तेनालीराम - कंजूस सेठ और चित्रकार || Tenali Raman - kanjus seth aur Chitrkaar ||

 तेनालीराम - कंजूस सेठ और चित्रकार

एक समय पर राजा कृष्णदेव राय के राज्य में एक कंजूस सेठ हुआ करता था। उसके पास धन की कोई कमी न थी, पर एक पैसा भी जेब से निकालते समय मानो उसकी जान जाती थी। एक बार उसके कुछ मित्रों ने हंसी-हंसी में एक कलाकार से अपना चित्र बनवाने के लिए उसे राजी कर लिया। उसके सामने वह मान तो गया, पर जब चित्रकार उसका चित्र बनाकर लाया तो सेठ की हिम्मत न पड़ी कि चित्र के मूल्य के रूप में चित्रकार को सौ स्वर्ण मुद्राएं दे दे।

तेनालीराम - कंजूस सेठ और चित्रकार

 चित्रकार को आया देखकर सेठ अंदर गया और कुछ ही क्षणों में अपना चेहरा बदलकर बाहर आया। उसने चित्रकार से कहा - "तुम्हारा चित्र जरा भी ठीक नहीं बना है। तुम्हीं बताओ, क्या तुम्हारे द्वारा बनाया गया चित्र मेरे चेहरे से जरा भी मिलता है?" 

चित्रकार ने देखा, सचमुच चित्र सेठ के चेहरे से जरा भी नहीं मिलता था।

तभी कंजूस सेठ बोला - "जब तुम ऐसा चित्र बनाकर लाओगे, जो ठीक मेरी शक्ल से मिलेगा, तभी मैं उसे खरीदूंगा।"

दूसरे दिन चित्रकार एक और चित्र बनाकर लाया, जो हूबहू सेठ के उस चेहरे से मिलता था, जो सेठ ने पहले दिन बना रखा था। इस बार फिर सेठ ने अपना चेहरा बदल लिया और चित्रकार के चित्र में कमी निकालने लगा। 

चित्रकार बड़ा लज्जित हुआ। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह की गलती उसके चित्र में क्यों हो रही है? अगले दिन वह फिर एक नया चित्र बनाकर ले गया, पर उसके साथ फिर वही हुआ। अब तक चित्रकार की समझ में सेठ की चाल आ चुकी थी। 

वह जानता था कि यह मक्खीचूस सेठ असल में पैसे नहीं देना चाहता है, पर चित्रकार अपनी कई दिनों की मेहनत भी बेकार नहीं जाने देना चाहता था। बहुत सोंच-विचार कर चित्रकार तेनालीराम के पास पहुंचा और अपनी समस्या उनसे कह सुनाई।

कुछ समय सोचने के बाद तेनालीराम ने कहा - "कल तुम उसके पास एक शीशा लेकर जाओ और कहो कि इस बार बिल्कुल असली तस्वीर लेकर आया हूं। अच्छी तरह मिलाकर देख लीजिए। कहीं कोई अंतर आपको नहीं मिलेगा। बस, फिर अपना काम हुआ ही समझो।"

अगले दिन चित्रकार ने ऐसा ही किया। वह शीशा लेकर सेठ के यहां पहुंचा और उसके सामने रख दिया। देखिये सेठजी, आपका बिल्कुल सही चित्र। गलती की इसमें जरा भी गुंजाइश नहीं है। चित्रकार ने अपनी मुस्कराहट पर काबू पाते हुए कहा। 

लेकिन यह तो शीशा है,सेठ ने झुंझलाते हुए कहा। 

चित्रकार बोला - "आपकी असली सूरत शीशे के अलावा बना भी कौन सकता है? अब जल्दी से मेरे चित्रों का मूल्य एक हजार स्वर्ण मुद्राएं मुझे दे दीजिये।  

सेठ समझ गया कि यह सब तेनालीराम की सूझबूझ का परिणाम है। उसने तुरंत एक हजार स्वर्णमुद्राएं चित्रकार को दे दीं। इसतरह चित्रकार के मेहनत के पैसे उसे मिल  गए। 

English Translate

Tenaliram and Kanjus Seth

Once upon a time there used to be a miserly Seth in the kingdom of King Krishna Deva Raya. He had no shortage of money, but while taking out a single penny from his pocket, it was as if he had lost his life. Once some of his friends laughingly persuaded an artist to get him painted. He agreed in front of him, but when the painter brought him a picture, Seth did not dare to give a hundred gold coins to the painter as the value of the picture.

तेनालीराम - कंजूस सेठ और चित्रकार

 Seeing the painter coming, Seth went inside and within a few moments came out with his face changed. He said to the painter - "Your picture is not made right at all. Tell me, does the picture made by you resemble my face at all?"

The painter saw that the picture really did not match Seth's face at all.

Then the miser Seth said - "When you will bring such a picture, which will match my face, only then I will buy it."

On the second day the painter brought another painting which was exactly the same as the face of Seth that Seth had drawn on the first day. This time again Seth changed his face and began to find fault with the portrait of the painter.

The painter was ashamed. He could not understand why such a mistake is happening in his picture. The next day he took a new picture again, but the same thing happened to him again. By now Seth's trick had come to the painter's understanding.

He knew that this scoundrel Seth really did not want to give money, but the painter did not want to let his many days of hard work go in vain. After much deliberation, the painter approached Tenaliram and narrated his problem to him.

After thinking for some time, Tenaliram said - "Tomorrow you go to him with a mirror and say that this time I have come with a real picture. Mix it well and you will not find any difference. That's it, then your work is done." understand."

The next day the painter did the same. He reached Seth's place with the mirror and placed it in front of him. See Sethji, your perfect picture. There is no room for error in this. The painter said, controlling his smile.

But this is a mirror, Seth said angrily.

The painter said - "Who can make your real face apart from the mirror? Now quickly give me one thousand gold coins worth my paintings.

Seth understood that all this was the result of Tenaliram's wisdom. He immediately gave one thousand gold coins to the painter. In this way he got the money for the painter's hard work.

19 comments:

  1. Nice Story रूपा जी jay Shree Krishna 😊🙏🏻

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  2. तेनालीराम सब समस्या का समाधान निकाल ही लेते हैं 👌👌

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  3. your story is very nice today

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  4. अच्छी कहानी

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  5. ज्ञानवर्धक जानकारी 👌🏻

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  6. अच्छी कहानी, कंजूस से पैसे निकलवाना आसान नहीं है

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  7. I really enjoy reading your stories.

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