इतवार (Sunday)
"मिलो कभी चाय पर, फिर क़िस्से बुनेंगे,
तुम ख़ामोशी से कहना, हम चुपके सुनेंगे...❤"
मौन
बैठ लें कुछ देर
आओ,एक पथ के पथिक-से
प्रिय, अंत और अनन्त के
तम-गहन-जीवन घेर
मौन मधु हो जाए
भाषा मूकता की आड़ में
मन सरलता की बाढ़ में
जल-बिन्दु सा बह जाए
सरल अति स्वच्छ्न्द
जीवन, प्रात के लघुपात से
उत्थान-पतनाघात से
रह जाए चुप,निर्द्वन्द
– सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
"सपने और लक्ष्य में केवल एक ही अंतर है !
सपने के लिए बिना मेहनत की नींद चाहिए और
लक्ष्य के लिए बिना नींद की मेहनत...❤"
Very good morning, happy Sunday, love you di, I wish we will meet soon
ReplyDeleteHappy Sunday dear🤗🤗🤗🤗
ReplyDeleteBeautiful poem with lovely pic😘😘😘
युग कवि निराला जी एक और सशक्त कविता। इस ब्लॉग की कविताओं का पूरे सप्ताह इंतज़ार रहता है।
ReplyDeleteशुभ रविवार।
Happy sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDelete"मिलो कभी चाय पर, फिर क़िस्से बुनेंगे,
ReplyDeleteतुम ख़ामोशी से कहना, हम चुपके सुनेंगे...❤
👌👌
👌👌👍😊
ReplyDeleteआप सबको शुभ रविवार, हिंदी साहित्य से कठिन मुझे नहीं लगता कि कोई विषय है। आज की कविता कुछ पल्ले पड़ी।
ReplyDeleteसूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की अनूठी कविता।शुभ रविवार।
ReplyDeleteHappy Sunday nice pic
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता👌👌
ReplyDeleteBeautiful pic ❤️
बड़ी पारखी नजर है, मैंने तो पोस्ट डालते वक्त भी नही देखा। आपका कमेंट पढ़ने के बाद देखा😄😄
ReplyDeleteNice pic & beautiful poem 👌👌
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteतेरी बातों में भी चाय जैसा
ReplyDeleteमीठा-कड़क स्वाद आए
चाय को नहीं भूल सकते हैं
हम तुम्हें कैसे भूल जाए
चाय तो एक आदत बन गई
तु भी तो मेरी चाहत बन गई
तेरे हाथ की गरमा-गरम चाय
मेरे जिगर कि राहत बन गई
तेरे हाथ की महकती चाय में
सचमुच अलग-सा ही मजा है
ताउम्र मिले दिल की रजा है
साथ पियेंगे-जियेंगे हम दोनों
अकेले चाय पीना तो सजा है
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
Very nice poem...
ReplyDeleteHappy Sunday with lovely lines
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteLovey line so nice
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