संस्कार ही जीवन का आधार है (एक बच्चे और गौरैया की कहानी)

एक बच्चे और गौरैया की कहानी

 ✍️संस्कार ही जीवन का आधार है..

श्री टी.एन. शेषन जब मुख्य चुनाव आयुक्त थे, तो परिवार के साथ छुट्टीयां बिताने के लिए मसूरी जा रहे थे। परिवार के साथ उत्तर प्रदेश से निकलते हुऐ रास्ते में उन्होंने देखा कि पेड़ों पर गौरैया के कई सुन्दर घोंसले बने हुए हैं। 

संस्कार ही जीवन का आधार है (एक बच्चे और गौरैया की कहानी)

यह देखते ही उनकी पत्नी ने अपने घर की दीवारों को सजाने  के लिए गौरैया के दो घोंसले लेने की इच्छा व्यक्त की तो उनके साथ चल रहे। पुलिसकर्मियों ने तुरंत एक छोटे से लड़के को बुलाया, जो वहां मवेशियों को चरा रहा था.उसे पेड़ों से तोड कर दो गौरैया के घोंसले लाने के लिए कहा। लडके ने इंकार मे सर हिला दिया। 

संस्कार ही जीवन का आधार है (एक बच्चे और गौरैया की कहानी)

श्री शेषन ने इसके लिए लड़के को 10 रुपये देने की पेशकश की। फिर भी  लड़के के इनकार करने पर  श्री शेषन ने बढ़ा कर  ₹ 50/ देने की पेशकश की। फिर भी लड़के ने हामी नहीं भरी। पुलिस ने तब लड़के को धमकी दी और उसे बताया कि साहब ज़ज हैं और तुझे जेल में भी डलवा सकते हैं। गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। 

लड़का तब श्रीमती और श्री शेषन के पास गया और कहा,- "साहब, मैं ऐसा नहीं कर सकता। उन घोंसलों में गौरैया के छोटे बच्चे  हैं अगर मैं आपको दो घोंसले दूं, तो जो गौरैया अपने बच्चों के लिए भोजन की तलाश में बाहर गई हुई है, जब वह वापस आएगी और बच्चों को नहीं देखेगी तो बहुत दुःखी होगी जिसका पाप मैं नहीं ले सकता" 

संस्कार ही जीवन का आधार है (एक बच्चे और गौरैया की कहानी)

यह सुनकर श्री टी.एन. शेषन दंग रह गए। श्री शेषन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है-"मेरी स्थिति, शक्ति और आईएएस की डिग्री सिर्फ उस छोटे, अनपढ़, मवेशी चराने वाले लड़के द्वारा बोले गए शब्दों के सामने पिघल गई। "पत्नी द्वारा घोंसले की इच्छा करने और घर लौटने के बाद, मुझे उस घटना के कारण अपराध बोध की गहरी भावना का सामना करना पड़ा" 

#दरअसल यह जरूरी नहीं कि शिक्षा और महंगे कपड़े मानवता की शिक्षा दे ही दें। यह आवश्यक नहीं हैं, यह तो भीतर के संस्कारों से पनपती है। दया, करूणा, दूसरों की भलाई का भाव, छल कपट न करने का भाव मनुष्य को परिवार के बुजुर्गों द्वारा दिये संस्कारों से तथा अच्छी संगत से आते है अगर संगत बुरी है तो अच्छे गुण आने का प्रश्न ही नही है।

संस्कार ही जीवन का आधार है (एक बच्चे और गौरैया की कहानी)

English Translate

The story of a child and a sparrow

 Sanskar is the basis of life..

Mr. T.N. Seshan was on his way to Mussoorie to spend holidays with his family when he was the Chief Election Commissioner. On his way out of Uttar Pradesh with his family, he saw that many beautiful sparrow nests were built on the trees.

संस्कार ही जीवन का आधार है (एक बच्चे और गौरैया की कहानी)

On seeing this, his wife expressed her desire to have two sparrow nests to decorate the walls of their house and went with them. The policemen immediately called a little boy, who was grazing cattle there. He was asked to bring two sparrow nests by breaking them from the trees. The boy shook his head in denial.

Mr. Seshan offered Rs.10 to the boy for this. Still, on the boy's refusal, Mr. Seshan offered to increase it to ₹ 50/-. Still the boy did not agree. The police then threatened the boy and told him that sir is a judge and can get you put in jail too. There will be dire consequences.

संस्कार ही जीवन का आधार है (एक बच्चे और गौरैया की कहानी)

The boy then went to Mrs. and Mr. Seshan and said, "Sir, I can't do that. There are little sparrows in those nests. If I give you two nests, the sparrows who went out in search of food for their chicks When she comes back and does not see the children, she will be very sad whose sin I cannot take away."

Hearing this, Shri T.N. Seshan was stunned. Mr. Seshan wrote in his autobiography – “My position, power and IAS degree melted away in front of the mere words spoken by that small, illiterate, cattle-herding boy.” After the wife wished for a nest and returned home, I felt a deep sense of guilt because of that incident."

