शिक्षा का पात्र : पंचतंत्र, मूर्ख बंदर और चिड़िया की कहानी

शिक्षा का पात्र

उपदेशो न दातव्यो यादृशे तादृशे जने। 

जिसको तिसको उपदेश देना उचित नहीं। 

शिक्षा का पात्र : पंचतंत्र, मूर्ख बंदर और चिड़िया की कहानी

किसी जंगल के एक घने वृक्ष की शाखा पर चिड़ा-चिड़ी का एक जोड़ा रहता था। अपने घोसले में दोनों बड़े सुख से रहते थे। सर्दियों का मौसम था। उस समय एक बन्दर बर्फीली हवा और बरसात में ठिठुरता हुआ उस वृक्ष की शाखा पर आ बैठा। जाड़े के मारे उसके दांत कटकटा रहे थे। उसे देख चिड़िया ने कहा-अरे, तुम कौन हो? देखने में तो तुम्हारा चेहरा आदमियों का सा है; हाथ-पैर भी हैं तुम्हारे। फिर भी तुम कहां यहां बैठे हो। घर बनाकर क्यों नहीं रहते?

वानर बोला - अरी, तुझसे चुप नहीं रहा जाता? तू अपना  काम कर, मेरा उपहास क्यों करती है?

शिक्षा का पात्र : पंचतंत्र, मूर्ख बंदर और चिड़िया की कहानी

चिड़िया फिर भी कुछ कहती गई! वह चिढ़ गया। क्रोध में आकर उसने चिड़िया के उस घोंसले को तोड़-फोड़ डाला।

करटक ने कहा - इसलिए मैं कहता था। जिस - तिसको उपदेश नहीं देना चाहिए। किंतु तुझ पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा। तुझे शिक्षा देना भी व्यर्थ है‌। बुद्धिमान को दी हुई शिक्षा का ही फल होता है। ‌मूर्ख को दी हुई शिक्षा का फल क‌ई बार उलटा निकल आता है, जिस तरह पापबुद्धि नाम के मूर्ख पुत्र ने विद्वता के जोश में पिता की हत्या कर दी थी।

दमनक ने पूछा-कैसे?

करटक ने तब धर्मबुद्धि-पापबुद्धि नाम के दो मित्रों की कथा सुनाई:

मित्र - द्रोह का फल

                                                                                                                   To be continued ... 

17 comments:

  1. Quite correct. A unique story which gives perfect morale courage,

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  2. अच्छी कहानी,अच्छे संदेश के साथ।

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  3. अच्छी कहानी 👌

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  4. आज भी आपकी एक पोस्ट को सांउंड से जोड़ा है जाकर सुन लो

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  5. आज के समय में तो किसी को उपदेश देने का कोई मतलब ही नहीं है, सब ज्ञानी हैं।
    उचित संदेश देती अच्छी कहानी

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  6. मूर्खों को उपदेश देने का मतलब है उनके क्रोध को बढ़ाना।

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  7. अति उत्तम।
    💯🙋‍♂️💐👏👍🙏

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