हरिमंदिर साहिब (Golden Temple), स्वर्ण मन्दिर

हरिमंदिर साहिब (Golden Temple)
हरिमंदिर साहिब (Golden Temple), स्वर्ण मन्दिर
श्री हरिमन्दिर साहिब (पंजाबी भाषा: ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ; हरिमंदर साहिब, हरमंदिर साहिब) सिख धर्मावलंबियों का सबसे पावन धार्मिक स्थल या सबसे प्रमुख गुरुद्वारा है, जिसे दरबार साहिब या स्वर्ण मन्दिर भी कहा जाता है। इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है, इसलिए इसे 'स्वर्ण मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है।

भारत दक्षिण एशिया का सबसे ज्यादा धरोहर स्थल वाला देश है। भारत का इतिहास और संस्कृति गतिशील है और यह मानव सभ्यता की शुरुआत तक जाती है। यह सिंधु घाटी की रहस्यमई संस्कृति से शुरू होती है और भारत के दक्षिणी इलाकों के किसान समुदाय तक जाती है। इस क्रम में हमने कई दक्षिण भारतीय मंदिरों के बारे में चर्चा किया है। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज विश्व प्रसिद्ध पंजाब के धार्मिक स्थल हरिमंदिर साहिब के विषय में जानते हैं।
हरिमंदिर साहिब (Golden Temple), स्वर्ण मन्दिर
यह भारत के राज्य पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है और यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है।स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।अमृतसर का नाम वास्तव में उस सरोवर के नाम पर रखा गया है जिसका निर्माण गुरु रामदास ने स्वयं अपने हाथों से किया था। यह गुरुद्वारा इसी सरोवर के बीचों बीच स्थित है। इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है।

वैसे तो स्वर्ण मंदिर से आप सभी अवगत होंगे, फिर भी मेरी कोशिश है कि कुछ नई बात आप तक पहुंचाई जाए।

स्वर्ण मंदिर की नींव सिक्खों के चौथे गुरू 'रामदास जी' ने रखी थी।कुछ स्रोतों में यह कहा गया है कि गुरु जी ने लाहौर के एक सूफी संत 'मियां मीर' से दिसंबर 1588 में इस गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी। स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट करने का प्रयास हो चुका है लेकिन भक्ति और आस्था के कारण सिखों ने इसे दोबारा बना दिया। इसे दोबारा 17वीं सदी में भी महाराज सरदार 'जस्सा सिंह अहलूवालिया' द्वारा बनाया गया था। जितनी बार भी या नष्ट किया गया है और जितनी बार भी यह बनाया गया है उसकी हर घटना को मंदिर में दर्शाया गया है। अफगान हमलावरों ने 19वीं सदी में इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया था। तब 'महाराजा रणजीत सिंह' ने इसे दोबारा बनवाया था और इसे सोने की परत से सजाया था।

लगभग 400 साल पुराने इस गुरुद्वारे का नक्शा खुद गुरु 'अर्जुन देव जी' ने तैयार किया था। यह गुरुद्वारा शिल्प सौंदर्य की अनूठी मिसाल है। इसकी नक्काशी और बाहरी सुंदरता देखते ही बनती है। गुरुद्वारे के चारों ओर दरवाजे हैं, जो चारों दिशाओं (पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण) में खुलते हैं। उस समय भी समाज 4 जातियों में विभाजित था और कई जातियों के लोगों को अनेक मंदिरों आदि जगहों में जाने की इजाजत नहीं थी, लेकिन इस गुरुद्वारे में यह चारों दरवाजे उस चारों जातियों को यहां आने के लिए आमंत्रित करते थे। यहां हर धर्म के अनुयायियों का स्वागत किया जाता है।
हरिमंदिर साहिब (Golden Temple), स्वर्ण मन्दिर

