भस्त्रिका
योग प्राणायाम के मुख्य प्रकारों में से एक है - भस्त्रिका प्राणायाम। संस्कृत में, भस्त्रिका का मतलब है 'धौंकनी'। जिस तरह लोहार हवा के तेज़ झोको से गर्मी पैदा करता है और लोहे को शुद्ध करता है, भस्त्रिका प्राणायाम उस ही तरह मन को साफ और शुद्ध करता है और प्राणिक बाधाओं को समाप्त करता है। भस्त्रिका प्राणायाम इतना ख़ास है कि योग के ग्रंथों में भी इसका उल्लेख किया गया है। हठ योग प्रदीपिका में भस्त्रिका प्राणायाम के बारे में विस्तार से बताया गया है। भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे तो इतने हैं कि इन्हें चंद शब्दों में लिखना मुश्किल है।
भस्त्रिका प्राणायाम के कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं :-
- भस्त्रिका प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थों का नाश हो जाता है और तीनों दोष (कफ, पित्त और वात) संतुलित हो जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यदि मनुष्य के शरीर मे बात,पित्त और कफ संतुलित हो जाएं तो मनष्य का शरीर निरोगी हो जाता है।
- इस प्राणायाम को करने से फेफड़ों में हवा के तेजी से अंदर-बाहर होने की वजह से रक्त से ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड की अदला-बदली ज़्यादा जल्दी होती है। इस वजह से चयापचय का दर बढ़ जाता है। शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है और विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते है। इस प्रकार यह शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक है।
- डायाफ्राम के तेजी से और लयबद्ध तरीके से काम करने से शरीर के अंदरूनी अंगों की हल्की मालिश होती है और वह उत्तेजित होते है। इस से पाचन तंत्र टोन हो जाता है।
- लेबर और डिलीवरी के दौरान महिलाओं के लिए यह एक उपयोगी अभ्यास है।
- भस्त्रिका प्राणायाम फेफड़ों में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को कम करता है। यह अस्थमा अन्य फेफड़ों के विकारों के लिए एक उत्कृष्ट अभ्यास है।
- यह गले में सूजन और कफ के संचय को कम करता है।
- यह प्राणायाम तंत्रिका तंत्र को संतुलित करता है।
भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका -
इस प्राणायाम को करने का तरीका भी बहुत सरल है। सबसे पहले किसी भी शांत वातावरण में बैठ जाएँ। सिद्धासन, वज्रासन या पद्मासन जैसे किसी भी सुविधाजनक आसन में बैठें। आखें बंद करें और थोड़ी देर के लिए शरीर को शिथिल कर लें। मूह बंद रखें। हाथों को चिन या ज्ञान मुद्रा में रखें। 10 बार दोनों नथनों से तेज़ गति से श्वास लें और छोड़ें। मन में गिनती अवश्य रखे। दोनों नाक के माध्यम से धीमी और गहराई से श्वास लें। दोनों नथ्नो को बंद कर लें और कुछ सेकंड के लिए सांस रोक कर रखें। धीरे-धीरे दोनों नथ्नो से श्वास छोड़ें। ऊपर बताए गये तरीके से बाएं, दाएं और दोनों नथनों के माध्यम से श्वास लेना एक भास्त्रिका प्राणायाम का पूरा चक्र होता है।
इस प्रक्रिया को 5 बार दोहराएँ।
भस्मिका का अभ्यास तीन अलग सांस दरों से किया जा सकता है: धीमी (2 सेकेंड में 1 श्वास), मध्यम (1 सेकेंड में 1 श्वास) और तेज (1 सेकेंड में 2 श्वास),। यहआपके शरीर की क्षमता के आधार पर निर्भर करता है। मध्यम और तेज गति का भस्त्रिका प्राणायाम केवल काफ़ी अभ्यास होने के बाद ही करें; शुरुआत में केवल धीमी गति से ही करें।
great
ReplyDeleteप्राणायाम हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग होना चाहिए
ReplyDelete।
प्राणायाम स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी है
ReplyDeleteGreat 👍
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery nice....
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी, नियमित रूप से प्राणायाम बहुत सारी शारीरिक और मानसिक विकारों को दूर करने में मदद करता है।
ReplyDeleteVery informative.
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteउपयोगी, करो योग रहो निरोग
ReplyDeleteNice
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