दे दीजिए, लेकिन कृपया कर पेड़ कटवाए मत। मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूं।"

उन दोनों की बात सुन कर बादशाह अकबर ने बीरबल की तरह देखा और कहा, “अब आपका क्या कहना है, बीरबल?” इसके बाद बीरबल ने बादशाह को बीती रात का किस्सा सुनाया और मुस्कुराते हुए कहा, “हुजूर, पेड़ एक और मालिक दो, ऐसा कैसे हो सकता है? कल रात हुई घटना और आज हुई इस बात के बाद, यह साबित हो चुका है कि राघव ही पेड़ का असली मालिक है और केशव झूठ बोल रहा है।”

यह सुनकर बादशाह ने बीरबल को शाबाशी दी। उन्होंने अपने हक के खातिर लड़ने के लिए राघव को बधाई दी और चोरी करने व झूठ बोलने के लिए केशव को जेल में बंद करने का आदेश दिया।


कहानी से सीख (Moral) - कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि परिश्रम किए बिना छल से किसी और की चीज चुराने का अंजाम बुरा होता है।

English Translate

One Tree, Two Onwer

Once upon a time.  As usual, Emperor Akbar was sitting in the court listening to the problems of his subjects.  All the people were appearing in front of the king with their own problems, and then two neighbors named Raghav and Keshav came to the court with their problems.  The root of both of these problems was a mango tree filled with fruits between these two houses.  The matter was related to the ownership of the mango tree.  Raghav was saying that the tree belongs to him and Keshav is lying.  At the same time, Keshav said that he is the real owner of the tree and Raghav is a liar.

 The case of tree one and owner two was very complicated and neither one was willing to give up.  After listening to both the sides and thinking carefully, Emperor Akbar handed over the matter to Birbal, one of his nine jewels.  Birbal created a play to solve the case and find out the truth.

 That evening Birbal asked two soldiers to go to Raghav's house and say that mangoes were being stolen from his mango tree.  He asked two soldiers to give the same message to Keshav's house.  Also Birbal said that after giving this message, he should hide behind his house and see what Raghav and Keshav do.  Birbal also said that Raghav and Keshav should not find out that you are taking information about the theft of mangoes at their house.  The soldiers did exactly what Birbal said.

 Two soldiers went to Keshav's house and two to Raghav's house.  When they reached there, they came to know that both Raghav and Keshav were not in the house, so the soldiers gave this message to their wives.  When Keshav reached home, his wife informed him of the theft of mangoes.  Hearing this, Keshav said, "Oh fortunate one, feed me."  Should I sit hungry now in the face of mangoes?  And which tree is my own.  If it is stolen, let it happen.  See you in the morning. "  After saying this, he sat down and started eating food.

 At the same time, when Raghav came home and his wife told him this, he ran backward like a tree.  His wife shouted from behind, "Hey, eat food," to which Raghav said, "I can eat food even in the morning, but if the mangoes are stolen today, my whole year's hard work will return."  "  The soldiers hiding outside the house of both saw this view and went back to the court and told Birbal.

 The next day both again appeared in the court.  In front of them, Birbal said to Emperor Akbar, "Jahanpana, the root of the whole problem is the tree. Why not cut the tree itself. Neither will there be bamboo, nor will you play the flute." Emperor Akbar asked Raghav and Keshav about this - "  How do you both think about this? "  On this Keshav said, "Huzoor's order. I will accept it silently as you say."  The same Raghav said - "Master, I have irrigated that tree for 7 years. If you want, give it to Keshav, but please do not cut the tree. I join hands before you."

 After listening to both of them, Emperor Akbar looked like Birbal and said, "Now what do you have to say, Birbal?"  After this Birbal narrates the story of the king last night and smilingly says, "Hujur, give the tree another owner, how can this happen?"  After the incident last night and today, it has been proved that Raghav is the real owner of the tree and Keshav is lying. ”

 Hearing this, the emperor praised Birbal.  He congratulated Raghav for fighting for his rights and ordered Keshav to be jailed for stealing and lying.

 Learning from the story (Moral) - The story teaches us that stealing something else without cheating is bad.

अद्भुत संसार - 13 - Bandra Worli Sea Link (बांद्रा वर्ली समुद्रसेतु)

 बांद्रा वर्ली समुद्रसेतु 

समुद्र पर पुल, अपने आप में यह शब्द रोमांचित और आश्चर्यचकित करता है। यात्रा करते समय जब ट्रेन किसी नदी के ऊपर से गुजरता है, तब मन खुद से सवाल पूछ बैठता है कि क्या वाकई इसे 'इंसान' ने ही बनाया है। खैर, अब हम नदी से आगे बढ़ चुके हैं,और आज हम समुद्र पर बने पुल की चर्चा करेंगे। जाहिर तौर पर ,इंसान ने जिन चीजों का निर्माण किया है, उसमें 'समुद्री पुल' सर्वाधिक नया कृतित्व में से एक है।

बांद्रा वर्ली सी लिंक ने मुंबई को एक नई पहचान दिलाई है। इस ब्रिज की सुंदरता देखते ही बनती है ।यह भारत का सबसे लंबा समुद्री ब्रिज है। यह ब्रिज भारत के 10 आधुनिक अजूबों में गिना जाता है, जिसका नाम "राजीव गांधी सागरसेतु"  है। यह ब्रिज माहिम वे पर बांद्रा को वर्ली से जोड़ता है, इस बीच की लंबाई 5.6 किलोमीटर है। इस ब्रिज की खास बात यह है कि यह 8 लेन ट्रैफिक को कंट्रोल करता है। इस ब्रिज के माध्यम से 45 मिनट का सफर मात्र 6 मिनट में तय किया जा सकता है। महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम के इस परियोजना को हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा पूरा किया गया है।इस पुल का उद्घाटन 2009 को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के प्रमुख सोनिया द्वारा किया गया, लेकिन जनसाधारण के लिए इसे 1 जुलाई 2009 की मध्य रात्रि में खोला गया। इस पुल की योजना 1970 के दशक में बनाई गई थी।

यह सेतु मुंबई और भारत में अपने प्रकार का प्रथम पुल है। इस सेतू परियोजना की कुल लागत 16.50 अरब रुपए है।इस पुल की प्रकाश व्यवस्था करने के लिए ही केवल 9 करोड़ रुपए का व्यय किया गया है।इस सेतु के निर्माण में लगने वाले इस्पात के खास तारों को चीन से मंगाया गया था।जंग से बचाने के लिए इन तारों पर खास तरह के पेंट लगाने के साथ प्लास्टिक का आवरण भी चढ़ाये गये हैं।कहा जाता है कि इस ब्रिज के निर्माण में 6000 श्रमिक लगे थे।

पुल से गुजरने के लिए यात्रियों को 40-50 रुपए टोल देना होता है। यात्रा समय में लगभग 1 घंटे की बचत एवं इंधन की बचत को देखते हुए यह टैक्स नगण्य लगता है। प्रतिदिन लगभग सवा लाख वाहन इस पुल से गुजरते हैं।

English Translate

Bandra Worli Sea Bridge

 Bridge over the sea, the word in itself thrills and surprises.  While traveling, when the train passes over a river, the mind asks itself the question whether it has been made by 'humans'.  Well, now we have moved beyond the river, and today we will discuss the bridge over the sea.  Apparently, the 'sea bridge' is one of the newest creations of human beings.

