ये बादल...

ये बादल..

Oos ki Boond
अभी मै कुछ हूं नहीं,
अभी मेरा नाम बाकी है 
ये तो बादल है,
अभी तो बरसात होना बाकी है...❣️

ये बादल....

कभी इन बादलों को गौर से देखो

कितनी आकृतियां बनाती हैं ये

मानो बादलों में अटखेलियां करती हैं

कभी दिल बनकर दिल की धड़कन बढ़ा जातीं हैं ये

और स्मृतियों के अनसुलझे से

और स्मृतियों के वातायन से

भूली हुई प्रेम कहानी के पट खोल जाती हैं ये

दिल की नादानियां, जमाने की बंदिशे

जाने कितने दिलों की नजदीकियां दिखा जाती हैं ये

लेकिन ये मस्तमौला फुदकते मेघ 

प्रेम की रसभरी बूंदों से भिगोते हैं

जब इस धरा के ह्रदय को तो शायद

ये अपने दिल को कुर्बान कर देते हैं

औरों के सुख के लिए

बिल्कुल हमारे तुम्हारे दिलों के जैसे...

Oos ki Boond

बादल से आज कहा मैंने बड़ी देर लगा दी आने में, 
सागर थोड़े ही मांगा था, बूंदों सी प्यास बुझाने में...
❣️

63 comments:

  1. वाह,बेजोड़ कविता।
    बहुत उर्वर लेखन प्रतिभा आपके पास है।
    शुभ रविवार।

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    1. हार्दिक आभार। कृपया अपने नाम से हौसला अफजाई करें।

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  2. हृदय को छू लेने वाली रचना

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  3. बादलों से मनुष्य को जोड़ती क्लाकृति, अद्भुत 👌

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    1. मनीष जी, हार्दिक आभार।

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  4. बहुत खूबसूरत रचना👌👌

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  5. बादलों से कितनी संभावनाएँ हैं । सुंदर रचना

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    1. संगीता जी, सप्रेम आभार।

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  6. ऐ फूलो की रानी बहारों की मलिका तेरा मुस्कुराना गजब हो गया
    ये गीत DM मै सुन लीजिये

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  7. आपकी लिखी रचना सोमवार 26 दिसंबर 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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    1. संगीता जी, सादर अभिवादन..
      पांच लिंकों के आनंद पर मेरी पोस्ट को साझा करने के लिए हार्दिक आभार...

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  8. बादलों पर इतनी अच्छी कविता आपकी कल्पनाशीलता की ऊंचाइयां बयां करती है ..

    बहुत सुंदर रूपा जी!!

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    1. सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार

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  9. सुंदर लेखन। सुंदर प्रस्तुति

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  10. Waah!! Very nice...heart touching poem..bful pic.. happy Sunday

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  11. ATI sunder Kavita...

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  12. बादलों की गतिविधियों पर इतना सुंदर प्राकृतिक चित्रण,अनुपम,सराहनीय।

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    1. आपकी सराहना मेरे लिए उत्साहवर्धन है।

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  13. क्या बात है कल्पनाओं की उड़ान बादलों तक, आशीर्वाद..

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  14. लेकिन ये मस्तमौला फुदकते मेघ

    प्रेम की रसभरी बूंदों से भिगोते हैं

    जब इस धरा के ह्रदय को तो शायद

    ये अपने दिल को कुर्बान कर देते हैं

    औरों के सुख के लिए

    बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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  15. नैन गड़ाये धरती,सागर ताके
    रह-रह नभ खिड़की से झाँके
    चंचल बादल जब भी बरसे
    पत्तों पर हीरे-सी बूँदें टाँके...।
    -----
    बहुत अच्छी रचना रूपा जी।
    सादर।

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    1. श्वेता जी, आपके शब्दों का चयन और उसको काव्य रूप देना सच में बहुत उम्दा है।

      हौसला अफजाई के लिए हार्दिक आभार।

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  16. Wooow Very Nice 👌🏻
    🙏🏻🪷 जय श्री राधे कृष्णा रूपा जी 🪷🙏🏻

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    1. Thank you so much
      जय श्री राधे कृष्णा पटेल जी।

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  17. बादल से आज कहा मैंने बड़ी देर लगा दी आने में,
    सागर थोड़े ही मांगा था, बूंदों सी प्यास बुझाने में...❣️
    वाह!!!!
    बहुत सुंदर सृजन ।

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    1. हार्दिक आभार सुधा जी।

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  18. रूपा जी, ब्लॉग पर दी गई प्रतिक्रियाओं पर आपकी प्रतिक्रिया भी होनी चाहिए। मैंने जितने ब्लॉग पढ़े हैं और जहां भी आपके पोस्ट की चर्चा है, वहां हर प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया है। आपसे संवाद का और कोई जरिया नहीं, कम से कम यहां तो कुछ लिखा कीजिए।

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    1. आपके सुझाव पर अमल करने का अवश्य प्रयास करूंगी।

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    2. कृपया अपने नाम से प्रतिक्रिया दें ताकि मैं भी ब्लॉग के शुभचिंतक को जान सकूं।

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  19. शानदार लेखनी

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  20. वाह ! बादलों बहुत सूक्ष्मता के साथ बादलों का अवलोकन करती रचना👌👌👌🙏

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    1. हार्दिक आभार रेणु जी!!

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  21. बहुत खूब

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  22. Nice poem & beautiful pic😍❤️😍❤️

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  23. Bahut khub 👌🏻👌🏻👌🏻

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  24. बहुत बढ़िया

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