इस विशद विश्व-प्रहार में - शिव मंगल सिंह 'सुमन'

इस विशद विश्व-प्रहार में 

Rupa Oos ki ek Boond
"ये बेफिक्र सी सुबह,
और गुनगुनाहट शामों की..

ज़िन्दगी खूबसूरत है अगर 
आदत हो मुस्कुराने की..❣️❣️"

इस विशद विश्व-प्रहार में 

किसको नहीं बहना पड़ा 

सुख-दुख हमारी ही तरह, 

किसको नहीं सहना पड़ा 

फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, 

मुझ पर विधाता वाम है, 

चलना हमारा काम है। 


मैं पूर्णता की खोज में 

दर-दर भटकता ही रहा 

प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ 

रोड़ा अटकता ही रहा 

निराशा क्यों मुझे? 

जीवन इसी का नाम है, 

चलना हमारा काम है। 


साथ में चलते रहे 

कुछ बीच ही से फिर गए 

गति न जीवन की रुकी 

जो गिर गए सो गिर गए 

रहे हर दम, 

उसी की सफलता अभिराम है, 

चलना हमारा काम है। 


"शिव मंगल सिंह 'सुमन'"

Rupa Oos ki ek Boond

"भरोसा न करना सुनी सुनाई बातों पर
उसूल जैसे भी हों बदल जाते हैं हालातों पर.
.❣️❣️"

6 comments:

  1. वाह वाह क्या बात है

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  2. इतवार की खुशनुमा सुबह ❤️

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  3. यह जो परी है चांद से भी हंसी है और उसके साथ रवि का चांद मान को खुश दिल को बाग-बाग कर देता है

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  4. संजय कुमारOctober 14, 2024 at 4:37 AM

    🙏🙏💐💐
    🕉️सुप्रभात🕉️☕️☕️
    🙏जय श्री राधा माघव 🚩🚩🚩
    🙏आप का दिन मंगलमय हों 🙏
    🚩🚩राधे राधे 🚩🚩
    👌👌वाह... बहुत खूब...आपका बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
    🙏श्री कृष्ण जी की कृपा से आप हमेशा स्वस्थ मस्त सुखी और खुश रहे 🙏
    🙏अपना ख्याल रखिये 🙏

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