 Bandra Worli Sea Link has given Mumbai a new identity.  The beauty of this bridge is built on sight. It is the longest sea bridge in India.  This bridge is counted among the 10 modern wonders of India, named "Rajiv Gandhi Sagar Setu".  This bridge connects Bandra with Worli on Mahim Way, the length of which is 5.6 km.  The special feature of this bridge is that it controls 8 lane traffic.  A 45-minute journey through this bridge can be done in just 6 minutes.  This project of the Maharashtra State Road Development Corporation has been completed by Hindustan Construction Company. The bridge was inaugurated by Sonia, the head of the United Progressive Alliance in 2009, but opened to the public at midnight on July 1, 2009.  This bridge was planned in the 1970s.

 This bridge is the first bridge of its kind in Mumbai and India.  The total cost of this bridge project is Rs 16.50 billion. Only Rs 9 crore has been spent for lighting this bridge. The special steel wires used to build this bridge were sourced from China.  In order to protect these wires with special paint, plastic cover has also been provided. It is said that 6000 workers were engaged in the construction of this bridge.

 Passengers have to pay 40-50 rupees toll to pass through the bridge.  Considering the savings of about 1 hour in travel time and fuel savings, this tax seems negligible.  Every day about 1.25 million vehicles pass through this bridge.

भारतीय सांस्कृतिक धरोहर (Bhartiya Sanskritik Dharohar) - 5 - Nishkalank Mahadev Temple (निष्कलंक महादेव मंदिर)

Nishkalank Mahadev Temple (निष्कलंक महादेव मंदिर)

 आज एक ऐसे अनूठे मंदिर की चर्चा करते हैं, जहां शिव जी ने पांडवों को दर्शन दिए थे। कुछ लोगों के लिए यह एक नई जानकारी होगी।

गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से 3 किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्थित है, यह निष्कलंक महादेव मंदिर। यहां पर अरब सागर की लहरें रोज शिवलिंगों का जलाभिषेक करती हैं। यहां पर भगवान शिव ने पांडवों को लिंग स्वरूप में अलग-अलग दर्शन दिए थे। यहां 5 शिवलिंग आज भी विराजमान हैं। लोग पानी में चलकर ही इस मंदिर के दर्शन करने पहुंचते हैं। दर्शनार्थियों को इसके लिए ज्वार उतरने का इंतजार भी करना पड़ता है। भारी ज्वार के वक्त केवल मंदिर की पताका और खंभा ही नजर आते हैं। ज्वार के वक्त अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है कि पानी के नीचे समुद्र में महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है।

यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। इसका इतिहास महाभारत काल का है। महाभारत के युद्ध के दौरान पांडवों ने कौरवों को मारकर युद्ध जीता था। परंतु युद्ध समाप्ति के पश्चात पांडव दुखी थे, क्योंकि उन्होंने अपने ही सगे संबंधियों की हत्या का पाप लिया था। इस पाप से छुटकारा पाने के लिए पांडव भगवान श्री कृष्ण से मिले।

पाप से मुक्ति का रास्ता बताते हुए भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को एक काला ध्वज और एक काली गाय सौंपी और पांडवों को गाय का अनुसरण करने को कहा तथा बताया कि जब ध्वजा और गाय दोनों का रंग काले से सफेद हो जाए तो समझ लेना कि तुम्हें पाप से मुक्ति मिल गई है। साथ ही कृष्ण ने उनसे यह भी कहा कि जिस जगह ऐसा जहां हो वहां पर भगवान शिव की आराधना करना।

पांचों भाई भगवान श्री कृष्ण के कथन अनुसार काली ध्वजा हाथ में लिए काली गाय का अनुसरण करने लगे। इस क्रम में वह कई दिनों तक अलग-अलग जगह पर गए, लेकिन गाय और ध्वजा का रंग नहीं बदला। जब पांचों भाई चलते हुए गुजरात में कोलियाक तट पर पहुंचे तो गाय व ध्वजा का रंग सफेद हो गया। यही पांडवों की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने पांचों भाइयों को लिंग रूप में अलग-अलग दर्शन दिए थे।

भगवान शिव के वही पांच स्वरूप यहां स्थित हैं। पांचों शिवलिंग के सामने नंदी प्रतिमाएं भी हैं। पांचों शिवलिंग एक वर्गाकार चबूतरे पर बने हैं। इस चबूतरे पर एक छोटा सा पानी का तालाब भी है, जिसे पांडू तालाब कहते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन से श्रद्धालु मालामाल हो जाते हैं। पूरे वर्ष भर ही यहां बड़ी संख्या में दर्शनार्थी और श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है।

चूंकि यहां पर आकर पांडवों को अपने सगे -संबंधियों, भाइयों के कलंक से मुक्त मुक्ति मिली थी, इसलिए इसे निष्कलंक महादेव मंदिर कहते हैं। भादवे महीने की अमावस को यहां पर मेला लगता है जिसे भाद्रवी (Bhadravi) कहा जाता है। प्रत्येक अमावस के दिन इस मंदिर में भक्तों की विशेष भीड़ रहती हैहालांकि पूर्णिमा और अमावस के दिन ज्वार अधिक सक्रिय रहता है फिर भी श्रद्धालु उसके उतर जाने का इंतजार करते हैं और फिर भगवान शिव का दर्शन करते हैं। 

English Translate

Nishlanka Mahadev Temple

  Today, we discuss one such unique temple, where Shiva appeared to the Pandavas.  For some people this will be new information.

 This immaculate Mahadev temple is located in the Arabian Sea, 3 kilometers off the coast of Koliak in Bhavnagar, Gujarat.  Here, the waves of the Arabian Sea daily offer water to Shivalingas.  Here Lord Shiva gave different visions to the Pandavas in gender format.  5 Shivalingas still sit here.  People reach this temple only after walking in water.  Visitors also have to wait for the tide to come down.  During the high tide only the flag and pillar of the temple are seen.  At the time of the tide, it cannot be guessed that the ancient temple of Mahadev is situated in the sea under water.

 This temple is associated with the Mahabharata period.  Its history is from Mahabharata period.  During the war of Mahabharata, the Pandavas won the battle by killing the Kauravas.  But after the end of the war, the Pandavas were sad because they had taken the sin of killing their own relatives.  The Pandavas met Lord Krishna to get rid of this sin.

