इतवार (Sunday)
मातृ वंदना
बलि हों तेरे चरणों पर, माँ
मेरे श्रम सिंचित सब फल
सदा मृत्यु पथ पर बढ़ कर
महाकाल के खरतर शर सह
सकूँ, मुझे तू कर दृढ़तर
मूर्ति अश्रु जल धौत विमल
दृग जल से पा बल बलि कर दूँ
जननि, जन्म श्रम संचित पल
देखूँ तुझे नयन मन भर
मुझे देख तू सजल दृगों से
अपलक, उर के शतदल पर
क्लेद युक्त, अपना तन दूंगा
मुक्त करूंगा तुझे अटल
तेरे चरणों पर दे कर बलि
सकल श्रेय श्रम संचित फल
व्याख्या-
कवि कहते हैं, हे माँ! मुझे ऐसा आत्मबल दो कि मैं अपने मनुष्य जीवन के सारे स्वार्थों और अपने परिश्रम अर्जित सभी वस्तुओं को तुम्हारे चरणों पर न्योछावर कर दें।
मुझे इतना दृढ़ बना दो कि मैं जीवनरूपी रथ पर सवार होकर अर्थात् मृत्यु की चिंता किए बिना जीवन में आगे बढ़ते हुए, समय-समय पर आने वाले बाण की तरह कष्टदायक बाधा-विघ्नों को झेलते हुए तेरी सेवा करता रहूँ।
मेरे हृदय में तेरा। आँसूओं से धुला स्वच्छ स्वरूप साकार हो जाए। मैं परतन्त्रता में दुखी और आँसू बहाते तेरे रूप को मन में बसा लूं। तेरे आँसू मुझे इतना बल प्रदान करें कि मैं अपने सारे जीवन में परिश्रम से अर्जित सभी वस्तुएँ और जीवन भी तुझ पर बलिदान कर सकें।
कवि कहते हैं, हे मातृभूमि ! चाहे मेरे मार्ग में कितनी भी बाधाएँ आएँ पर मेरा ध्यान और मेरी दृष्टि सदा तुझ पर ही लगी रहे। हे माँ ! तू अपने आँसुओं भरे नेत्रों से एकटक देखती रहना। मुझे अपने हृदयरूपी कमल पर बैठाए रखना। मेरी याद मत भूलना।
मैं परिश्रम के पसीने से भीगे अपने शरीर को तुझे समर्पित कर दूंगा। बड़े से बड़ा बलिदान देकर भी मैं संदा के लिए तुझे स्वतन्त्र करा दूंगा। मैं अपने सारे श्रेष्ठ आचरणों और परिश्रम से प्राप्त सफलताओं और कीर्ति को तुझ पर न्योछावर कर दूंगा।
"खूबी और खामी..
दोनों ही हर इंसान में होती है।
जो तराशता है उसे खूबी नज़र आती है,
जो तलाशता है उसे खामी नज़र आती है..❤"
Excellent 👍 ..Happy Sunday Rupa 🌹
ReplyDeleteHappy Sunday 😊 🌹
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteसुंदर तस्वीर खूबसूरत मुस्कुराहट के साथ मेट्रो स्टेशन की शोभा बढ़ाते
ReplyDeleteबहुत यथार्थपरक संदेश कि जीवन मे कभी किसी को छोटा नही समझना चाहिए।
ReplyDeleteमातृ भूमि की सेवा-संकल्प की प्रेरक कविता।
शुभ रविवार।
Happy sunday 👌
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteSubh ravivaar🙏
ReplyDeleteAti sundar
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteबात तो.आप की बिल्कुल सही है हर आदमी मे खूबी होती है बस कुछ लोग होते हैं जिन्हें अपने अहंकार के आगे उस सच्चे इंसान की खूबियां दियाई नही देती है।
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteHappy Sunday 🌹🌹
ReplyDeleteVery beautiful smile 😘😘😘😘❤️
ReplyDeleteVery beautiful smile 😘😘😘😘❤️
ReplyDeleteसूर्यकांत त्रिपाठी निराला की मातृ वंदना अनूठी है।शुभ रविवार।
ReplyDeleteमातृभूमि पर सब कुछ न्योछावर करने का संदेश देती अच्छी कविता, किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए सबकी अपनी अपनी महत्ता है।
ReplyDeleteशुभ रविवार
Happy Sunday
ReplyDeleteKya baat hai 👌👌
ReplyDeletePrernadayak kavita ke saath sunder tasveer..
Bful pic...happy sunday
ReplyDeleteBeautiful pic ❤️...nice poem 👌
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