श्रीमद्भगवद्गीता || Shrimad Bhagwat Geeta || अध्याय चार अनुच्छेद 16 - 18 ||

 श्रीमद्भगवद्गीता ||अध्याय चार ~ ज्ञानकर्मसंन्यासयोग||

अथ चतुर्थोऽध्यायः ~ ज्ञानकर्मसंन्यासयोग

अध्याय चार के अनुच्छेद 16 - 18

अध्याय चार के अनुच्छेद 16-18 में "कर्म-विकर्म एवं अकर्म की व्याख्या" है। 

श्रीमद्भगवद्गीता || Shrimad Bhagwat Geeta || अध्याय चार अनुच्छेद 16 - 18 ||

किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः ।
तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्‌॥

भावार्थ : 

कर्म क्या है? और अकर्म क्या है? इस प्रकार इसका निर्णय करने में बुद्धिमान पुरुष भी मोहित हो जाते हैं। इसलिए वह कर्मतत्व मैं तुझे भलीभाँति समझाकर कहूँगा, जिसे जानकर तू अशुभ से अर्थात कर्मबंधन से मुक्त हो जाएगा॥16॥

कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः ।
अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ॥

भावार्थ : 

कर्म का स्वरूप भी जानना चाहिए और अकर्मण का स्वरूप भी जानना चाहिए तथा विकर्म का स्वरूप भी जानना चाहिए क्योंकि कर्म की गति गहन है॥17॥

कर्मण्य कर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः ।
स बुद्धिमान्मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत्‌ ॥

भावार्थ : 

जो मनुष्य कर्म में अकर्म देखता है और जो अकर्म में कर्म देखता है, वह मनुष्यों में बुद्धिमान है और वह योगी समस्त कर्मों को करने वाला है॥18॥

13 comments:

  1. पढ़ाई के साथ साथ नैतिक शिक्षा भी अगर बच्चों को दिया जाए तो कुछ अपराध कम हो...सरकार हमारे वेदों को पढ़ाई का हिस्सा नहीं बना रही तो अपने अपने घरों में ही मां-बाप को यह संस्कार देने की जरूरत है।

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  2. कर्म में अकर्म और अकर्म में कर्म
    देखने वाला मनुष्य बुद्धिमान होता
    है तथा समस्त कर्मो को करने वाला
    वह योगी होता है।
    🌹🙏गोविंद🙏🌹तो योगिराज हैं।

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  3. ॐ भगवते वासुदेवाय नमः

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  4. जय श्री राधे कृष्णा 🙏🏻

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  5. 🙏🏻🙏🏻 श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा 🙏🏻🙏🏻
    🙏🏻🪷 जय श्री राधे कृष्णा रूपा जी 🪷🙏🏻

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  6. कर्म करना मनुष्य का अधिकार है,फल की इच्छा में नहीं।

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  7. Jai shree krishna

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  8. jai shri krishna 🙏

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  9. Shree Krishna govind hare murari he naath narayan vasudeva 🙏

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  10. जय गोविंदा जय गोपाला..🙏

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