 Telling the path of freedom from sin, Lord Shri Krishna handed the Pandavas a black flag and a black cow and asked the Pandavas to follow the cow and told that when the color of both the flag and the cow turns from black to white, then understand that you  Freedom from sin is found.  Also, Krishna also told him to worship Lord Shiva at the place where it is.

 The five brothers followed the black cow with a black flag in their hands, according to the statement of Lord Krishna.  In this sequence, he went to different place for several days, but the color of cow and flag did not change.  When the five brothers reached the Koliak coast in Gujarat, the color of cow and flag became white.  Pleased with the penance of the Pandavas, Lord Shiva gave different visions to the five brothers in gender form.

 The same five forms of Lord Shiva are located here.  There are also Nandi statues in front of all five Shivling.  The five Shivalingas are built on a square platform.  There is also a small water pond on this platform, which is called Pandu Talab.  It is believed that devotees become rich by visiting this temple.  A large number of devotees and devotees visit here throughout the year.

 Since the Pandavas came here and got rid of the stigma of their relatives, brothers, it is called the uninterrupted Mahadev temple.  A fair is organized here on the Amavas of the month of Bhadve which is called Bhadravi.  There is a special crowd of devotees in this temple on every Amavas, though the tide is more active on the full moon and Amavas, yet devotees wait for it to descend and then see Lord Shiva.

Ayurveda The Synthesis of Yoga and Natural Remedies - 65- Typhoid (टाइफाइड)

टाइफाइड (Typhoid)


एक प्रकार के जीवाणु के संक्रमण से क्या बीमारी पैदा होती है यह जीवाणु दूध आदि खाद्य पदार्थों के साथ हमारे शरीर में प्रविष्ट होता है यह मुख्यता हाथों को प्रभावित करता है इसलिए इसे आंतरिक जोर भी कहते हैं इसे मियादी बुखार के नाम से भी जाना जाता है। 

टाइफाइड का वैक्टीरिया पानी में या सूखे मल में हफ़्तों तक जिन्दा रहता है। यह दूषित जल और खाद्य पदार्थों के माध्यम से शरीर में पहुंचकर संक्रमण का कारण बनते हैं। यह एक संक्रामक रोग है अतः घर के एक सदस्य को होने पर और लोगों को भी इसका खतरा होता है। 

टाइफाइड होने का कारण (Causes of Typhoid):-

#  गंदगी के कारण

#  जीवाणु के संक्रमण से

#  संक्रमित भोजन तथा पानी के सेवन से 

#  वैक्टीरिया से ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आने से 

टाइफाइड होने के लक्षण (Symptoms of Typhoid):-

#  लगातार बुखार बना रहता है या शरीर में सुस्ती एवं आलस्य रहता है

#  शारीरिक एवं मानसिक गड़बड़ी रहती है

#  शरीर का तापमान धीरे-धीरे बढ़ता घटता है

#  कभी-कभी शरीर का तापमान 105 डिग्री तक पहुंच जाता है

#  जीभ कुछ मैली व सफेद हो जाती है और पेट फूल जाता है

#  सिर दर्द रहता है दस्त भी हो सकते हैं

#  कभी-कभी पेट में या पूरे शरीर में गुलाबी रंग पर छोटे छोटे दाने से निकल आते हैं

टाइफाइड होने पर घरेलू उपचार  (Home Remedies for Typhoid):-

#  दालचीनी चूर्ण आधा से एक ग्राम (अक्टूबर से मार्च के महीने तक) शहद के साथ, (अप्रैल से सितंबर के महीने तक) दूध की मलाई के साथ लें

#  गिलोय आधा फिट, तुलसी के 25 पत्ते, पुदीने के 25 पत्ते, काली मिर्च तथा मिश्री एक चम्मच इन सबको मिलाकर दो कप पानी में उबालें एक कप रहने पर हल्का गर्म पीना है।  दिन में दो - तीन बार लेने से किसी भी प्रकार का बुखार उतर जाता है। 

#  टाइफाइड में अक्सर डिहाईड्रेशन की समस्या हो जाती है अतः रोगी को थोड़े थोड़े समय पर तरल पदार्थ जैसे पानी, ताजे फल का रस आदि का सेवन करते रहना चाहिए

#  तुलसी और सूरजमुखी के पत्तों का रस निकालकर सेवन करने से टाइफाइड में आराम मिलता है 

English Translate

Typhoid

 This disease is caused by a type of bacterial infection, this bacterium enters our body with foods like milk, it mainly affects the hands, so it is also called internal thrust, it is also known as periodic fever.

 Typhoid bacteria remain alive in water or dry stool for weeks.  They reach the body through contaminated water and foods and cause infection.  It is an infectious disease, so a member of the household is at risk.

 Causes of typhoid: -

 # Due to dirt

 # Bacterial infection

 # Consumption of infected food and water

 # Coming in contact with a person suffering from bacteria

 Symptoms of Typhoid: -

 # Constant fever or laziness and laziness in the body

 # Physical and mental disturbances occur

 # Body temperature decreases gradually

 # Sometimes the body temperature reaches 105 degrees

 # Tongue becomes slightly dirty and white and flatulence

 # Headaches can be diarrhea.

 # Occasionally, small grains of pink color appear in the stomach or throughout the body.

 Home Remedies for Typhoid: -

 # Take half to one gram of cinnamon powder (from October to March) with honey, (from April to September) with milk cream

 # Giloy is half fit, 25 leaves of basil, 25 leaves of mint, black pepper and a spoonful of sugar candy. Boil it in two cups of water and drink light hot when one cup remains.  By taking two or three times a day, any type of fever is removed.

 #Typhoid often causes dehydration, so the patient should keep consuming liquids such as water, fresh fruit juice, etc. for a short time.

 # Taking juice of basil and sunflower leaves provides relief in typhoid.

मेरी बालकनी - 2020

इतवार (Sunday)

आज की पोस्ट हर बार से थोड़ा अलग.....

