अर्जुन की छाल (Arjun ki Chhal)

अर्जुन की छाल (Arjun ki Chhal)

अर्जुन की छाल में अनेक प्रकार के रासायनिक घटक पाए जाते हैं। इसमें कैल्शियम कार्बोनेट, सोडियम, मैग्नीशियम प्रमुख हैं। सोडियम- कैल्शियम की प्रचुरता के कारण ही यह हृदय की मांसपेशियों में सूक्ष्म स्तर पर कार्य करता है।अर्जुन से हृदय की मांसपेशियों को बल मिलता है। हृदय की पोषण क्रिया अच्छी होती है।

अर्जुन की छाल (Arjun ki Chhal) के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

अर्जुन क्या है?

यह बहुगुणी सदाहरित पेड़ है। इस पर वैशाख - ज्येष्ठ में फूल खिलते हैं और जाड़े में फल आते हैं। यह वृक्ष लगभग हर जगह जंगलों में पाया जाता है।

जानते हैं अर्जुन के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

सदियों से आयुर्वेद में सदाबहार वृक्ष अर्जुन को औषधि के रुप में ही इस्तेमाल किया गया है। आम तौर पर अर्जून की छाल और रस का औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। अर्जून नामक बहुगुणी सदाहरित पेड़ की छाल यानि अर्जुन की छाल के फायदे का प्रयोग हृदय संबंधी बीमारियों , क्षय रोग यानि टीबी जैसे बीमारी के अलावा सामान्य कान दर्द, सूजन, बुखार के उपचार के लिए किया जाता है।

कान का दर्द 

तीन चार बूंद अर्जुन के पत्ते का रस कान में डालने से कान का दर्द कम होता है

हृदय रोग में

अर्जुन की छाल के फायदे हृदय रोग में सबसे ज्यादा होते हैं। 5 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण को 250 मिली लीटर दूध और लगभग समभाग पानी डालकर धीमी आंच पर पकाएं। जब दूध मात्र शेष रह जाए तब उसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर नित्य प्रातः पीने से ह्रदय संबंधी विकारों का शमन होता है। यह पेय ज्वर युक्त, अतिसार और रक्तपित्त में भी लाभदायक है।

अर्जुन की छाल (Arjun ki Chhal) के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

एसिडिटी से राहत

अर्जुन की छाल एसिडिटी से राहत दिलाने में बहुत ही मददगार होती है।

हड्डी को जोड़ने में

यह हड्डी को जोड़ने में भी फायदेमंद है। अर्जुन छाल का प्रयोग करने से हड्डी के दर्द से ना सिर्फ आराम मिलता है बल्कि हड्डी जुड़ने में भी सहायता मिलती है।

कुष्ठ रोग में

अर्जुन छाल के एक चम्मच चूर्ण को जल या दूध के साथ सेवन करने से एवं इसकी छाल को जल में घीसकर त्वचा पर लेप करने से कुष्ठ रोग में तथा वर्ण में लाभ होता है।

अर्जुन की छाल (Arjun ki Chhal) के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

अल्सर का घाव

कभी-कभी अल्सर का घाव सूखने में बहुत देर लगता है या फिर सूखने पर पास ही दूसरा घाव निकल आता है। ऐसे में अर्जुन छाल का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है। अर्जुन छाल को कूटकर काढ़ा बनाकर अल्सर के घाव को धोने से भी लाभ होता है।

मुहांसों से भी छुटकारा 

की छाल मुहांसों से भी छुटकारा दिलाता है यह चेहरे की कांति भी बढ़ाता है अर्जुन की छाल के चूर्ण को मधुमेह मिलाकर लेप करने से मुहांसों से छुटकारा मिलता है।

सूजन में फायदेमंद 

अर्जुन छाल का काढ़ा बनाकर पीने से शरीर के किसी भी अंग की सूजन कम होती है।

डायबिटीज में फायदेमंद 

अर्जुन की छाल, नीम की छाल, आमलकी छाल, हल्दी तथा नीलकमल के समभाग चूर्ण को पानी में पकाकर शेष काढ़ा बनायें। बचाकर, 10-20 मिली काढ़े में मधु मिलाकर रोज सुबह सेवन करने से पित्तज-प्रमेह में लाभ होता है।            

अर्जुन की छाल (Arjun ki Chhal) के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

