ओस की बूंद || Os ki Boond ||

ओस की बूंद

आज तुम साथ होते,

तो बात और होती.

खुशियां चौगुनी होती

सारी रात बात होती और

चर्चा "ओस के बूंद" की होती..💧

ओस की बूंद || Os ki Boond ||
अकेले ही तय करने होते हैं कुछ सफर,
ज़िंदगी के हर सफर में हमसफ़र नहीं मिला करते..❤

9 comments:

  1. क्या पता साथ हो.. प्रत्यक्ष ना सही परोक्ष ही सही

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  2. रूबरू हो मुलाकात अपनी कहीं
    सोच कर हर कदम बस बढ़ाते रहे
    ओस की बूंदों की ताजगी
    अपने एहसासों में जगाते रहे✌🏻

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  3. कितना सुन्दर व्रणन किया है शुभकामनायें रूपा जी ☺️☺️

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  4. अति उत्तम

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  5. मैं और मेरी तन्हाई
    अक्सर ये बाते करते हैं
    तुम होती तो कैसा होता
    तुम ये कहती तुम वो कहती
    तुम इस बात पे हैरान होती
    तुम उस बात पे कितनी हंसती
    तुम होती तो ऐसा होता
    तुम होती तो वैसा होता
    मैं और मेरी तन्हाई
    अक्सर ये बाते करते हैं

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  6. 📝दैनंदिनी यानि ब्लॉग लेखन📝
    🥰अपने आप में होता कमाल🥰
    🙋‍♂️रूपा ओस की बूंद ब्लॉग है🙋‍♂️
    👌अपने आप में ही बेमिसाल👌
    🙌दुर्लभ बातें लिखते-लिखते🙌
    ✌कैसे बीत गए हैं पूरे 2 साल✌
    👇2 साल में रूपा के ब्लॉग ने👇
    👏मचा दी है लेखन में धमाल👏
    🙏दुआ है लोकप्रियता मिलती🙏
    👣रहे ब्लॉग को साल दर साल👣
    📝🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏📝

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  7. Very nice

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