सुबह की एक सुखद अनुभूति, जो आपलोगों के साथ साझा कर रही हूँ। 

Squirrels (गिलहरी) 

बचपन से ही मैं साहित्यानुरागी हूँ और समय निकालकर मैं अपनी साहित्य क्षुधा की पूर्ति भी करती हूँ। उपन्यास, कहानी, कविता आदि सभी साहित्य की विधाओं में मेरी रुचि है, लेकिन साहित्य लिखने में मेरी लेखनी कदाचित कमज़ोर रही है। उच्च स्तर की भाषा और शैली न होने के बावजूद मैं आज आपके समक्ष अपनी बात रखने का प्रयास कर रही हूँ।

Squirrels (गिलहरी)

             कुछ महीने पहले ही मैं सरकारी आवास में रहने के लिए आई हूँ। हमारी यह कॉलोनी चारों ओर से हरे भरे वृक्षों से आच्छादित है। प्रातः काल अरुणिम सूर्य की लालिमा के साथ पक्षियों के चहचहाने से यहां हृदय प्रफुल्लित रहता है। मेरे घर की छोटी सी बालकनी के सामने एक इमली का वृक्ष है। प्रकृति से स्वाभाविक प्रेम के कारण मैंने उस बालकनी में गमलों में फूलों के पौधे लगाए हैं और सुबह का बेशकीमती समय मैं वहीं पर बिताती हूँ। उसी बालकनी में एक छोटी प्लेट में मैंने चिड़ियों के लिए दाने भी रखने प्रारम्भ कर दिए। कुछ दिनों बाद ही चिड़ियों का झुंड वहां आकर दानों को खाने लगा। यह देखकर मेरा हृदय प्रसन्न हो उठता था। एक दिन, मैंने देखा कि दबे पांव एक गिलहरी भी दानों के पास आने लगी। डरी, सहमी गिलहरी, सतर्क निगाहों से इधर उधर देखते प्लेट के पास आती और दाना चुगकर इमली के पेड़ पर भाग जाती। दाना खाने के बाद वह फिर आती और फिर दाना चुगकर इमली के पेड़ पर चढ़ जाती और यह सिलसिला कई दिन तक चलता रहा। इसे देखकर मुझे महादेवी वर्मा जी की कहानी, "गिल्लू" की याद आ गयी।

Squirrels (गिलहरी)

मैं रोज़ बालकनी में योग करती हूँ। मुझे बालकनी में नित्य बैठे देखकर धीरे - धीरे मेरे प्रति उसका भय समाप्त होने लगा। अब मेरे बालकनी मे बैठकर योग करने के दौरान वह मेरे सामने ही आराम से बैठकर दाना चुगती रहती है।

सचमुच,ये पल मेरे लिए बहुत आनंददायक होते हैं।

Squirrels (गिलहरी)

बताइयेगा जरूर .... आज की पोस्ट पढ़कर कैसा लगा ....

बुराई पर अच्छाई की जीत का पावन पर्व विजयादशमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

English Translate

Sunday

 Today's post is a little different from every time .......

 A pleasant morning feeling, sharing it with you.

 Since childhood, I am a literary and taking the time, I also fulfill my literature apps.  I am interested in all the genres of literature, such as novels, stories, poems, etc. But my writing in literature is rarely weak.  Despite not having a high level of language and style, I am trying to present my point before you today.

              A few months ago I came to live in a government house.  Our colony is covered with lush green trees all around.  Arunim in the morning with the redness of the sun keeps chirping the heart here.  There is a tamarind tree in front of the small balcony of my house.  Due to natural love for nature, I have planted flower plants in pots in that balcony and I spend precious time there in the morning.  In a small plate in the same balcony, I started placing grains for the birds.  After a few days, a bunch of sparrows came there and started eating grains.  My heart was happy to see this.  One day, I noticed that a squirrel too soon came near the grains.  Afraid, the stray squirrel, with careful eyes, came to the plate and looked at the plate and ran over the tamarind tree.  After eating the seeds, she would come again and then feed the seeds and climb the tamarind tree and this process continued for several days.  Seeing this, I remembered the story of Mahadevi Varma ji, "Gillu".

 I do yoga in the balcony every day.  Seeing me sitting in the balcony regularly, his fear towards me started to end.  Now while sitting in my balcony doing yoga, she sits in front of me and keeps on feeding.

 Really, these moments are very enjoyable for me.

 Will tell you how it was ... by reading today's post ....

 Wishing all of you a hearty victory for the victory of good over evil, Vijayadashami.


The Story of Nandivisala Bull ( बुद्धिमान नंदीविशाल बैल की कथा)

बुद्धिमान नंदीविशाल बैल की कथा

The Story of Nandivisala Bull ( बुद्धिमान नंदीविशाल बैल की कथा)

दान में प्राप्त बछड़े को एक ब्राह्मण ने बड़े ही महत्त्व के साथ पाला पोसा और उसका नाम नंदीविशाल रखा। कुछ ही दिनों में वह बछड़ा एक बलिष्ट बैल बन गया।

नंदीविशाल बलिष्ठ ही नहीं एक बुद्धिमान और स्वामीभक्त बैल था। उसने एक दिन ब्राह्मण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा, "हे ब्राह्मण! आपने बरसो मेरा पालन पोषण किया है। मैं आपका ऋणी हूं। अतः आपके उपकार के बदले में आपके प्रचुर धन लाभ के लिए सहायता करना चाहता हूं, और एक युक्ति सुझाता हूं। क्योंकि मेरे जैसा बैल इस संसार में अन्यत्र कहीं नहीं है, इसलिए हाट जाकर आप 1000 स्वर्ण मुद्राओं की सट्टा लगाएं कि आपका बैल 100 बड़ी-बड़ी गाड़ियों का बोझ इकट्ठा खींच सकता है।" 

The Story of Nandivisala Bull ( बुद्धिमान नंदीविशाल बैल की कथा)

ब्राह्मण को वह युक्ति पसंद आई और बड़े साहूकारों के साथ उसने बाजी लगा ली। पूरी तैयारी के साथ जैसे ही नंदीविशाल ने 100 भरी गाड़ियों को खींचने की भंगिमा बनाई, ब्राह्मण ने तभी नन्दीविसाल को गाली देते हुए कहा, " दुष्ट ! खींच-खींच इन गाड़ियों को फटाफट।" नन्दी को ब्राह्मण की भाषा पसन्द नहीं आई। वह रुष्ट होकर वहीं जमीन पर बैठ गया। फिर ब्राह्मण ने हज़ारों युक्तियाँ उसे उठाने के लिए लगाई। मगर वह टस से मस न हुआ। साहूकारों ने ब्राह्मण का अच्छा मज़ाक बनाया और उससे उसकी हज़ार स्वर्ण-मुद्राएँ भी ले गये। दु:ख और अपमान से प्रताड़ित वह हारा जुआरी अपने घर पर पड़ी एक खाट पर लेटकर विलाप करने लगा। 

The Story of Nandivisala Bull ( बुद्धिमान नंदीविशाल बैल की कथा)

तब नन्दीविसाल को उस ब्राह्मण पर दया आ गयी। वह उसके पास गया और पूछा, " हे ब्राह्मण क्या मैं ने आपके घर पर कभी भी किसी चीज का कोई भी नुकसान कराया है या कोई दुष्टता या धृष्टता की है?" ब्राह्मण ने जब "नहीं" में सिर हिलाया तो उसने पूछा, " क्यों आपने मुझे सभी के सामने भरे बाजार में 'दुष्ट' कह कर पुकारा था।" ब्राह्मण को तब अपनी मूर्खता का ज्ञान हो गया। उसने बैल से क्षमा मांगी। तब नन्दी ने ब्राह्मण को दो हज़ार स्वर्ण-मुद्राओं का सट्टा लगाने को कहा।

दूसरे दिन ब्राह्मण ने एक बार फिर भीड़ जुटाई और दो हजार स्वर्ण मुद्राओं के दाँव के साथ नन्दीविसाल को बोझ से लदे सौ गाड़ियों को खींचने का आग्रह किया। बलिष्ठ नन्दीविसाल ने तब पलक झपकते ही उन सारी गाड़ियों को बड़ी आसानी से खींच कर दूर ले गया।

ब्राह्मण ने तब दो हज़ार स्वर्ण मुद्राओं को सहज ही प्राप्त कर लिया।

English Translate

 The Story of Nandivisala Bull

 The donated calf was raised by a Brahmin with great importance and named it Nandivishal.  In a few days the calf became a bull.

