सत्यानाशी (Mexican prickly poppy)
सत्यानाशी नाम आप लोगों को अजीब लग रहा होगा। साधारण तौर पर इसे भटकटैया के नाम से जाना जाता है। भटकटैया पौधे से भला कौन परिचित नहीं होगा? सड़क मार्गों के किनारे, अनुपयोगी पड़ी जमीन पर या फिर कहीं भी थोड़े मिट्टी पर यह पौधा आसानी से नजर आता है। इस पौधे के नाम पर आप सभी बिल्कुल मत जाइएगा यह अपने नाम के विपरीत बहुत ही उपयोगी और गुणी पौधा है। बल्कि हम यह कह सकते हैं कि यह रोगों का सत्यानाश करने वाला पौधा है। सत्यानाशी का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
सत्यानाशी क्या है?
सत्यानाशी पूरे भारतवर्ष में 1500 मीटर की ऊंचाई तक पाई जाती है। यह प्राकृतिक रूप से मैदानी भागों में, नदी एवं सड़कों के किनारे पर तथा वन्य क्षेत्रों में पाई जाती है। यह वनस्पति मूलतः मेक्सिको से भारत आई, परंतु भारत में अब यह सब जगह खरपतवार के रूप में उत्पन्न होती है। यह एक ऐसी वनस्पति है, जिसके पूरे पौधों पर कांटे होते हैं। इसका फल चौकोर होता है। इसमें राई के समान छोटे-छोटे श्यामले रंग के बीच भरे रहते हैं। इन बीजों को जलते हुए कोयले पर डालने से भड़ भड़ बोलते हैं। उत्तर प्रदेश में इसे भड़भाड़ भी कहते हैं। सत्यानाशी के किसी भी भाग को तोड़ने से सोने जैसा पीला दूध निकलता है। इसलिए इसको स्वर्ण क्षीरी भी कहते हैं। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार सत्यानाशी स्वर्ण क्षीरी से पूर्णतः भिन्न है। यह वनस्पति कश्मीर तथा उत्तराखंड में 3900 मीटर की ऊंचाई पर प्राप्त होता है।
जानते हैं सत्यानाशी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में
कितना भी पुराना घाव, खुजली, कुष्ठ रोग आदि हो, सत्यानाशी के प्रयोग से इन रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। आयुर्वेदिक किताबों में भी बताया गया है कि सत्यानाशी कफ पित्त दोष को खत्म करती है। इसके दूध, पत्ते के रस तथा बीज के तेल घाव और कुष्ठ रोगों में लाभदायक होते हैं। इसकी जड़ का लेप करने से सूजन ठीक होता है। सत्यानाशी का प्रयोग बुखार, नींद ना आने की परेशानी, पेशाब से संबंधित विकार, पेट की गड़बड़ी आदि रोगों में भी किया जाता है। इसके बीज जहरीले होते हैं। कभी-कभी सरसों में इसे मिला देने से उसके तेल का उपयोग करने वालों की मृत्यु भी हो जाती है। इसके बीज मिली हुई सरसों के तेल के प्रयोग करने वालो को पेट की झिल्ली ( पेरिटोनियम ) में पानी भरने का एक रोग एपिडेमिक ड्रॉप्सी भी हो जाता है।
रतौंधी की समस्या
सत्यानाशी पंचांग से दूध निकाल लें। 1 बूंद पीले दूध में तीन बूंद घी मिलाकर आंखों में काजल की तरह लगाने से मोतियाबिंद और रतौंधी में लाभ होता है।
सफेद दाग की समस्या
सत्यानाशी के फूल को पीसकर अथवा सत्यानाशी दूध का लेप करने से सफेद दाग में लाभ होता है।
सांसों के रोग और खांसी में
- सत्यानाशी का पीला दूध (चार से पांच बूंद) बतासे में डालकर खाने से लाभ होता है।
- 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक सत्यानाशी जड़ के चूर्ण को गर्म जल या गर्म दूध के साथ सुबह-शाम पिलाने से कफ बाहर निकल जाता है। इससे सांसों के रोग और खांसी में लाभ होता है।
पेट के दर्द में
सत्यानाशी के 3 से 5 मिलीलीटर पीले दूध को 10 ग्राम घी के साथ मिलाकर पिलाने से पेट का दर्द ठीक होता है।
पीलिया रोग में
10 मिलीलीटर गिलोय के रस में सत्यानाशी तेल की 8 से 10 बूंद डालकर सुबह-शाम पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
मूत्र विकार में
पेशाब में जलन हो तो सत्यानाशी के 20 ग्राम पंचांग को 200 मिलीलीटर पानी में भिगो लें। इसका काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिलीलीटर मात्रा में पीने से मूत्र विकारों में लाभ होता है।
कुष्ठ रोग में
कुष्ठ रोग और रक्तपित्त (नाक, कान अंगों से खून बहने की समस्या) में सत्यानाशी के बीजों के तेल से शरीर पर मालिश करने से लाभ होता है। इसके साथ ही 5 से 10 मिलीलीटर पत्ते के रस में 250 मिलीलीटर दूध मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से लाभ होता है।
त्वचा रोग में
- सत्यानाशी पंचांग के जड़ में थोड़ा नमक डालकर लंबे समय तक सेवन करने से त्वचा के विकारों में लाभ होता है। प्रतिदिन 5 से 10 मिलीलीटर रस का सेवन लाभकारी होता है।
