घड़े - पत्थर का न्याय : पंचतंत्र / Ghade Patthar ka nyay : Panchtantra

घड़े - पत्थर का न्याय 

बलवन्तं रिपु दृष्ट्वा न वामान प्रकोप्येत् 

शत्रु अधिक बलशाली हो तो क्रोध प्रकट न करें, शांत हो जाए।

घड़े - पत्थर का न्याय : पंचतंत्र / Ghade Patthar ka nyay : Panchtantra

समुद्र तट के एक भाग में एक टिटिहरी का जोड़ा रहता था। अंडे देने से पहले टिटिहरी ने अपने पति को किसी सुरक्षित प्रदेश की खोज करने के लिए कहा। 

टिटिहरे ने कहा - यहां सभी स्थान पर्याप्त सुरक्षित हैं, तू चिंता ना कर। 

टिटिहरी - समुद्र में जब ज्वार आता है, तो उसकी लहरें मतवाले हाथी को भी खींच कर ले जाती हैं, इसलिए हमें इन लहरों से दूर कोई स्थान देख रखना चाहिए।

घड़े - पत्थर का न्याय : पंचतंत्र / Ghade Patthar ka nyay : Panchtantra

टिटिहरा - समुंद्र इतना दुस्साहसी नहीं है कि वह मेरी संतान को हानि पहुंचाए। वह मुझसे डरता है। इसलिए तू निःशंक होकर यहीं तट पर अंडे दे। 

समुद्र ने टिटहरी की यह बातें सुन ली। उसने सोचा, यह टिटिहरा बहुत अभिमानी है। आकाश की ओर टॉंगे करके भी इसलिए सोता है कि इन टॉंगों पर गिरते हुए आकाश को थाम लेगा। इसका अभिमान भंग होना चाहिए। यह सोचकर उसने ज्वार आने पर टिटिहरी के अण्डों को लहरों में बहा दिया।

 टिटिहरी जब दूसरे दिन आई तो अण्डों को बहता देखकर रोती बिलखती टिटिहरे से बोली - मूर्ख! मैंने पहले ही कहा था कि समुंद्र की लहरें इन्हें बहा ले जाएँगी, किंतु तूने अभिमानवश मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया। अपने प्रियजनों के कथन पर भी जो कान नहीं देता उसकी वही दुर्गति होती है जो उस मूर्ख कछुए की हुई थी। जिसने रोकते-रोकते भी मुख खोल दिया था।

घड़े - पत्थर का न्याय : पंचतंत्र / Ghade Patthar ka nyay : Panchtantra

टिटिहरे ने टिटिहरे से पूछा -कैसे?  

टिटिहरे ने तब मूर्ख कछुए की कहानी सुनाई :

हितैषी की सीख मानो

To be continued ...

16 comments:

  1. अच्छी कहानी

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  2. Veri nice story written in excellent manner. A purposeful thought proces

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  3. Good story 👏👏👏

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  4. अच्छी और शिक्षा प्रद कहानी

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  5. अपने लोगों की बात पर निश्चित रूप से गहन विचार करना चाहिए। समुद्र से पंगा, पागल
    शिक्षाप्रद कहानी

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  6. बहुत अच्छी कहानी।

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