 Nandivishal Balishta was not only a wise and devout bull.  He offered his gratitude to the Brahmin one day and said, "O Brahmin! You have nurtured me for years. I owe you. So I want to help you in return for your benevolence, and suggest a tip."  I am. Because a bull like me is nowhere else in this world, go to the haat and bet 1000 gold currencies that your bull can pull the load of 100 big cars. "

The Story of Nandivisala Bull ( बुद्धिमान नंदीविशाल बैल की कथा)

 The Brahmin liked that tactic and he betted with big moneylenders.  With full preparation, as Nandivishal made a gesture of pulling 100 full trains, the Brahmin then abused Nandivisal, saying, "Wicked! Pull and pull these trains quickly."  Nandi did not like the language of Brahmin.  He sat on the ground, angry.  Then the Brahmin employed thousands of tips to raise him.  But he did not bother  The moneylenders made a good joke of the Brahmin and took away his thousand gold coins from him.  The gambler, who was tortured by grief and humiliation, started mourning by lying on a cot lying at his house.

 Then Nandivisal took pity on that Brahmin.  He went to her and asked, "O Brahmin, have I ever done anything to your house or done any wickedness or indignity?"  When the Brahmin nodded "No", he asked, "Why did you call me as 'rogue' in the market full of everyone."  The Brahmin then realized his foolishness.  He apologized to the bull.  Then Nandi asked the Brahmin to bet two thousand gold-coins.

The Story of Nandivisala Bull ( बुद्धिमान नंदीविशाल बैल की कथा)

 On the second day, the Brahmin once again mobilized and urged Nandivisal to pull a hundred vehicles loaded with the burden of two thousand gold coins.  Balishtha Nandivisal then, in a blink of an eye, pulled all those trains away with great ease.

 The Brahmin then readily acquired two thousand gold currencies.

Ayurveda The Synthesis of Yoga and Natural Remedies - 64 - Viral fever

 वायरल बुखार

किसी भी वायरस की वजह से होने वाला बुखार वायरल होता है। वायरल बुखार बदलते मौसम के दिनों में ज्यादा होता है। बदलते मौसम में तापमान के उतार चढ़ाव के कारण हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर पड़ जाता है, जिससे शरीर जल्दी वायरस के संक्रमण में आ जाता है। वायरल बुखार का 3 से 7 दिन का समय होता है और भीड़भाड़ वाले इलाकों और कमजोर व्यक्तियों में तेजी से फैलता है

 वायरल बुखार होने का कारण (Causes of Viral Fever):-

#  यह आंखों के द्वारा ना दिखाई देने वाले विषाणु से फैलता है, जो इसके अनुकूल मौसम मिलते ही किसी भी उम्र के व्यक्ति में फैल सकता है

#  आसपास की व्यक्तिगत सफाई ना रखने से भी यह वायरल फैलता है

#  दूषित जल एवं भोजन के सेवन से 

#  रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी से 

#  वायरल बुखार से ग्रसित व्यक्ति के साथ रहने से 

वायरल बुखार होने के लक्षण (Symptoms of Viral Fever):-

#  बुखार 101 से 104 डिग्री तक होता है, जो अचानक बढ़ जाता है

#  बुखार से पहले छींक आना, बलगम, नाक बहना, सिर दर्द, कमजोरी आदि लक्षण होते हैं

#  रोगी को कुछ भी काम करने की इच्छा नहीं होती है, बेचैनी व सुस्ती रहती है

#  बुखार के बाद में शरीर में अत्यधिक कमजोरी आ जाती है

#  कभी कभी आँखों में लाली होती है और उल्टी दस्त भी होते हैं 

वायरल बुखार होने पर घरेलू उपचार (Home Remedies for Viral Fever ):-

#  हरसिंगार के पांच पत्ते पत्थर पर पीसकर पानी में उबालकर पीएं, बुखार ठीक हो जाएगा। जो बुखार किसी दवा से ठीक नहीं होता है वह इससे ठीक हो जाता है।

#  10 पत्ते तुलसी के और 3-4 काली मिर्च पत्थर पर पीसकर चटनी बना लें और एक गिलास पानी में उबालकर पी ले बुखार ठीक हो जाएगा

#  नीम पर चढ़ी गिलोय को कुचलकर पानी में उबाल लें और वही पानी पी लें तो खराब से खराब बुखार भी ठीक हो जाएगा। बुखार बहुत अधिक होने से प्लेटलेट्स खून में कम होने लगते हैं, गिलोय उसमें सबसे ज्यादा काम आती है 

#  10-15 तुलसी के पत्ते, 10-15 नीम के पत्ते पत्थर पर कूटकर चटनी बना लें और एक गिलास पानी में उबालें,  आधा होने तक उबालकर पी ले बुखार ठीक हो जाएगा

#  अदरख के पेस्ट में थोड़ा शहद मिलाकर थोड़ी थोड़ी देर में लेने से बुखार से होने वाले दर्द में आराम मिलता है 

#  वायरल बुखार में दालचीनी प्राकृतिक एंटीबायोटिक का काम करता है। दालचीनी एवं इलाइची का काढ़ा पीने से खांसी जुकाम गले के दर्द में आराम मिलता है 

#  5 - 7  तुलसी के पत्ते और एक छोटी चम्मच लौंग का पाउडर 1 लीटर पानी में उबालकर रख लें। हर दो घंटे के अंतराल पर आधा कप लेने से आराम मिलेगा 

English Translate

Viral fever

 The fever caused by any virus is viral.  Viral fever occurs more during the changing season days.  Our body's immune system is weakened due to temperature fluctuations in the changing season, due to which the body quickly gets into virus infection.  Viral fever takes 3 to 7 days and spreads quickly in congested areas and vulnerable individuals.

  Causes of Viral Fever: -

 # It spreads by a virus not seen by the eye, which can spread to any person of any age as soon as it gets favorable weather.

