क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता | Wasim Barelvi (वसीम बरेलवी)

क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता

क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता | Wasim Barelvi (वसीम बरेलवी)

"कोई इशारा, दिलासा, ना कोई वादा मगर,
 जब आई शाम, तेरा इंतजार करने लगे..❣️"

क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता 

आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता


तू छोड़ रहा है तो ख़ता इस में तिरी क्या 

हर शख़्स मिरा साथ निभा भी नहीं सकता


प्यासे रहे जाते हैं ज़माने के सवालात 

किस के लिए ज़िंदा हूँ बता भी नहीं सकता


घर ढूँड रहे हैं मिरा रातों के पुजारी 

मैं हूँ कि चराग़ों को बुझा भी नहीं सकता


वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाए 

ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं

-- वसीम बरेलवी

Rupa Oos ki ek Boond

"ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं,
 तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी..❣️"


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