Sunday.. इतवार ..रविवार

इतवार (Sunday)

Sunday.. इतवार ..रविवार

🍂🍂कितने लोग आपको जानते हैं ,यह मायने नहीं रखता..
किस वजह से जानते हैं ,यह मायने रखता है🍂🍂


               बचपन

वो बचपन भी कितना सुहाना था, 
जिसका रोज एक नया फसाना था..
 
कभी पापा के कंधो का, 
तो कभी मां के आँचल का सहारा था..
 
कभी बेफिक्रे मिट्टी के खेल का, 
तो कभी दोस्तो का साथ मस्ताना था..
 
कभी नंगे पाँव वो दौड़ का, 
तो कभी पतंग ना पकड़ पाने का पछतावा था..
 
कभी बिन आँसू रोने का,
तो कभी बात मनवाने का बहाना था..
 
सच कहूँ तो वो दिन ही हसीन थे, 
जिसका हर फसाना ही निराला था..

ना कोई दर्द छिपाना था 
दिल में जो आए चिल्ला के बताना था..

अब वो बचपन का जमाना न रहा 
न वो मिट्टी का खेल रहा, न दोस्तों का दोस्ताना रहा.. 

पांव में जूते चप्पल आ गए 
पर पतंग के पीछे भागने का अफसाना न रहा.. 

अब तो चेहरे और चरित्र दोहरे हो गए 
दिल में जो है चेहरे पर दिखाना न रहा.. 

चेहरे पर झूठा मुस्कान आ गया 
आँखों के आंसू और दिल का दर्द छुपाना आ गया.. 

अब वो बचपन का जमाना न रहा 
न वो शैतानियां रहीं, न ही कोई अफसाना रहा..  

Sunday.. इतवार ..रविवार

🍂🍂यह जरुरी नहीं कि हर शख्स मुझसे मिलकर खुश हो..
मगर मेरा प्रयास यह रहता है कि मुझसे मिलकर कोई दुखी न हो..🍂🍂

25 comments:

  1. सुधा पाण्डेयJuly 11, 2021 at 11:08 AM

    बचपन की मासूमियत का इससे अच्छा प्रस्तुतिकरण हो ही नहीं सकता।फिर से वही बचपन जीने के लिए मन ललचा गया। तुम्हारे चेहरे पर अभी भी बचपन सी निश्छल मासूम मुस्कान है।

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  2. बचपन ना वो पतंग उड़ाना याद है
    पतंग के लिये भारत चुराना याद है

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  3. हमारा उद्देश्य यही हो किसी को तकलीफ न दें
    हर हाल में जो मुमकिन हो,खुशी देने का प्रयास हो🌹🙏👌

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  4. बचपन मै लो पतंग उड़ाना याद है
    पतंग के लिये घर भाँति चुराना याद है
    पतंग पूरी फट जाने पर घंटे रोना सब याद है
    छत के नीचे गिरती धार मै छाता खोलकर उस फुसर्र मै भीगना याद है
    बहते नाली मै काग़ज़ की नाव बनाकर धार मै छोड़ना सब याद है
    बरसात के गड्ढे भरे पानी मै पाव पटककर पानी को ऊपर उछालना याद है
    बचपन स्कूल से भीगकर घर आना सब कुछ याद है

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  5. आज तो आपने के द्वारा कागज की कसती और बारिश के पानी की याद आ गई।

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  6. आज तो आपने के द्वारा कागज की कसती और बारिश के पानी की याद आ गई।

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  7. ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
    भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
    मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
    वो काग़ज़ कि कश्ती, वो बारिश का पानी


    किसी भी कीमत पर बचपन नहीं लौट के आ सकता। इसका एक ही तरीका है..अपना बचपना हर उमर में बरकरार रखिए। शुभ इतवार🌹🌹🌹🌹

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  8. सुंदर सी तस्वीर.. और हां आपसे मिलकर कोई दुखी हो ही नही सकता। एक positive vibration निकलता है आपसे।

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  9. बहुत खूब 👏 👏

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  10. बचपन की याद आज फिर ताजा हो गई, बचपन की याद दिलाती अच्छी कविता। शुभ और मंगलमय रविवार

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  11. प्यारा बचपन दुबारा नहीं मिल सकता।शुभ रविवार।

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  12. साधारण शब्दों में बेहतरीन कविता बचपन की यादों को तरोताजा करते हुए ..
    Very nice 👌👌👌👌
    & Beautiful pic😍🥰🥰

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  13. Nice poem, very beautiful pic 😘♥️

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