 # It also spreads viral by not keeping personal cleanliness around

 # By consuming contaminated water and food

 #Lack of immunity

 # Living with a person with viral fever

 Symptoms of Viral Fever: -

 # Fever is 101 to 104 degrees, which suddenly increases.

 # Sneezing, mucus, runny nose, headache, weakness etc. are symptoms before fever

 # The patient does not wish to do anything, restlessness and lethargy

 # After fever, excessive weakness occurs in the body

 # Sometimes there is redness in the eyes and vomiting diarrhea also.

 Home Remedies for Viral Fever: -

 # Grind five leaves of Harsingar on a stone and boil it in water and drink, the fever will be cured.  A fever which is not cured by any medicine is cured by it.

 Grind 10 leaves of basil and 3-4 black peppers on a stone and make a sauce and drink it after boiling in a glass of water and the fever will be cured.

 # Boil Giloy by climbing on neem and boil it in water and drink the same water, then even the worst fever will be cured.  Platelets are reduced in the blood due to high fever, Giloy is the most useful in it.

 # 10-15 basil leaves, 10-15 neem leaves, make a sauce by grinding it on a stone and boil in a glass of water, boil it till half and fever will be cured.

 # Mix a little honey in ginger paste and take it after a while, it gives relief from pain caused by fever.

 # Cinnamon acts as a natural antibiotic in viral fever.  Taking cinnamon and cardamom decoction relieves cough cold sore throat

 # 5 - 7 Boil basil leaves and one teaspoon clove powder in 1 liter of water.  Taking half a cup every two hours will provide relief

आधा इनाम - Aadha Inam

आधा इनाम

आधा इनाम ( Aadha Inam ) -- Akbar Birbal Story ~ अकबर बीरबल

यह बात तब की है जब शहंशाह अकबर और बीरबल की पहली मुलाकात हुई थी।उस समय सभी बीरबल को महेश दास के नाम से जानते थे। एक दिन शहंशाह अकबर बाजार में महेश दास की होशियारी से खुश होकर उसे अपने दरबार में इनाम देने के लिए बुलाते हैं और निशानी के तौर पर अपनी अंगूठी देते हैं।

कुछ समय के बाद महेश दास सुल्तान अकबर से मिलने का विचार बना कर उनके महल की ओर रवाना हो जाते हैं। वहां पहुंचकर महेश दास देखते हैं कि महल के बाहर बहुत लंबी लाइन लगी हुई है और दरबान हर व्यक्ति से कुछ ना कुछ लेकर ही उन्हें अंदर जाने दे रहा था। जब महेश दास की बारी आई तो उसने कहा कि महाराज ने मुझे इनाम देने के लिए बुलाया है और उसने सुल्तान की अंगूठी दिखाई। दरबान के मन में लालच आ गया और उसने कहा कि मैं तुम्हें एक शर्त पर अंदर जाने दूंगा अगर तुम मुझे इनाम में से आधा हिस्सा दो तो।

दरबान की बात सुनकर महेश दास ने कुछ सोचा और उसकी बात मान कर महल में चले गए। जैसे ही महेश दास की बारी आई तो वह शहंशाह के सामने आए, तो शहंशाह अकबर ने उन्हें देखते ही पहचान लिया और दरबारियों के सामने उनकी बहुत तारीफ की। बादशाह अकबर ने कहा कि बोलो महेश दास इनाम में क्या चाहिए।
आधा इनाम ( Aadha Inam ) -- Akbar Birbal Story ~ अकबर बीरबल
तब महेश दास ने कहा कि महाराज मैं जो कुछ भी मांग लूंगा क्या आप मुझे इनाम में देंगे? बादशाह अकबर ने कहा कि बिल्कुल, मांगो क्या मांगते हो। तब महेश दास ने कहा कि महाराज मुझे पीठ पर सौ कोड़े मारने का इनाम दिया जाए।महेश दास की बात सुनकर सभी को हैरानी हुई और बादशाह अकबर ने पूछा कि तुम ऐसा क्यों चाहते हो।

तब महेश दास ने दरबान के साथ हुई पूरी घटना बताई और अंत में कहा कि मैंने वादा किया है कि इनाम का आधा हिस्सा मैं दरबान को दूंगा। तब अकबर ने गुस्से में आकर दरबान को सौ कोड़े लगवाए और महेश दास की होशियारी देखकर अपने दरबार के मुख्य सलाहकारों के रूप में रख लिया। इसके बाद अकबर ने उसका नाम बदलकर महेश दास से बीरबल रख दिया। तब से लेकर आज तक अकबर और बीरबल के कई किस्से मशहूर हुए।

कहानी की शिक्षा
हमें अपना काम ईमानदारी से और बिना किसी लालच के करना चाहिए। अगर आप कुछ पाने की उम्मीद में कोई काम करते हैं तो, हमेशा बुरे परिणाम का सामना करना पड़ता है।
आधा इनाम ( Aadha Inam ) -- Akbar Birbal Story ~ अकबर बीरबल

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Half reward


 It is said that when Emperor Akbar and Birbal first met, everyone knew Birbal by the name of Mahesh Das.  One day, Emperor Akbar, happy with Mahesh Das's cleverness in the market, invites him to his court to reward him and offers his ring as a token.

 After some time Mahesh Das decides to meet Sultan Akbar and leaves for his palace.  After reaching there, Mahesh Das sees that there is a very long line outside the palace and the concierge was letting everyone in with something.  When Mahesh Das's turn came, he said that Maharaj has called me to reward him and he showed the ring of Sultan.  The concierge felt greed and said that I will let you in on one condition if you give me half of the reward.

 On hearing the concierge, Mahesh Das thought something and obeyed him and went to the palace.  When Mahesh Das's turn came, he came in front of the Emperor, then Emperor Akbar recognized him on seeing him and praised him very much in front of the court.  Emperor Akbar said, say what Mahesh Das wanted in the reward.

 Then Mahesh Das said that Maharaj, whatever I ask for, will you give me in reward?  Emperor Akbar said that exactly, what do you ask for.  Then Mahesh Das said that Maharaj should be rewarded me with a hundred whips on the back. Everyone was surprised to hear Mahesh Das and Emperor Akbar asked why you want this.

 Then Mahesh Das told the whole incident with the concierge and finally said that I have promised that I will give half of the reward to the concierge.  Then Akbar angrily got the court a hundred flogged and seeing Mahesh Das's intelligence, he appointed him as the chief advisers of his court.  After this Akbar changed his name from Mahesh Das to Birbal.  Since then, many stories of Akbar and Birbal have become famous.

 Moral of the story:- 
 We should do our work honestly and without any greed.  If you do something in the hope of getting something, you always face bad results.

