कालहस्ती मंदिर (Srikalahasti Temple)
श्री कालहस्ती मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुपति शहर के पास प्रसिद्ध स्थल है, जो हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर पेन्नार नदी की शाखा स्वर्णामुखी नदी के तट पर कालहस्ती नामक कस्बे में बसा है।दक्षिण भारत में स्थित भगवान शिव के तीर्थ स्थानों में इस स्थान का विशेष महत्व है। यह तीर्थ नदी के तट से पर्वत की तलहटी तक फैला है, और लगभग 2000 वर्षों से इसे दक्षिणी कैलाश या दक्षिण काशी के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर के पार्श्व में तिरुमाला की पहाड़ी दिखाई देती है, और मंदिर का शिखर विमान दक्षिण भारतीय शैली में सफेद रंग से बना है। इस मंदिर के तीन विशाल गोपुरम हैं, जो स्थापत्य की दृष्टि से अनुपम है। मंदिर में 100 स्तंभों वाला मंडप है, जो अपने आप में अनोखा है। अंदर सस्त्रशिवलिंग भी स्थापित है, जो यदा-कदा ही दिखाई देता है। यहां भगवान कालहस्तीश्वर के संग देवी ज्ञानप्रसून अंबा भी स्थापित हैं। देवी की मूर्ति परिसर में दुकानों के बाद मुख्य मंदिर के बाहर ही स्थापित है। मंदिर का अंदरूनी भाग 5वीं शताब्दी का बना है, और बाहरी भाग बाद में 12 वीं शताब्दी में निर्मित है।
कालहस्ती मंदिर में वायु तत्व
दक्षिण के पंच तत्व लिंगो में यह वायु तत्व लिंग माना जाता है। अतः पुजारी भी इसका स्पर्श नहीं कर सकते। मूर्ति के पास स्वर्ण पट्ट स्थापित है, उसी पर फूल, माला इत्यादि चढ़ाई जाती है। इस मंदिर में पिंडी की ऊंचाई लगभग 4 फीट है। पिंडी पर मकड़ी एवं हाथी की आकृति प्रतीत होती है।
कालहस्ती मंदिर से जुड़ी किंवदंति
3 पशुओं की मूर्तियां स्थापित
मान्यता अनुसार, इस स्थान का नाम 3 पशुओं श्री यानी मकड़ी, काल यानी सर्प तथा हस्ती यानी हाथी के नाम पर किया गया है। यह तीनों ही यहां शिव की आराधना करके मुक्त हुए थे। एक जनश्रुति के अनुसार मकड़ी ने शिवलिंग पर तपस्या करते हुए जाल बनाया था, और सांप ने लिंग से लिपटकर आराधना की तथा हाथी ने शिवलिंग पर जल से स्नान करवाया था। यहां पर इन तीनों पशुओं की मूर्ति भी स्थापित है।श्री काल हस्ती का उल्लेख स्कंद पुराण, शिव पुराण और लिंग पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार इस स्थान पर अर्जुन ने प्रभु कालहस्तीस्वर का दर्शन किया था।तत्पश्चात पर्वत के शीर्ष पर भारद्वाज मुनि के भी दर्शन किए थे। कहते हैं कड़प्पा नामक एक आदिवासी ने यहां पर भगवान शिव की आराधना की थी।
इस मंदिर की सालाना आय 100 करोड़ से अधिक है।
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Kalahasti Temple
Sri Kalahasti Temple, located near Tirupati city in Chittoor district of Andhra Pradesh is a very important temple of Hinduism. This temple is situated in a town called Kalahasti on the banks of Swarnamukhi river, a branch of Pennar river. This shrine extends from the banks of the river to the foothills of the mountain, and has been known as Dakshin Kailash or Dakshin Kashi for nearly 2000 years. The temple side overlooks the Tirumala hill, and the shikhara vimana of the temple is made of white in the South Indian style. This temple has three huge gopurams, which is unique from the point of view of architecture. The temple has a 100 pillared mandapa, which is unique in itself. Sastra Shivling is also installed inside, which is rarely visible. Goddess Gyanprasoon Amba is also established here along with Lord Kalahastishwar. The idol of the goddess is installed outside the main temple after the shops in the premises. The inner part of the temple dates back to the 5th century, and the outer part is built later in the 12th century.
Air element in Kalahasti temple
In the Panch Tattva Lingos of the South, this air element is considered to be the Linga. So even the priests cannot touch it. A golden plate is installed near the idol, flowers, garlands etc. are placed on it. The height of Pindi in this temple is about 4 feet. The shape of a spider and an elephant appears on the pindi.
Legend related to Kalahasti temple
3 animal sculptures installed
According to the belief, this place has been named after three animals Shri i.e. spider, Kaal i.e. snake and Hasti i.e. elephant. All three were liberated by worshiping Shiva here. According to a legend, the spider had made a web while doing penance on the Shivling, and the snake wrapped around the linga and worshiped and the elephant had bathed on the Shivling with water. The idol of these three animals is also installed here. The mention of Shri Kala Hasti is also found in ancient texts like Skanda Purana, Shiva Purana and Linga Purana. According to the Skanda Purana, Arjuna once had a darshan of Lord Kalahastisvara at this place. Later, Bharadwaja Muni was also seen at the top of the mountain. It is said that a tribal named Kadapa worshiped Lord Shiva here.
The annual income of this temple is more than 100 crores.
हर हर महादेव 🙏🔱🙏
ReplyDeleteहर हर महादेव
ReplyDeleteHar har mahadev
ReplyDeleteHar har mahadev
ReplyDeleteHar har mahadev
ReplyDeleteअद्भुत
ReplyDeleteमहादेव के इस अद्भुत और प्राचीन मन्दिर की जानकारी ही नहीं थी।
ReplyDeleteजय हो बाबा भोलेनाथ की
हर हर महादेव 🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteAti sunder
ReplyDeleteWonderful news.
ReplyDeleteVery useful information...
ReplyDeleteविश्व प्रसिद्ध हमारा यह भारत देश है
ReplyDeleteसनातन धर्म संपूर्ण जगत में विशेष है
अतिविशाल मंदिरों की यहां भरमार है
इन मंदिरों से जुड़े संस्कृति-संस्कार है
श्रीकाल हस्ती मंदिर का है विशेष स्थान
सहस्त्र शिवलिंग इस मंदिर में विद्यमान
मकड़ी सांप और हाथी की कलाकृतियां
इस मंदिर की ही विशेषता का प्रमाण है
🌄🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏🌄,
त्रिकालदर्शी को शत् शत् नमन 🙏🙏
ReplyDeleteकलहस्ती मंदिर आंध्र प्रदेश के त्रिचूर जिले स्थित है। यह मकड़ी,सर्प तथा हस्ती तीन पशुओं के नाम पर मंदिर है।
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteJai ho sanatan dharm
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteRaje shebhu
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