चांद || Chand ||

 चांद

Rupa Oos ki ek Boond

ये चांद भी नित्य प्रति

ढलते सूरज के साथ आ जाता है

ये चांद भी मीलों दूर से 

जाने कितने रिश्ते निभा जाता है

कभी बचपन की चंदा मामा भरी 

लोरियां याद दिलाता है 

कभी थोड़े बड़े होते हुए मेरे सपनों में 

बसती हुई सपनों की शहजादी को 

तोड़ लाऊंगा चांद तारे तेरे लिए 

सरीखे वादे याद दिलाता है

होती है रात की रागनी अपने सबाब पर जब 

हर रोज ये चांद अपनी ओझल सी रोशनी में 

ख्वाबों की दुनिया सजा जाता है

दौड़ते भागते जिंदगी के सफर में 

जब उम्मीदें खत्म होने लगती हैं 

जिंदगी बोझिल सी लगने लगती है 

तब ढलते सूरज के बाद 

ये उगता हुआ चांद  

जीवन के सारे सवालों का जबाब दे जाता है

मन में हिचकोले खाते नकारे विचारों से 

एक ढलते हुए सूरज की रोशनी से 

तपन को पल भर में बदलती 

शीतलता का एहसास दिलाता है

एक चांद ही जन्म से मरण तक

मीलों दूर हो के भी

कभी बेवफा नहीं होता

हर वक्त साथ होता

हर रिश्ते की सौगात लिए

हां कभी कभी

अमावस की धनी रात भी होती

जो कभी कभी बड़ी लंबी हो जाती 

चांद || Chand ||

 

26 comments:

  1. बहुत खूब👌👌

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  2. 😢ना आसमां साथ देता है😢
    🤔ना साथ देती है ये जमीं🤔
    🙋‍♂️कौन पूरी कर पाएगा ये🙋‍♂️
    🙏मेरी जिंदगी में तेरी कमी🙏
    🌝चांद अकेला आता-जाता🌝
    🎇तारों के कई सारे साथी🎇
    🪔दीपक अकेला नहीं होता🪔
    🕯उसके साथ रहती बाती🕯
    💐फूल-पत्ती पेड़-पौधे सब💐
    💫खुश होते आते ही बहार💫
    👣राहों के धूल-पत्थर भी तो👣
    👲होते राही के लिए बेकरार👲
    💦नदिया बहती है कल-कल💦
    🦢उन्हें तो है किनारों से प्यार🦢
    🏠घर-मकान और महलों के🏠
    🏦के लिए खड़े हैं दरों-दीवार🏦
    🌳इस प्रकृति के लिए उपहार🌳
    🌈ऋतुएँ होती हैं ये पूरी चार🌈
    🪐धरती है ये सारी कि सारी🪐
    ⛈️बरसात के लिए बेकरार⛈️
    🌅सूरज को तो है सदा से ही🌅
    ☀अपनी किरणों से ही प्यार☀
    🙋‍♂️बस एक मैं तन्हा अकेला🙋‍♂️
    🗣️मेरा नहीं है कोई भी यार🗣️
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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  3. चांद को अपलक निहारती हूं
    बस एक तेरा इंतजार करती हूं
    दहलीज पर अपनी बैठकर मैं
    खुद दिल को बेकरार करती हूं
    काश की यह वक़्त ठहर जाए
    आसमां में बस चांद नजर आए
    तू आकर थामले मेरी बैचेन बाहें
    ना इस रात की कभी सुबह हो
    ना कभी जुदाई की दोपहर आए
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
    Happy Sunday

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  5. बेहद सुंदर और एहसासों से ओत प्रोत ✌🏻

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  6. क्या बात है रूपा जी आज चांद भी शायरी करने लगा 🤣🤪😝

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  7. बहुत खूब
    लाजवाब

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  8. चाँद की बात तो मां की याद दिला दी। मां गोद मे उठा कर और गीत गाती थी और मुझे खिलाती थी । वो भी क्या दिन थे एक ये भी दिन है। चंदा आरे आव बारे आव नदिया किनारे आव बबुआ के मुख में घुटुक करके खिलाती थी।
    बहुत ही सुंदर बात लिखी है हरेक इंशान इसे मानता नही है बल्कि अनुभव करता है ।
    बहुत बहुत बधाई🌷🌷🌷🌷🌷

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    1. "चंदा आरे आव पारे आव नदिया किनारे आव बबुआ के मुख में घुटुक करके खिलाती थी"
      यह गीत तो भारत की सभी माएं ही गाती हैं। बचपन की कुछ बातें खास हैं, जो सभी बच्चों की जिंदगी में होती हैं।

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  9. इस चांद ने जोड़े हैं कई रिश्तों के तार
    इस चांद से हमको और सबको प्यार
    अपने प्यार की सलामती के लिए हम
    करते हमेशा इस प्यारे चांद का दीदार
    देखकर चांद सुकून मिलता दिल को
    चांद हल कर देता है हर मुश्किल को
    बातें करते तनहा जी भरकर चांद से
    खो बैठते हम जब किसी हासिल को
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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  10. कुछ शब्दों में सुधार की जरूरत है जैसे शहजादी दुनिया।
    सुंदर कविता, शुभ रविवार

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  11. Lajawab 👌👌👌👌

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  12. Lajawab👌👌👌👌

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  13. धरती के चांद ने आसमान के चांद की तारीफ की है।

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  14. मुझे तो गाना याद आ गया.. मेरा चांद मुझे आया...nice one

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  15. बहुत सुंदर रचना दिल को छू गई और उतनी ही सादगी भरी तस्वीर पोस्ट में चार चांद लगा रही।

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  16. Gajab, wakai me rachna aur rachnakaar dono lajwab hain

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  17. शानदार इतवार,शानदार रचना के साथ

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  18. जैसा की लोग कहते जब कही प्यार की बात आती है तो लोग चांद का नाम लिए बिना नही रह पाता है,
    मैने कभी लिखा था आज आप लोगों के साथ साझा कर रहा हूं
    उतरा था चांद कभी मेरे भी आंगन में
    मगर सितारों को कभी ये गवारा न था
    हम तो सितारों से भी लङ लेते
    मगर वो चांद ही हमारा न था
    ❤❤❤❤❤

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