अद्भुत संसार - 12 - Mysterios Magnetic Hill (लद्दाख का रहस्यमयी पहाड़ )

Mysterios Magnetic Hill (लद्दाख का रहस्यमयी पहाड़ )

 प्रकृति का नियम है कि पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण चीजें ढलान की तरफ स्वत: ही बढ़ती हैं पर जम्मू कश्मीर के लेह इलाके की पहाड़ियों में एक स्थान ऐसा भी है, जहां बंद गाड़ी स्वयं ही पहाड़ चढ़ने लगती हैं। गाड़ी की रफ्तार 20 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच जाती है। वैज्ञानिकों और पुरातत्व विभाग के अपने-अपने दावे हैं, पर इस रहस्य की वजह क्या है ,इस पर से अभी तक पर्दा उठ नहीं पाया है। यही वजह है कि श्रीनगर - लेह हाईवे पर मैग्नेटिक पहाड़ी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी रहती है।

लेह से करीब 30 किलोमीटर दूर कारगिल की तरफ जाते हुए छोटा सा पहाड़ी रास्ता आता है, जहां इस अनूठे करतब का आप स्वयं अनुभव कर सकते हैं। बस तय स्थल पर पहुंचकर गाड़ी का इंजन बंद कर उसे न्यूट्रल खड़ी कर देना है गाड़ी धीरे-धीरे हिलेगी और फिर पहाड़ पर चढ़ना शुरू कर देगी। माना जाता है कि गुरुद्वारा पठार साहिब के निकट स्थित इस पहाड़ी में गजब की चुंबकीय शक्ति है, जो वाहनों को इस तरह खींच लेती है।

* पहाड़ी के ऊपर से गुजरने वाले विमानों और हेलीकॉप्टरों पर भी चुंबकीय शक्ति का प्रभाव पड़ता है। भारत तिब्बत सीमा के पुलिस अफसरों और विमान के पायलटों का दावा है कि इस क्षेत्र के ऊपर से गुजरने पर चुंबकीय शक्ति के वजह से झटके लगते हैं।

* वैज्ञानिकों का एक तर्क यह भी है कि पहाड़ी कि यह सड़क जो देखने में ऊंचाई की तरफ जाती है वास्तव में ढलान है। गाड़ी ढलान की तरफ लुढकती है और लगता है की ऊंचाई की तरफ जा रही है। इस खिंचाव पर आंखों के सामने पहाड़ियों का स्वाभाविक रूप इस तरह से है कि दिमाग को धोखा हो जाता है ।

* जूयोलॉजिकल सर्वे के पूर्व उप निदेशक कुलदीप सिंह जामवाल का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि यहां कोई विशेष खनिज तत्व मौजूद है जिसमें चुंबकीय गुण है। लेकिन इस तर्क की वैज्ञानिक स्तर पर कोई पुष्टि नहीं हुई है।

* माना जाता है कि गुरुद्वारा पठार साहिब के निकट स्थित इस पहाड़ी में गजब की चुंबकीय शक्ति है, जो वाहनों को इस तरह खींच लेती है।

* पहाड़ी के ऊपर से गुजरने वाले विमानों और हेलीकॉप्टरों पर भी चुंबकीय शक्ति का प्रभाव पड़ता है। भारत तिब्बत सीमा के पुलिस अफसरों और विमान के पायलटों का दावा है कि इस क्षेत्र के ऊपर से गुजरने पर चुंबकीय शक्ति के वजह से झटके लगते हैं।

* वैज्ञानिकों का एक तर्क यह भी है कि पहाड़ी कि यह सड़क जो देखने में ऊंचाई की तरफ जाती है वास्तव में ढलान है। गाड़ी ढलान की तरफ लुढकती है और लगता है की ऊंचाई की तरफ जा रही है। इस खिंचाव पर आंखों के सामने पहाड़ियों का स्वाभाविक रूप इस तरह से है कि दिमाग को धोखा हो जाता है ।

* जूयोलॉजिकल सर्वे के पूर्व उप निदेशक कुलदीप सिंह जामवाल का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि यहां कोई विशेष खनिज तत्व मौजूद है जिसमें चुंबकीय गुण है। लेकिन इस तर्क की वैज्ञानिक स्तर पर कोई पुष्टि नहीं हुई है।

* माउंटेन हिल के अलावा दुनिया में चार स्थल ऐसे हैं, जहां नहीं चलते गुरुत्व के नियम:

1. मिस्ट्री स्पॉट, सांताक्रूज, कैलिफोर्निया, अमेरिका : यहां 150 वर्ग फीट क्षेत्र में गुरुत्व बल काम नहीं करता। यहां अजब हरकतें होती हैं। चीजों का आकार बदल जाता है। पानी ऊपर की ओर बहता है। गेंद हवा में ठहर जाती है।

2. सेंट इग्नास मिस्ट्री स्पॉट, मिशिगन, अमेरिका : यहां 300 वर्ग फीट में अजब- गजब नजारा देखने को मिलता है। आप एक एंगल तक दीवार पर खड़े भी हो सकते हैं, गिरेंगे नहीं।

 3. कॉस्मोस मिस्ट्री एरिया, रैपिड सिटी, साउथ डकोटा, अमेरिका : इस स्थान पर आप एक एंगल तक टेढ़े खड़े हो सकते हैं।

4. स्पूक हिल, फ्लोरिडा, अमेरिका : यहां भी भारत की मैग्नेटिक हिल की तरह गाड़ियां न्यूट्रल में खड़ी करने पर स्वयं पहाड़ी की ओर खिंचने लगती हैं। 

English Translate

Mysterious mountain of Ladakh

  The law of nature is that due to the gravitational force of the earth, things automatically move towards the slope, but there is also a place in the hills of Leh area of ​​Jammu and Kashmir, where the closed train starts climbing the mountain itself.  The speed of the train reaches 20 kmph.  Scientists and archeology department have their claims, but what is the reason for this mystery, the curtain has not been raised yet.  This is the reason why the Magnetic Hill on Srinagar-Leh Highway remains the center of tourist attraction.

 About 30 km from Leh, there is a small hill path going towards Kargil, where you can experience this unique feat yourself.  Just after reaching the designated place, stop the engine of the vehicle and make it neutral, the vehicle will move slowly and then start climbing the mountain.  This hill near Gurudwara Plateau Sahib is believed to have amazing magnetic power, which pulls vehicles in this way.

 * Magnetic power also affects planes and helicopters passing over the hill.  Police officers and aircraft pilots along the Indo-Tibetan border claim that magnetic forces are subject to shock when passing over the region.

 There is also a logic of scientists that this hill road which goes towards the height in view is actually a slope.  The car rolls towards the slope and seems to be going towards the height.  On this stretch, the hills have a natural appearance before the eyes in such a way that the mind becomes deceived.

 Kuldeep Singh Jamwal, former Deputy Director of the Zoological Survey, says that it is believed that there is a special mineral element present here which has magnetic properties.  But this argument has not been confirmed on a scientific level.

 * It is believed that this hill near Gurudwara Plateau Sahib has amazing magnetic power, which pulls vehicles in this way.

 * Magnetic power also affects planes and helicopters passing over the hill.  Police officers and aircraft pilots along the Indo-Tibetan border claim that magnetic forces are subject to shock when passing over the region.

