मैंने गाकर दुख अपनाए - हरिवंशराय बच्चन

मैंने गाकर दुख अपनाए

मैंने गाकर दुख अपनाए - हरिवंशराय बच्चन

"जरूरी नहीं कि मिठाई खिलाकर ही दूसरों का मुंह मीठा करें, 
 हम मीठा बोलकर भी लोगों को खुशियां दे सकते हैं.."

मैंने गाकर दुख अपनाए!

कभी न मेरे मन को भाया,

जब दुख मेरे ऊपर आया,

मेरा दुख अपने ऊपर ले कोई मुझे बचाए!

मैंने गाकर दुख अपनाए!


कभी न मेरे मन को भाया,

जब-जब मुझको गया रुलाया,

कोई मेरी अश्रु धार में अपने अश्रु मिलाए!

मैंने गाकर दुख अपनाए!


पर न दबा यह इच्छा पाता,

मृत्यु-सेज पर कोई आता,

कहता सिर पर हाथ फिराता-

’ज्ञात मुझे है, दुख जीवन में तुमने बहुत उठाये!

मैंने गाकर दुख अपनाए!

- हरिवंशराय बच्चन

Good Morning

"ख़ुशी उपलब्धि पाने के उत्त्साह 
और रचनात्मक प्रयास के रोमांच में निहित है.."

14 comments:

  1. Nice poem...happy Sunday.

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  2. गाकर दुख खुद के अपनाए

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  3. बढ़िया कविता।
    शुभ रविवार

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  4. Rustam singh vermaMay 21, 2023 at 4:14 PM

    बहुत सुंदर कविता
    बच्चन जी की रचनाएं साहित्य संसार में सदैव अमर रहेंगी

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  5. पवन कुमारMay 21, 2023 at 5:30 PM

    क्या कहना 🙏हरिवंशराय बच्चन की हरेक रचना
    एक से बढ़ कर एक है🙏

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  6. Happy Sunday

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  7. संजय कुमारMay 22, 2023 at 7:41 AM

    🙏🙏💐💐सुप्रभात 🕉️
    🙏जय शिव शम्भू 🚩🚩🚩
    🙏आप का दिन शुभ हो 🙏
    🙏हर हर महादेव 🚩🚩🚩
    👌👌बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, धन्यवाद 🙏🙏🙏💐💐

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  8. खुशियों में गंभीरता तथा दुख में खुशी ढूनना चाहिए।


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