स्वर्ण मंदिर की चर्चा बिना सरोवर की चर्चा के अधूरी है। स्वर्ण मंदिर सरोवर के बीच में बना हुआ है, जो एक पुल द्वारा किनारे से जुड़ा हुआ है। इस सरोवर में श्रद्धालु स्नान करते हैं। यह मछलियों से भरी हुई है। दुख भंजनी बेरी नामक एक स्थान भी है। गुरुद्वारे की दीवार पर अंकित किवदंती के अनुसार एक बार एक पिता ने अपनी बेटी का विवाह कोढ़ ग्रस्त व्यक्ति से कर दिया। उस लड़की को यह विश्वास था कि हर व्यक्ति के समान कोढ़ी व्यक्ति भी ईश्वर की दया पर जीवित है। वही उसे खाने के लिए सब कुछ देता है। एक बार वो लड़की अपने पति को इसी तालाब के किनारे बैठा कर गांव में भोजन की तलाश में निकल गई। तभी वहां अचानक एक कौवा आया, उसने तालाब में डुबकी लगाई और हंस बनकर बाहर निकला। ऐसा देखकर कोढ़ ग्रस्त व्यक्ति बहुत हैरान हुआ और सोचा कि अगर मैं भी इस तालाब में चला जाऊं तो कोढ़ से निजात मिल जाएगी। यह सोच व तालाब में छलांग लगा दिया और बाहर आने पर उसने देखा कि उसका कोड नष्ट हो गया है। यह वही सरोवर है, जिसमें आज हरिमंदिर साहिब स्थित है।

गुरुद्वारे के साथ लंगर की चर्चा लाजमी है। गुरुद्वारों की यह बहुत बड़ी विशेषता है कि वहां आने वाले श्रद्धालु कभी भूखे नहीं रहते। वहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खाने पीने की पूरी व्यवस्था होती है। यह लंगर 24 घंटे खुला रहता है। खाने पीने की व्यवस्था गुरुद्वारे में आने वाले चढ़ावे और दूसरे कोषों से होती है। अनुमान है कि करीब 40000 लोग रोज यहां लंगर का प्रसाद ग्रहण करते हैं। सिर्फ भोजन ही नहीं, यहां श्री गुरु रामदास सराय में गुरुद्वारे में आने वाले लोगों के लिए ठहरने की भी व्यवस्था है। इस सराय का निर्माण सन 1784 में किया गया था। यहां 228 कमरे और 18 बड़े हाल हैं। यहां पर रात गुजारने के लिए गद्दे व चादर मिल जाती हैं।

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Golden Temple

Sri Harimandir Sahib is the most sacred shrine or most prominent gurudwara of the Sikh faith, also known as Darbar Sahib or Golden Temple.
हरिमंदिर साहिब (Golden Temple), स्वर्ण मन्दिर

 India is the highest heritage site in South Asia. The history and culture of India is dynamic and goes back to the beginning of human civilization. It begins with the mystical culture of the Indus Valley and extends to the peasant community in the southern regions of India. In this sequence, we have discussed about many South Indian temples. Taking this step further, today we know about the world famous religious place of Punjab, Harimandir Sahib.

 It is located in the city of Amritsar in the Indian state of Punjab and is the biggest attraction here. The entire city of Amritsar is located around the Golden Temple. Thousands of devotees and tourists visit the Golden Temple every day. Amritasar is actually named after the lake which was constructed by Guru Ramdas himself. This Gurudwara is situated in the middle of this lake. The exterior of this gurudwara is made of gold and hence it is known as the Golden Temple.

 Although you will all be aware of the Golden Temple, yet I try to bring something new to you.

 The foundation of the Golden Temple was laid by the fourth Sikh Guru 'Ramdas Ji'. In some sources it is said that Guru Ji had laid the foundation of this gurudwara in December 1588 from 'Mian Mir', a Sufi saint of Lahore. There have been attempts to destroy the Golden Temple many times but due to devotion and faith the Sikhs rebuilt it. It was again rebuilt in the 17th century by Maharaja Sardar 'Jassa Singh Ahluwalia'. The number of times it has been destroyed or destroyed, and every event of its construction has been shown in the temple. It was completely destroyed by Afghan invaders in the 19th century. Then 'Maharaja Ranjit Singh' rebuilt it and decorated it with a layer of gold.