रक्तप्रदर (अत्यधिक रक्तस्राव) में फायदेमंद

महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान जब औसतन दिन से ज्यादा और मात्रा में ज्यादा रक्त का स्राव होता है उसको रक्तप्रद कहते हैं। अर्जुन छाल के फायदे अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने में  बहुत मदद करते हैं। इसके लिए 1 चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को 1 कप दूध में उबालकर पकाएं, आधा शेष रहने पर थोड़ी मात्रा में मिश्री मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करें। इसके सेवन से रक्तप्रदर में लाभ होता है।

बुखार में फायदेमंद 

  • अगर मौसम के बदलने के वजह से या किसी संक्रमण के कारण बुखार हुआ है तो उसके लक्षणों से राहत दिलाने में अर्जुन बहुत मदद करता है।
  • अर्जुन छाल का काढ़ा या अर्जुन की छाल की चाय बनाकर  20 मिली मात्रा में पिलाने से बुखार से राहत मिलती है।
  • 1 चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को गुड़ के साथ सेवन करने से बुखार का कष्ट कम होता है।

क्षय रोग या टीबी में 

क्षय रोग या तपेदिक के लक्षणों से आराम दिलाने में अर्जुन का औषधीय गुण काम करता है। अर्जुन की त्वचा, नागबला तथा केवाँच बीज चूर्ण (2-4 ग्राम) में मधु, घी तथा मिश्री मिलाकर दूध के साथ पीने से क्षय, खांसी रोगों  से जल्दी राहत मिलती है।

अर्जुन की छाल (Arjun ki Chhal) के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

अन्य भाषाओं में अर्जुन के नाम

Sanskrit-    अर्जुन, नदीसर्ज :  , वीरवृक्ष, वीर, धनंजय, कौंतेय, पार्थ :   धवल;
Hindi    -अर्जुन, काहू, कोह, अरजान, अंजनी, मट्टी, होलेमट्ट;
Odia-    ओर्जुनो 
Urdu    -अर्जन 
Assamese-    ओर्जुन 
Konkani-    होलेमट्टी
Kannada-    मड्डी , बिल्लीमड्डी , निरमथी, होलेमट्टी 
Gujrati-    अर्जुन , सादादो, अर्जुनसदारा 
Tamil-    मरुदु, अट्टूमारूतू, निरमारूदु, वेल्लईमरुदु 
Telegu-    तैललामद्दि, इरमअददी, येरमददी 
Bengali-    अर्जुन गाछ, अरझान
Nepali-    काहू 
Panjabi-    अरजन 
Marathi-    अंजन , सावीमदात
Malayalam-    वेल्लामरुटु 
English-        White murdah
Arbi-    अर्जुन पोस्त 
अर्जुन की छाल (Arjun ki Chhal) के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

आमतौर पर अर्जुन की छाल और रस का औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। नवंबर, दिसंबर, जनवरी और फरवरी यह वात के महीने हैं अर्थात इन महीनों में वात से संबंधित बीमारियां ज्यादा होती हैं। अर्जुन की छाल एक बेहतरीन वात नाशक है। अर्जुन की छाल का काढ़ा हमेशा औषधि के रूप में ही पिएं। यह काढ़ा रक्त से कचरे को साफ कर देता है, जिससे हृदयघात जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।नवंबर, दिसंबर, जनवरी और फरवरी इन 4 महीनों में अर्जुन की छाल का काढ़ा अवश्य पीना चाहिए।

अर्जुन की छाल (Arjun ki Chhal) के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

एक कप दूध में आधा चम्मच अर्जुन छाल का पाउडर डालकर काढ़ा बनाएं और इसमें गुड, मिश्री या खांड डालकर इसका सेवन करें। किसी भी काढ़े के सेवन का उपयुक्त समय सुबह का होता है।

8 comments:

  1. पवन कुमारDecember 4, 2023 at 2:21 PM

    वात पित्त और कफ नाशक अर्जुन के पेड़ के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने के लिए आपका आभार🙏🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  2. 🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
    🙏जय जय सियाराम 🚩🚩🚩
    👌👌👌उपयोगी, लाभकारी व स्वास्थ्यवर्धक जानकारी शेयर करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐

    ReplyDelete
  3. बहुत ही उपयोगी जानकारी 👌👌✌️

    ReplyDelete
  4. Good information

    ReplyDelete