तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की | गुलज़ार (Gulzar)

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की | गुलज़ार (Gulzar)

"बहुत लंबी खामोशी से गुजरा हूं मैं,
 किसी के कुछ कहने के इंतजार में..❣️"

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की 

क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की


नींद में कोई अपने-आप से बातें करता रहता है 

काल-कुएँ में गूंजती है आवाज़ किसी सौदाई की


सीने में दिल की आहट जैसे कोई जासूस चले 

हर साए का पीछा करना आदत है हरजाई की


आँखों और कानों में कुछ सन्नाटे से भर जाते हैं 

क्या तुम ने उड़ती देखी है रेत कभी तन्हाई की


तारों की रौशन फ़सलें और चाँद की एक दरांती थी 

साहू ने गिरवी रख ली थी मेरी रात कटाई की

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 20 जनवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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    1. पांच लिंकों के आनन्द में इस रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार 💐

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  2. वाह! सुन्दर सृजन

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  3. बहुत खूब

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  4. बेहतरीन

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  5. Wahhhhhhhhhh... very nice

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  6. संजय कुमारMarch 1, 2025 at 11:09 PM

    🙏🙏💐💐
    🕉शुभरात्रि वंदन 🕉
    🚩🚩जय श्री राधेकृष्ण🚩🚩
    🚩🚩राधे राधे 🚩🚩
    👍👍👍🙏🙏💐💐

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