 The map of this gurudwara, about 400 years old, was prepared by Guru 'Arjun Dev Ji' himself. This Gurudwara craft is a unique example of beauty. Its carving and external beauty are made on seeing it. There are doors around the gurudwara, which open in all four directions (east, west, north, south). At that time also the society was divided into 4 castes and people of many castes were not allowed to go to many temples etc. but in this gurudwara these four doors used to invite that four castes to come here. Followers of every religion are welcomed here.


 The discussion of the Golden Temple is incomplete without the discussion of the lake. The Golden Temple is built in the middle of the lake, which is connected to the shore by a bridge. Devotees take a bath in this lake. It is full of fish. There is also a place called Dukh Bhanjani Beri. According to the legend inscribed on the wall of the gurudwara, once a father married his daughter to a person with a code. The girl believed that a Wakodi person like every person is alive at the mercy of God. He gives her everything to eat. Once that girl, sitting her husband on the bank of this pond, went out in search of food in the village. Then suddenly a crow came there, he dived in the pond and came out as a swan. Seeing this, the code-ridden person was very surprised and thought that if I too go to this pond, I will get relief from the court. This thinking and leaped into the pond and on coming out, he saw that his code was destroyed. This is the same lake in which Harimandir Sahib is located today.


 The discussion of the langar with the gurudwara is natural. It is a great feature of Gurudwaras that the devotees who visit there never go hungry. There is a complete arrangement to eat food for the devotees who come there. This anchor is open 24 hours. Eating and drinking are arranged through offerings to the gurudwara and show to others. It is estimated that around 40,000 people receive langar offerings here every day. Not only food, there is also a stay here for the people coming to the gurudwara at Sri Guru Ramdas Sarai. This inn was built in 1784. It has 228 rooms and 18 large halls. Mattresses and sheets are available here to spend the night.
हरिमंदिर साहिब (Golden Temple), स्वर्ण मन्दिर

23 comments:

  1. Jo bole so nihal... sat shri akal...
    Shayad hi koi bhartiya nagrik hoga...jo Golden Temple ka naam na suna ho...sikh dharm ka sabse famous gurudwara...pr iski khasiyat nahi pta thi....gurudware me langer(prasaad) ki vyawastha sabse rochak ha...🙏🙏

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  2. Wahe guru ji da khalsa waheguru ji di fateh

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  3. Charon dwaro ka concept bahut sahi ha....gurudware ki mahima aparampaar ha...

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  4. दीपावली यहां की बहुत खूबसूरत होती है

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  5. I too have read about this really incredible

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  6. मैं यहां गई हूं बहुत ही पावनऔर साफ़ सुथरी जगह है इतने सारे
    लोग यहां आते हैं दर्शन और लंगर के लिए, लेकिन एक तिनका की भी गंदगी नहीं दिखाई देती
    इसइतनी विस्तृत जानकारी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद

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  7. Bahut pawan jagah...yhan ja ke bahut shanti milti...

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  8. 🙏🙏satshriakal

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  9. wahe guru ji da khalsa wahe guru ji di fateh

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  10. पावन स्थान। सभी को अवश्य जाना चाहिए।

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  11. Waheguru...Waheguru...Incredible India..

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  12. Wahe guru ji da khalsa , wahe guru ji di fateh 🙏

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  13. Incredible...waheguru...satnaam waheguru

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  14. स्वर्ण मंदिर का नाम तो लगभग हर भारतीय ने सुना होगा लेकिन मंदिर के विषय में इतनी विस्तृत जानकारी कम ही लोगों को होगी, सरोवर की भी अच्छी जानकारी मिली, साधुवाद

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  15. wahe guru ji da khalsa...wahe guru ji di fateh...

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  16. Waheguru ji 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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