फूल शाख़ों पे जब भी खिलते हैं

फूल शाख़ों पे जब भी खिलते हैं

Rupa Oos ki ek Boond

फूल शाख़ों पे जब भी खिलते हैं ,

दिन ख़िज़ाँ के भी तब बदलते हैं ।


ज़िन्दगी रूठती नहीं उनकी ,

जिनकी आँखों में ख़्वाब पलते हैं।


चाहे कितना भी हो कोई दानिश,

ठोकरें खा के ही सम्भलते हैं ।


तुम क़दम सोच कर यहाँ रखना,

कर्मों के फल सभी को मिलते हैं ।


उनकी गुस्ताख़ि तुम ज़रा देखो ,

मुफ़लिसी में भी वो अकड़ते हैं ।


तुम जो,” मौसम “ बहार लाते हो ,

हर तरफ़ फूल ही महकते हैं ।


रूपा, "ओस की बूंद"

19 comments:

  1. पवन कुमारJanuary 14, 2024 at 1:26 PM

    बहुत सुंदर रचना🙏

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  2. उम्दा रचना

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  3. Happy Sunday very nice and beautiful picture

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  4. अरे वाह रूपा जी क्या बात है वैसे ही आप का ब्लॉग आते ही हमारा दिन खिल जाता है
    You Have a Sweet ☺️ Smile Keep it up ☺️

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  5. Happy cool cool Sunday...Nice poem... beautiful pic 😍

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  6. Wow wonderful pic👌👌👌😘😘😘

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  7. 🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
    🙏जय श्री कृष्णा 🚩🚩🚩
    🙏राधे राधे 🚩🚩🚩
    👍👍👍बहुत खूब 💐💐

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  8. ब्लाग पर आप जब भी मुस्कुराते हुए मिलते हैं😔
    यकिनन हमारे भी मुरझाए हुए चेहरे खिलते हैं🥰

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