 There is also a logic of scientists that this hill road which goes towards the height in view is actually a slope.  The car rolls towards the slope and seems to be going towards the height.  On this stretch, the hills have a natural appearance before the eyes in such a way that the mind becomes deceived.

 Kuldeep Singh Jamwal, former Deputy Director of the Zoological Survey, says that it is believed that there is a special mineral element present here which has magnetic properties.  But this argument has not been confirmed on a scientific level.

 * Apart from Mountain Hill, there are four places in the world where the rules of gravity do not work:

 1. Mystery Spot, Santa Cruz, California, USA: Gravity force does not work here in 150 sq ft area.  There are strange acts here.  The shape of things changes.  Water flows upwards.  The ball stays in the air.

 2. St. Ignas Mystery Spot, Michigan, USA: There is a wonderful view here in 300 sq. Ft.  You can even stand on the wall up to an angle, not fall.

  3. Cosmos Mystery Area, Rapid City, South Dakota, USA: At this place you can stand crooked up to an angle.

 4. Spook Hill, Florida, USA: Here, like the Magnetic Hill of India, vehicles start pulling themselves towards the hill when parked in neutral.

भारतीय सांस्कृतिक धरोहर (Bhartiya Sanskritik Dharohar) - 4 - Padmanabhaswamy Temple (पद्मनाभस्वामी मंदिर)

पद्मनाभस्वामी मंदिर(Padmanabhaswamy Temple)

आज हम यहां देश के सबसे अमीर मंदिर की चर्चा करेंगे। दुनिया का सबसे अमीर मंदिर, जहां दीयों की रोशनी में होते हैं भगवान के दर्शन। हां, आज हम केरल राज्य के तिरुअनंतपुरम में स्थित भगवान विष्णु के प्रसिद्ध हिंदू मंदिर पद्मनाभस्वामी मंदिर के विषय में यहां कुछ जानकारियां साझा करेंगे।

भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुवनंतपुरम के अनेक पर्यटन स्थलों में से एक है। यह विष्णु भक्तों की महत्वपूर्ण आराधना स्थली है। मान्यता है कि मंदिर की स्थापना 5000 साल पहले हुई थी, लेकिन 1733 में त्रावनकोर के राजा मार्तण्ड ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। यहां भगवान विष्णु का सिंगार शुद्ध सोने के भारी-भरकम आभूषणों से किया जाता है। मंंदिर के निर्माण में अनेक महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा गया है। सर्वप्रथम इसकी भव्यता को आधार बनाया गया है। मंदिर को विशाल रूप में निर्मित किया गया है, जिसमें उसका शिल्प सौंदर्य सभी को प्रभावित करता है। मंदिर के निर्माण में द्रविड़ एवं केरल शैली का मिलाजुला प्रयोग देखा जा सकता है। मंदिर का गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। पद्मनाभस्वामी मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। मंदिर का परिसर बहुत विशाल है, जो कि सात मंजिला ऊंचा है। गोपुरम को कलाकृतियों से सुसज्जित किया गया है। मंदिर के पास एक सरोवर भी है, जो "पद्मतीर्थ कुलम" के नाम से जाना जाता है। मंदिर केेे गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है, जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर-दूर से आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग केेेेेे नाम पर ही रखा गया रखा गया है। यहां पर भगवान विष्णु की विश्राम  अवस्था को पद्मनाभ कहा जाता है।  

तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभस्वामी मंदिर केेरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल संस्कृत एवं साहित्य का अनूठा संगम है। इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट है और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाड़ियों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य। इन सभी अमूल्य प्राकृतिक निधियों के मध्य स्थित है "पद्मनाभस्वामी मंदिर"। इसका स्थापत्य देखते ही बनता है। मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है। यह केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है।

इस मंदिर के साथ कई रहस्य भी जुड़े हुए हैं। मंदिर के खजाने से जुड़े कुछ खास रहस्य हैं। दक्षिण भारत के पद्मनाभ मंदिर में अनुमानित 500000 करोड़ का खजाना है। सन 2011 में इसका खुलासा हुआ, जिसे गिनने में आधुनिक मशीनें और कई लोगों की टीमें लगी थी। मंदिर में सात तहखाने हैं, जिसमें 6 खोले जा चुके हैं और उसमें बहुमूल्य आभूषण और कीमती चीजें मिली हैं लेकिन सातवें दरवाजे को नहीं खोला जा सका है। सातवां दरवाजे को खोलने में कई तरह की परेशानियां सामने आई थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक उसके खुलने पर रोक लगा दी थी।

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Padmanabhaswamy Temple

 Today we will discuss here the richest temple in the country.  The richest temple in the world, where the light of the lamps is seen in the Lord.  Yes, today we will share some information about the famous Hindu temple of Lord Vishnu Padmanabhaswamy Temple located in Thiruvananthapuram, Kerala state.

 This historic temple included among the major Vaishnava temples of India is one of the many tourist places in Thiruvananthapuram.  It is an important place of worship for Vishnu devotees.  It is believed that the temple was established 5000 years ago, but it was rebuilt in 1733 by King Martand of Travancore.  Here Lord Vishnu is decorated with heavy ornaments of pure gold.  Many important things have been taken care of in the construction of the temple.  First of all, its grandeur has been grounded.  The temple is built in a huge form, with its craft beauty affecting all.  A mixed use of the Dravidian and Kerala styles can be seen in the construction of the temple.  The temple's gopuram is built in the Dravidian style.  Padmanabhaswamy Temple is a wonderful example of South Indian architecture.  The complex of the temple is very spacious, which is seven storeys high.  The gopuram is furnished with artifacts.  There is also a lake near the temple, which is known as "Padmathirtha Kulam".  The sanctum sanctorum of the temple houses a huge statue of Lord Vishnu, which is visited by thousands of devotees from far and wide.  In this statue, Lord Vishnu sits in a sleeping posture on Sheshnag.  It is believed that Thiruvananthapuram is named after the serpent named 'Anant' of God.  Here the resting state of Lord Vishnu is called Padmanabha.

 The Padmanabhaswamy Temple in Thiruvananthapuram is one of the famous shrines of Kerala.  Kerala is a unique confluence of Sanskrit and literature.  It has beautiful beaches on one side and amazing natural beauty of the hills in the Western Ghats on the other.  "Padmanabhaswamy Temple" is situated amidst all these priceless natural funds.  Its architecture is built on seeing it.  The work of fine workmanship in the construction of the temple is also worth seeing.  It is one of the famous religious places in Kerala.

 Many mysteries are also associated with this temple.  There are some special secrets associated with the treasures of the temple.  Padmanabha Temple in South India has an estimated treasure of 500000 crores.  It was revealed in 2011, which had modern machines and many teams to count.  There are seven cellars in the temple, in which 6 have been opened and precious jewels and valuables have been found in it, but the seventh door has not been opened.  There were many difficulties in opening the seventh door, after which the Supreme Court stayed its opening until the next order.