श्रीमद्भगवद्गीता || Shrimad Bhagwat Geeta || अध्याय एक के अनुच्छेद 12-19

श्रीमद्भगवद्गीता || अध्याय एक ~ अर्जुनविषादयोग ||

अथ प्रथमोऽध्यायः- अर्जुनविषादयोग

अध्याय एक के अनुच्छेद 12-19

अध्याय एक के अनुच्छेद 12-19 दोनों सेनाओं की शंख-ध्वनि का वर्णन किया गया है।

श्रीमद्भगवद्गीता || Shrimad Bhagwat Geeta || अध्याय एक के अनुच्छेद 12-19

तस्य सञ्जनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः ।
सिंहनादं विनद्योच्चैः शंख दध्मो प्रतापवान्‌ ||1.12 ||

भावार्थ :  
कौरवों में वृद्ध बड़े प्रतापी पितामह भीष्म ने उस दुर्योधन के हृदय में हर्ष उत्पन्न करते हुए उच्च स्वर से सिंह की दहाड़ के समान गरजकर शंख बजाया॥12॥

ततः शंखाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखाः ।
सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत्‌ ॥1.13॥

भावार्थ : इसके पश्चात शंख और नगाड़े तथा ढोल, मृदंग और नरसिंघे आदि बाजे एक साथ ही बज उठे। उनका वह शब्द बड़ा भयंकर हुआ॥13॥

ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ ।
माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शंखौ प्रदध्मतुः ॥1.14॥

भावार्थ : इसके अनन्तर सफेद घोड़ों से युक्त उत्तम रथ में बैठे हुए श्रीकृष्ण महाराज और अर्जुन ने भी अलौकिक शंख बजाए॥ 1.14॥

पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जयः ।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशंख भीमकर्मा वृकोदरः ॥1.15॥

भावार्थ :  श्रीकृष्ण महाराज ने पाञ्चजन्य नामक, अर्जुन ने देवदत्त नामक और भयानक कर्मवाले भीमसेन ने पौण्ड्र नामक महाशंख बजाया॥15॥

अनन्तविजयं राजा कुन्तीपुत्रो युधिष्ठिरः ।
नकुलः सहदेवश्च सुघोषमणिपुष्पकौ ॥1.16॥

भावार्थ :
कुन्तीपुत्र राजा युधिष्ठिर ने अनन्तविजय नामक और नकुल तथा सहदेव ने सुघोष और मणिपुष्पक नामक शंख बजाए॥16॥

काश्यश्च परमेष्वासः शिखण्डी च महारथः ।
धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजितः ॥৷1.17॥
द्रुपदो द्रौपदेयाश्च सर्वशः पृथिवीपते ।
सौभद्रश्च महाबाहुः शंखान्दध्मुः पृथक्पृथक्‌ ॥1.18॥

भावार्थ : 
श्रेष्ठ धनुष वाले काशिराज और महारथी शिखण्डी एवं धृष्टद्युम्न तथा राजा विराट और अजेय सात्यकि, राजा द्रुपद एवं द्रौपदी के पाँचों पुत्र और बड़ी भुजावाले सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु- इन सभी ने, हे राजन्‌! सब ओर से अलग-अलग शंख बजाए॥17-18॥

स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्‌ ।
नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन्‌ ॥1.19॥

भावार्थ : 
और उस भयानक शब्द ने आकाश और पृथ्वी को भी गुंजाते हुए धार्तराष्ट्रों के अर्थात आपके पक्षवालों के हृदय विदीर्ण कर दिए॥19॥

12 comments:

  1. रुपा, तुम्हारे ब्लाग के माध्यम गीता का अनमोल ज्ञान हमें मिल रहा 👍👍

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  2. ॐ भगवते वासुदेवाय नमः ॐ 🙏🏻

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  3. गीता के वचनों को जानकर मुझे अपार आनंद की अनुभूति होती है।
    💯👏🏼👌🏼👍🙋‍♂️🌹🙏

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  4. अच्छी जानकारी

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  5. आपके द्वारा हमैशा अच्छी जानकारी ओर बहुत कुछ सीखने को मिलता है रूपा जी

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  6. शंखनाद शुरू हो गया

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  7. ॐ नमः भगवते वासुदेवाय धीमहि

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  8. Good information

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  9. गीता का ज्ञान पढ़ना है.... पर time नहीं मिलता.. 🙏

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