माटी के पुतले
माटी के पुतले काहे करे अभिमान,
एक दिन मिल जाना है
माटी में, फिर क्यूँ ये झूठी शान,
न दोस्त बाकी हैं आज,
न कोई रिश्ता करीब है,
आयी थी एक काली घटा,
अभी अभी पहले चंद साल,
न काम आया धन दौलत न काम आया अभिमान,
सुना था तेरे घर में कोई मरीज था
जिसकी हाल ओ खबर पूछने वाला
न कोई करीब था,
सोच जरा माटी के पुतले
उस बुरे दौर में
तेरी अभिमान भरी जिंदगी में भी तेरे साथ खड़ा कौन था,
कहा ले जाएगा अपने जाने के बाद
दौलते-अभिमान -
धरा सब यहीं रह जान है
न पूछेगे संग साथी न पूछेगी दुनिया
तेरे जाने के बाद,
ये तेरा अहंकर, यूँ ही पड़ा रह जाना है
मिट्टी का पुतला, मिट्टी में मिल जाना है
अब भी वक्त है संभल जा
ऐ मानुष थोड़ा कर दे गुरुर कम
त्याग दे अपने अहम को
ये जो दौर आया था
जहाँ खो गयी ज़िंदगी बहुत कुछ कर गयी वीरान
ऐ मिट्टी के पुतले काहे का अभिमान
ये एक दौर आया, देने सबको ज्ञान
काहे ये बेरुखी, काहे का अहंकार
सब यहीं रह जाना है, धन - दौलत - अभिमान
मिट्टी का पुतला, मिट्टी में मिल जाना है
सचमुच छोटी छोटी खुशियां ही मनुष्य को बहुत आगे ले जाती हैं। आप खुश होकर,मुस्कुराकर देखिए,दुनिया भी आपको खुश लगेगी और आपके सारे कार्य सफल होने लगेंगे।
ReplyDeleteशानदार पोस्ट।
शुभ रविवार
Very nice.. Happy Sunday
ReplyDeleteआसमानी परी जमीं पर
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है रूपा जी, और आपकी प्यारी सी मुस्कान लाजवाब❣️
ReplyDeleteमाटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोय
ReplyDeleteएक दिन ऐसा आएगा रौंदूँगी तोय
✍️-संत कबीर दास
जरूरी नहीं की हर "रिश्ते" की...कोई "पहचान" हो.
ReplyDelete:
"जज़्बात" समझने बाला भी..."अनमोल" होता हैं.✍🏻
शानदार अभिव्यक्ति 👌👌
ReplyDeleteखाली हाथ आए थे खाली हाथ जाना है..
ReplyDeleteबस प्यार के दो मीठे बोल गुनगुनाए जा..
काहे का अभिमान
माटी का इंसान, माटी में फिर मिल जाना है...
खूबसूरत👌👌
Happy sunday
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत लेखन
ReplyDeleteजीवन की अस्थिरता एवम सच्चाई का खूबसूरत चित्रण।
ReplyDeleteVery nice poem...happy Sunday.
ReplyDeleteVery nice poem with beautiful smile..
ReplyDelete"इस दुनिया में खुशी और मुस्कुराहट ही एकमात्र ऐसा खजाना है,
ReplyDeleteजिसे जितना बांटो वो और बढ़ता है..❣️"
AAP bantti rahti tabhi aapke pass bahut jyada hai.. God bless you 🌹🌹
Sahi baat hain
ReplyDeleteतेरी खुशियां मेरी मुस्कान है,
ReplyDeleteऔर मेरी मुस्कान सिर्फ तुम हो !!
सुंदर रचना।
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteLajwaab👌👌
ReplyDeleteजीवन क्षणभंगुर है,इसे हमेशा याद रखना चाहिए।
ReplyDeleteThank you.
ReplyDeleteBahut badhiya
ReplyDeleteNice panktiya
ReplyDeleteजीवन का सार है यह कविता
ReplyDeleteVery nice
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