कविता
"अगर कभी टकराते होगें मेरे अल्फाज तुम्हारे दिल से..
जरा सोंचो तो क्या बितती होगी मुझ पर..❣️"
जरा सोंचो तो क्या बितती होगी मुझ पर..❣️"
कविता उतरती हैं
सफ़ेद कोरे कागज पर
अपने पूरे भाव
श्रृंगार के साथ
शब्दों में पिरो कर
अपनी आत्मा को
कवि उकेरता हैं
एक किस्सा
निचोड़ा है उसने एक एक शब्द
अपने अनुभव की धूप से
तब कहीं जाकर रचता है
एक अद्भुत कलजयी रचना
सम्मोहित होता
अपनी रचना पर स्वयं
जन्मदाता होता है ज्यों
अपनी अनुकृति पर
प्रणाम हैं हर कवि की कल्पना को ||
"कभी यूँ भी तो हो,
ये नर्म मुलायम ठंडी हवायें,
जब पास से तुम्हारे गुज़रें,
तुम्हारी ख़ुश्बू चुरायें
और मुझ तक ले आयें..❣️"
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 30 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteपांच लिंकों के आनन्द में इस रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार 💐
DeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteNice
ReplyDelete🙏🙏💐💐
ReplyDelete🕉शुभरात्रि वंदन🕉
🚩🚩जय जय श्री कृष्ण🚩🚩
🚩🚩राधे राधे 🚩🚩
👍👍👍बहुत खूब राइटर जी 😊
🙏🙏आपका बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
very nice m jahan
ReplyDeleteप्रेम की सुगंध में भीगी सुंदर रचना
ReplyDeleteHpy monday 🥰
ReplyDeleteआदरणीय कवि की कोशिश ही होती है एक एक शब्द निचोड़ना । सुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteकविता स्वयं मेजन एक सुंदर कल्पना है जीवन है
ReplyDeleteHappy Sunday ☺️
ReplyDelete☺️☺️ This bench's fortunes changed because you sat on it ☺️☺️