समानता || Equality ||

समानता (Equality)

समानता शब्द  से आज भी हमारे समाज के बहुत से लोग अनभिज्ञ हैं। इस शब्द का महत्व हमारे लिए कितना है, इस बात की जानकारी बहुत से विद्वान अपनी पुस्तकों के माध्यम से तथा अपने लेखकों के माध्यम से लगातार हम तक पहुंचाने की कोशिश करते ही रहते हैं। समानता शब्द को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णन किया गया है। इस समानता शब्द को हमारे संविधान में रखने की वजह हमारे संविधान निर्माताओं से बेहतर कोई नहीं जान सकता है। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था। इस दिन से पूरे भारतवर्ष में सभी को समता एवं समानता का अधिकार प्राप्त हुआ। इससे पूर्व हमारे इस समाज में जाति, धर्म, मजहब, मठ आदि के आधार पर लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमारे संविधान निर्माताओं ने इस शब्द को संविधान में रखने की आवश्यकता महसूस किया। 

समानता (Equality)

समानता अधिकार का विवरण देती है, तथ्य की नहीं-समानता एक ऐसा तत्व है, जिसकी मांग अधिकारों की भांति की जाती है। यह ऐसा गुन नहीं जिसका हम विवरण दे रहे हों। दूसरे शब्दों में, हम यह कहते हैं कि मनुष्यों के साथ समानता का बर्ताव होना चाहिए; यह नहीं कहते कि मनुष्य वास्तव में समान हैं।

हाँ, कभी-कभी हम लाक्षणिक अर्थ में मनुष्यों की समानता की बात अवश्य करते हैं। उदाहरण के लिए, हम यह कहते हैं कि "सब मनुष्य जन्म से समान हैं" या "ईश्वर ने सब मनुष्यों को समान बनाया है" या यह कहते हैं कि "मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है, अतः इस दृष्टि से सब मनुष्य समान हैं।"

समानता (Equality)

इन सब बातों का अभिप्राय यह होता है कि सब मनुष्यों को समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए। हम यह दावा नहीं करते कि सब मनुष्यों की शारीरिक और मानसिक क्षमताएँ, सुन्दरता या प्रतिभा इत्यादि समान या बराबर हैं । 

भेदभाव

समानता की सकारात्मक अवधारणा कुछ भेदभाव स्वीकार करती है, शर्त यह है कि यह भेदभाव समानता की पुष्टि करे, उसका हनन न करे ।

समानता की आवश्यकता

मनुष्य के जीवन में समानता क्यों अभीष्ट है? यह एक दार्शनिक प्रश्न है। टॉनी ने इसका उत्तर देते हुए स्पष्ट किया है कि समानता का सिद्धांत ‘मानवीय आवश्यकताओँ की पूर्ति’ और ‘मानवीय क्षमताओं को फलीभूत करने’ के लिए सर्वथा उपयुक्त है। ‘जीवन और स्वाथ्य के साधन’ मनुष्य की मूल आवश्यकताएं हैं, क्योंकि इनके बिना कोई भी स्त्री-पुरुष मनुष्य की तरह कार्य नहीं कर सकता।

समानता (Equality)

समानता का अधिकार क्या है?

भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 तक समानता के अधिकार की गारंटी है। अनुच्छेद 14 कानून के तहत समानता के सामान्य मानकों को समाहित करता है और लोगों के बीच बेतुके और निराधार अलगाव को प्रतिबंधित करता है ।

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों को छह भागों के तहत इस प्रकार समूहित किया गया है:

• समानता का अधिकार जिसमें अनुच्छेद 14 से 18 शामिल हैं।
• स्वतंत्रता का अधिकार जिसमे अनुच्छेद 19 से 22 शामिल है जो कई स्वतंत्रताओं की गारंटी देता है।
• शोषण के खिलाफ अधिकार में अनुच्छेद 23 और 24 शामिल हैं ।
• धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी अनुच्छेद 25 से 28 तक है ।
• सांस्कृतिक और शिक्षा अधिकारों की गारंटी अनुच्छेद 29 और 30 द्वारा दी जाती है ।
• संवैधानिक उपचार का अधिकार अनुच्छेद 32 से 35 तक सुरक्षित है।

English Translate

Equality

Even today many people of our society are unaware of the word equality. Many scholars keep trying to convey this information to us through their books and through their authors, about the importance of this word to us. The word equality is mentioned in Article 14 of the Indian Constitution. The reason for keeping this equality word in our constitution no one can know better than our constitution makers. The Constitution came into force on 26 January 1950. From this day everyone got the right to equality and equality in the whole of India. Earlier in this society of ours, people were mistreated on the basis of caste, religion, religion, math etc. Keeping all these things in mind, our constitution makers felt the need to keep this word in the constitution.

समानता (Equality)

Equality describes a right, not a fact—equality is an element that is demanded like rights. This is not a quality that we are describing. In other words, we say that human beings should be treated equally; It does not say that human beings are really equal.

Yes, sometimes we do speak of human equality in a figurative sense. For example, we say that "all human beings are equal by birth" or "God created all men equal" or say that "man is a rational being, therefore all human beings are equal in this respect."

समानता (Equality)

All these things mean that all human beings should have equal rights. We do not claim that all human beings have equal or equal physical and mental abilities, beauty or talent etc.

discrimination

The positive concept of equality accepts some discrimination, provided that this discrimination confirms equality, does not violate it.

need for equality

Why is equality necessary in human life? This is a philosophical question. Tony, while answering this, clarified that the principle of equality is well suited for 'satisfaction of human needs' and 'fulfilment of human capabilities'. The 'means of life and health' are the basic needs of man, because without them no man or woman can function like a human.

समानता (Equality)

What is the right to equality?

Every citizen of India is guaranteed the right to equality under Articles 14 to 18 of the Constitution. Article 14 encapsulates the general standards of equality under law and prohibits absurd and unfounded separation between people.

The Fundamental Rights in the Indian Constitution are grouped under six parts as follows:

• Right to equality which includes Articles 14 to 18.
• Right to freedom which includes Articles 19 to 22 which guarantee many freedoms.
• The right against exploitation includes Articles 23 and 24.
• The right to freedom of religion is guaranteed by Articles 25 to 28.
• Cultural and educational rights are guaranteed by Articles 29 and 30.
• The right to constitutional remedies is protected by Articles 32 to 35.

15 comments:

  1. A very important issue was raised in the post.

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  2. बहुत सुंदर व्याख्या की है आपने समानता के अधिकारों की।।
    धन्यवाद जी।। शुभ दोपहर

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  3. समानता बहुत ही व्यापक शब्द है और आज के ब्लॉग में इसकी पूर्ण व्याख्या की गई है। संविधान प्रद्दत हमारे मौलिक अधिकारों का एक महत्वपूर्ण अधिकार है समानता।
    अच्छा लेख

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  4. समानता का अधिकार तो बन गया, पर हमारे समाज में समानता है कहां..अभी भी बहुत जगहों पर लड़कियों के पैदा होने पर मार दिया जाता है। हमारे समाज में लिंग, जाति और धर्म किसी बात में समानता नहीं है।

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  5. बहुत अच्छे।
    💯🙋‍♂️💐👏👍🙏

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