- सत्यानाशी में एंटीफंगल गुण पाया जाता है। इसलिए यह दाद की समस्या में फायदेमंद होता है। एंटी फंगल गुण होने के कारण यह दाद के लक्षणों को कम कर के दाद को फैलने से रोकता है। इसके लिए सत्यानाशी की पत्तियों का रस या तेल को दाद वाली जगह पर लगाएं।
घाव सुखाने के लिए
- सत्यानाशी के दूध को घाव पर लगाने से पुराने और बिगड़े हुए घाव भी ठीक होते हैं।
- सत्यानाशी रस को घाव पर लगाने से घाव ठीक होता है।
- सत्यानाशी के दूध को लगाने से कुष्ठ तथा फ़ोड़ा ठीक होता है।
- सत्यानाशी के पंचांग को पीसकर पुराने घाव एवं खुजली पर लगाने से लाभ होता है।
- छाले, फोड़े, फुंसी, खुजली, जलन आदि रोगों पर सत्यानाशी पंचांग का रस या पीला दूध लगाने से लाभ होता है।
दर्द से राहत
सत्यानाशी तेल की 10 बूंदों को 1 ग्राम सोंठ के साथ मिलाकर सेवन करने से शरीर के सभी अंगों के दर्द ठीक हो जाते हैं।
सत्यानाशी के नुकसान (Side Effects of Satyanashi)
सत्यानाशी का उपयोग करते समय सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी है।
- सत्यानाशी के बीजों का केवल शरीर के बाहरी अंगों पर ही प्रयोग करना चाहिए .क्योंकि यह अत्यधिक विषैले होते हैं।
- इसके बीज की मिलावट सरसों के तेल में करते हैं, जिसके प्रयोग से मृत्यु तक हो सकती है।
अतः सत्यानाशी का प्रयोग करते समय विशेष सावधानी बरतें।
विभिन्न भाषाओं में सत्यानाशी के नाम (Satyanashi in Other Languages)
Satanashi (Mexican prickly poppy)
What is truthfulness?
Know about the advantages, disadvantages, uses and medicinal properties of Satyanashi.
night blindness problem
white spots problem
In respiratory diseases and cough
- Putting yellow milk (four to five drops) of Satyanashi in Batase is beneficial.
- Taking 500 mg to 1 gram powder of satanashi root with warm water or hot milk twice a day, it brings out phlegm. It is beneficial in respiratory diseases and cough.
in stomached
in jaundice
in urinary disorder
in leprosy
in skin diseases
- Putting a little salt in the root of Satyanashi Panchang and consuming it for a long time is beneficial in skin disorders. Consuming 5 to 10 ml juice daily is beneficial.
- Antifungal properties are found in Satyanashi. Therefore it is beneficial in the problem of ringworm. Due to its anti-fungal properties, it reduces the symptoms of ringworm and prevents the spread of ringworm. For this, apply the juice or oil of the leaves of Satyanashi on the ringworm area.
to dry wounds
- Old and worn out wounds are also cured by applying Satyanashi's milk on the wound.
- Applying satyanashi juice on the wound cures the wound.
- Leprosy and boils are cured by applying the milk of Satyanashi.
- Grinding the Panchang of Satyanashi and applying it on old wounds and itching is beneficial.
- Applying satanashi Panchang juice or yellow milk on diseases like blisters, boils, pimple, itching, burning etc. is beneficial.
pain relief
Side Effects of Satyanashi
- The seeds of Satyanashi should be used only on the external parts of the body as they are highly toxic.
- Its seeds are mixed with mustard oil, the use of which can lead to death.
Mem excellent.
ReplyDeleteGood one
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteNice knowledge
ReplyDeleteभटकटैया के इतने जबरदस्त गुणों से अभी तक अपरिचित था।
ReplyDeleteभटकटैया या सत्यानाशी नाम की जानकारी नहीं थी और ना ही इसके गुणों की। मैं तो जंगली प्रजाति का ही समझता था।
ReplyDeleteअच्छी और उपयोगी जानकारी
Nice ji 🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteGud evng ji🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteGood evening 🙏🙏
DeleteNice
ReplyDeleteNice post
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteविभिन्न बीमारियों में उपयोगी भटकटैया या सत्यानाशी काटेदार झाड़ी है
ReplyDeleteVery useful information...
ReplyDeleteUseful information..
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery useful information
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