संस्कार ही जीवन का आधार है (एक बच्चे और गौरैया की कहानी)

Actually it is not necessary that education and expensive clothes should give education of humanity. It is not necessary, it is born from the inner sanskars. Compassion, compassion, a sense of goodness to others, a sense of not deceit comes to a person from the rites given by the elders of the family and from good company, if the company is bad then there is no question of getting good qualities.

संस्कार ही जीवन का आधार है (एक बच्चे और गौरैया की कहानी)
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गौरैया (Gauraiya)/ Sparrow के बारे में रोचक तथ्य

28 comments:

  1. Mem very true. The degrees earned in years is lower than without degrees the personnel committee for humanity. An excellent and heart touching article.

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  2. Bacche ne to dil jeet liya...aajkal to log chillar par bik jate hain..

    Bahut achi post..dil ko chu gayi❤️

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  3. बहुत सुंदर मार्मिक विचार है आपकी रचना में।
    दूसरों के प्रति करुणा,दया और प्यार न हो तो मानव कितना शिक्षित हो जाए व्यर्थ है।। धन्यवाद जी

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  4. अच्छी कहानी

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  5. अच्छी कहानी

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  6. हृदय स्पर्शी, दया, करुणा, सेवा, प्यार आदि भावों का शिक्षा से कोई लेना देना नहीं बल्कि मुझे तो लगता है जो जितना अधिक शिक्षित है उनमें इन भावों का सर्वथा आभाव है।

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  7. A beautiful short story. Very often we do not see or know things that are so obvious.

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  8. बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  9. उच्च शिक्षा और ऊंचे ओहदे का
    अपने मन में ना रखना अभिमान
    पढ़ाई के साथ-साथ जिंदगी में तो
    बहुत जरूरी है व्यावहारिक ज्ञान
    व्यवहारिक ज्ञान की ही बदौलत
    हर दिल में जिंदा रहता है इंसान
    बेवजह किसी जीव-जंतु को वो
    कभी भी करता नहीं है परेशान
    व्यवहारिक ज्ञान की बदौलत
    हर इंसान कहलाता है महान
    सबके प्रति दया-भावना रखो
    होगा सदैव आपका गुणगान
    केवल पढ़ना-लिखना ही नहीं
    होता हर समस्या का समाधान
    व्यवहारिक ज्ञान अगर हो तो
    हर एक मुश्किल होती आसान
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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    1. रुपए-पैसों का लालच भी
      उसका मन बदल ना पाया
      उस गौरैया के घोसले को
      बालक ने हाथ ना लगाया
      उच्च पद का उस शख्स ने
      चाहे कितना रोब दिखाया
      बिना डरे-बेहिचक उसने
      ना में सिर अपना हिलाया
      जो बात कही उसने उन्हें
      दिल उनका भी भर आया
      गौरैया को तकलीफ होगी
      छिनो मत यूँ माँ का साया
      आत्मा दुखी होगी उसकी
      दुखी होगी माँ की काया
      क्या होगा उन बच्चों का
      जिस हेतु घोंसला बनाया
      जीव-दया का बालक ने
      जो उनको पाठ सिखाया
      व्यवहारिक ज्ञान का सूत्र
      उच्च शिक्षा में कहाँ पाया
      बस किताबी ज्ञान ने ही
      आपको बड़ा पद दिलाया
      पर इंसान वही सर्वोत्तम
      जो हर दर्द समझ पाया
      🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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  10. रुपए-पैसों का लालच भी
    उसका मन बदल ना पाया
    उस गौरैया के घोसले को
    बालक ने हाथ ना लगाया
    उच्च पद का उस शख्स ने
    चाहे कितना रोब दिखाया
    बिना डरे-बेहिचक उसने
    ना में सिर अपना हिलाया
    जो बात कही उसने उन्हें
    दिल उनका भी भर आया
    गौरैया को तकलीफ होगी
    छिनो मत यूँ माँ का साया
    आत्मा दुखी होगी उसकी
    दुखी होगी माँ की काया
    क्या होगा उन बच्चों का
    जिस हेतु घोंसला बनाया
    जीव-दया का बालक ने
    जो उनको पाठ सिखाया
    व्यवहारिक ज्ञान का सूत्र
    उच्च शिक्षा में कहाँ पाया
    बस किताबी ज्ञान ने ही
    आपको बड़ा पद दिलाया
    पर इंसान वही सर्वोत्तम
    जो हर दर्द समझ पाया
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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  11. मार्मिक..एक छोटे से बच्चे ने कितनी बड़ी बात की👌👌👍👍👏👏

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  12. जिन्हें हम नादान या कमअक्ल समझते वही समझा देते हैं, काश हम खुद को नव सिखिया मानें।

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  13. Very Nice Story रूपा जी 🙏🏻🙏🏻

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  14. Heart warming Story

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  15. ह्रदय स्पर्श पूर्ण कहानी यथार्त सत्य यही है कभी कभी पढ़े लिखे व्यक्ति से ज्यादा अनपढ़ व्यक्ति उचित ज्ञान दे जाता है

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  16. बहुत सुन्दर प्रेरणा दायक कहानी 👍❤️

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