खो गई वो.. चिट्ठियाँ...

खो गई वो.. चिट्ठियाँ...

Rupa Oos Ki Ek Boond
"लिखा है अपने नाम से, अपने पते पर खत..
मुद्दतों बाद, मैं अपना खबर चाहती हूं..❣️"

खो गई वो..
चिट्ठियाँ...
जिनमें लिखने के सलीके छुपे होते थे,
कुशलता की कामना से शुरू होते थे..
बड़ों के चरणस्पर्श पर ख़त्म होते थे!
और बीच में लिखी होती थी जिंदगी...
नन्हें के आने की खबर
मां की तबियत का दर्दं
और पैसे भेजने का अनुनय
फसलों के खराब होने की वजह!
कितना कुछ सिमट जाता था
एक नीले से कागज में..
जिसे नवयौवना भाग कर सीने से लगाती
और अकेले में आंखों से आंसू बहाती!
मां की आस थी
पिता का संबल थी
बच्चों का भविष्य थी
और गांव का गौरव थी ये चिट्ठियाँ!
डाकिया चिट्ठी लाएगा
कोई बांच कर सुनाएगा
देख देख चिट्ठी को
कई कई बार छू कर चिट्टी को
अनपढ़ भी
एहसासों को पढ़ लेते थे!
अब तो स्क्रीन पर अंगूठा दौड़ता है,
और अक्सर ही दिल तोड़ता हैं..
मोबाइल का स्पेस भर जाए तो,
सब कुछ दो मिनिट में डिलीट होता है!
सब कुछ सिमट गया छै इंच में
जैसे मकान सिमट गए फ्लैटों में
जज्बात सिमट गए मैसेजों में
चूल्हे सिमट गए गैसों में,
और इंसान सिमट गए पैसों में..

स्रोत: फेसबुक 
Rupa Oos Ki Ek Boond
"कुछ खत निकाल रखे हैं, जलाने को..
कागज तो धुआं हो जायेंगे, पर कहानी का क्या..❣️"

19 comments:

  1. Maine bhi student life me badi chitthiyan likhi thi, purani yadein taza ho gyi

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  2. Wakai me wo bhi kya din the..aaj msg bhejna bada hi saral ho gya hai, har waqt har pal msg ho sakte, reply bhi turant aa jata...par wo pahle wali feeling na rahi...jo lambe intzaar ke baad khat padhkar aati thi..

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  3. दिलों के जज़्बात भेजने का तरीका बदल गया है। इलेक्ट्रॉनिक मेल और मोबाइल फोन के उदय के बाद एक तरफ जीवन आसान हो गया तो दूसरी तरफ कहीं न कहीं लोगों के प्यार और अपनेपन में कुछ कमी अवश्य आयी। परंतु परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हम अपनी जीवन शैली की आसान,सुगम बनाते जा रहे हैं।जिंदगी भागते -दौड़ते बीत रही है। चिट्ठियों की कमी अवश्य खलती है। आजकल के बच्चों को अगर चिट्ठियों में लिखे आनंद का एहसास नही है तो वे भी ऐसे बहुत से कार्य कर रहे हैं जिसकी बचपन मे हम लोगों ने कल्पना भी नही की थी।
    आज की पोस्ट भावना प्रधान है और निश्चित ही हमारे दिलों में बसी पुराने यादों को वापस लाने में सफल है।
    शुभ रविवार

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  4. दिलों के जज़्बात भेजने का तरीका बदल गया है। इलेक्ट्रॉनिक मेल और मोबाइल फोन के उदय के बाद एक तरफ जीवन आसान हो गया तो दूसरी तरफ कहीं न कहीं लोगों के प्यार और अपनेपन में कुछ कमी अवश्य आयी। परंतु परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हम अपनी जीवन शैली की आसान,सुगम बनाते जा रहे हैं।जिंदगी भागते -दौड़ते बीत रही है। चिट्ठियों की कमी अवश्य खलती है। आजकल के बच्चों को अगर चिट्ठियों में लिखे आनंद का एहसास नही है तो वे भी ऐसे बहुत से कार्य कर रहे हैं जिसकी बचपन मे हम लोगों ने कल्पना भी नही की थी।
    आज की पोस्ट भावना प्रधान है और निश्चित ही हमारे दिलों में बसी पुराने यादों को वापस लाने में सफल है।
    शुभ रविवार

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  5. पवन कुमारMarch 12, 2023 at 11:14 AM

    चिट्ठियां पढ़ कर जिंदगी कैसे गुलजार हुआ करती थी.......आज वह वक़्त कहीं गुम सा हो गया है।
    वह जिंदगी शायद ही कभी लौट कर वापस आएगी। बहुत ही सुंदर कविता🙏🙏🙏

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  6. पहले चिट्ठियों का महत्त्व कितना था,सारा कुछ चित्रण होता था।

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  7. Very nice . good noon ji 🙏🏻

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  8. मुझे तो याद भी नहीं की अंतर्देशीय कार्ड लास्ट कब देखा था। वाकई में यह सब तो गुजरे जमाने लगते हैं।

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  9. वाह! लिखने वाले ने क्या खूब लिखा है.. दिल को छू लेने वाली कविता...
    पुरानी यादें ताजा हो गईं 👌👌👌🥰🥰

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  10. वाह! लिखने वाले ने क्या खूब लिखा है.. दिल को छू लेने वाली कविता...
    पुरानी यादें ताजा हो गईं 👌👌👌🥰🥰

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  11. वाह वाह रूपा जी आपने तो पुरानी यादें ताजा कर दी 👌🏻🙏🏻🙏🏻😊

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