कुछ पल...
जीवन से विदा लेना, एक अटल सत्य
उसमें जो खोया, वो हमारे वश में नहीं था।
मगर हमने खोया...
वह वक्त जो हमें मिला था,
प्रेम करने के लिये, प्रेम पाने के लिये।
खूबसूरत एहसासों को जीने के लिये,
जी भर कर मुस्कुराने के लिये।
हम नहीं सुन सके वह गीत,
जो झरनों ने गाया, बस हमारे लिये,
शोर-शराबों के उत्सव होते ही रहे
छत पर रोज राह तकता रहा
चाँद तारों का शामियाना।
फूलों की पंखुड़ियाँ, चटक कर खिली
फिर उदास हो झर गई आंगन में।
इंतज़ार करती रही एक कविता
काग़ज़ों के बोझ तले,
कि इक दिन तुम उसे जरुर गुनगुनाओगे।
मगर.. वक्त फिसलता रहा
हाथों से रेत की मानिन्द
हमने खोया....
किसी का विश्वास,
किसी का निश्छल प्रेम,
दुआएं पाने के पल, बस बनाते रहे,
कुछ आभासी शीशमहल।
आ जाओ ना!
सब कुछ खो जाने से पहले,
थोड़ा-सा ही सही,
कुछ पा लें जो हमारे वश में है...
लफ्जों में क्या बताएं..❣️"
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 10 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteHpy sunday
ReplyDeleteWahhhh
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