ये बादल..
ये बादल....
कभी इन बादलों को गौर से देखो
कितनी आकृतियां बनाती हैं ये
मानो बादलों में अटखेलियां करती हैं
कभी दिल बनकर दिल की धड़कन बढ़ा जातीं हैं ये
और स्मृतियों के अनसुलझे से
और स्मृतियों के वातायन से
भूली हुई प्रेम कहानी के पट खोल जाती हैं ये
दिल की नादानियां, जमाने की बंदिशे
जाने कितने दिलों की नजदीकियां दिखा जाती हैं ये
लेकिन ये मस्तमौला फुदकते मेघ
प्रेम की रसभरी बूंदों से भिगोते हैं
जब इस धरा के ह्रदय को तो शायद
ये अपने दिल को कुर्बान कर देते हैं
औरों के सुख के लिए
बिल्कुल हमारे तुम्हारे दिलों के जैसे...
सागर थोड़े ही मांगा था, बूंदों सी प्यास बुझाने में...❣️
वाह,बेजोड़ कविता।
ReplyDeleteबहुत उर्वर लेखन प्रतिभा आपके पास है।
शुभ रविवार।
हार्दिक आभार। कृपया अपने नाम से हौसला अफजाई करें।
Deleteहृदय को छू लेने वाली रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार सर।
DeleteWow
ReplyDeleteThanks..
DeleteSimply superb creativity
ReplyDeleteThank you so much..
Deleteबादलों से मनुष्य को जोड़ती क्लाकृति, अद्भुत 👌
ReplyDeleteमनीष जी, हार्दिक आभार।
Deleteबहुत खूबसूरत रचना👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteबादलों से कितनी संभावनाएँ हैं । सुंदर रचना
ReplyDeleteसंगीता जी, सप्रेम आभार।
DeleteBeautiful lines
ReplyDeleteThank you
Deleteऐ फूलो की रानी बहारों की मलिका तेरा मुस्कुराना गजब हो गया
ReplyDeleteये गीत DM मै सुन लीजिये
सुंदर गीत है।
DeleteBahut acha kavita
ReplyDeleteThank you ..
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार 26 दिसंबर 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
संगीता जी, सादर अभिवादन..
Deleteपांच लिंकों के आनंद पर मेरी पोस्ट को साझा करने के लिए हार्दिक आभार...
बादलों पर इतनी अच्छी कविता आपकी कल्पनाशीलता की ऊंचाइयां बयां करती है ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर रूपा जी!!
सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
DeleteVery nice 👍
ReplyDeleteThank you
DeleteHappy sunday
ReplyDeleteHave a nice day
Deleteसुंदर लेखन। सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
DeleteWaah!! Very nice...heart touching poem..bful pic.. happy Sunday
ReplyDeleteThank you so much
DeleteATI sunder Kavita...
ReplyDeleteDhanywaad
DeleteHappy Sunday
ReplyDeleteHave a great day sir
Deleteबादलों की गतिविधियों पर इतना सुंदर प्राकृतिक चित्रण,अनुपम,सराहनीय।
ReplyDeleteआपकी सराहना मेरे लिए उत्साहवर्धन है।
Deleteक्या बात है कल्पनाओं की उड़ान बादलों तक, आशीर्वाद..
ReplyDeleteWow 👌
ReplyDeleteAbhi time mila 😂
Thank you..
DeleteJab Jago tabhi savera
लेकिन ये मस्तमौला फुदकते मेघ
ReplyDeleteप्रेम की रसभरी बूंदों से भिगोते हैं
जब इस धरा के ह्रदय को तो शायद
ये अपने दिल को कुर्बान कर देते हैं
औरों के सुख के लिए
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
हार्दिक आभार।
Deleteनैन गड़ाये धरती,सागर ताके
ReplyDeleteरह-रह नभ खिड़की से झाँके
चंचल बादल जब भी बरसे
पत्तों पर हीरे-सी बूँदें टाँके...।
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बहुत अच्छी रचना रूपा जी।
सादर।
श्वेता जी, आपके शब्दों का चयन और उसको काव्य रूप देना सच में बहुत उम्दा है।
Deleteहौसला अफजाई के लिए हार्दिक आभार।
Wooow Very Nice 👌🏻
ReplyDelete🙏🏻🪷 जय श्री राधे कृष्णा रूपा जी 🪷🙏🏻
Thank you so much
Deleteजय श्री राधे कृष्णा पटेल जी।
बादल से आज कहा मैंने बड़ी देर लगा दी आने में,
ReplyDeleteसागर थोड़े ही मांगा था, बूंदों सी प्यास बुझाने में...❣️
वाह!!!!
बहुत सुंदर सृजन ।
हार्दिक आभार सुधा जी।
Deleteरूपा जी, ब्लॉग पर दी गई प्रतिक्रियाओं पर आपकी प्रतिक्रिया भी होनी चाहिए। मैंने जितने ब्लॉग पढ़े हैं और जहां भी आपके पोस्ट की चर्चा है, वहां हर प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया है। आपसे संवाद का और कोई जरिया नहीं, कम से कम यहां तो कुछ लिखा कीजिए।
ReplyDeleteआपके सुझाव पर अमल करने का अवश्य प्रयास करूंगी।
Deleteकृपया अपने नाम से प्रतिक्रिया दें ताकि मैं भी ब्लॉग के शुभचिंतक को जान सकूं।
Deleteशानदार लेखनी
ReplyDeleteवाह ! बादलों बहुत सूक्ष्मता के साथ बादलों का अवलोकन करती रचना👌👌👌🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार रेणु जी!!
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteWOW
ReplyDeleteNice poem & beautiful pic😍❤️😍❤️
ReplyDeleteवाह 😊
ReplyDeleteBahut khub 👌🏻👌🏻👌🏻
ReplyDeleteLajwab post...❣️
ReplyDeleteWow! Bahut khub
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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