Sunday.. इतवार ..रविवार

   इतवार (Sunday)

Sunday.. इतवार ..रविवार

🍂🍂"जहां एक निराशावादी व्यक्ति ,
किसी भी कार्य में उसका दुष्परिणाम ढूंढ लेता है।
वहीं लगनशील और आशावादी व्यक्ति
हर एक कठिन कार्य में भी एक अवसर ढूंढ लेता है।"🍁🍁🥀🥀

मेरे सपने तो फिर से जागो 

मेरे सपने तुम फिर से जागो 
छू लो नभ को बढ़कर आगे 
ना होगा तेरा कोई अंत 
तू आगे बढ़, बनकर अनंत 
आशा बनकर, तुम फिर जागो 
मेरे सपने तुम फिर जागो 

देखो हिम को कैसा उतुंग  
है झेल रहा बहु मेरुदंड 
जब गरुड़ चला नभ को छूने 
लघु पक्षी ने फैलाए पंख 
तो भीरु हुआ होकर अनंत 
मेरे सपने तुम फिर से जागो 

चला पवन बन ईश्वर रूप 
हिम दर्शाता उसका स्वरूप 
गगन खड़ा बनकर स्तंभ 
इठलाता वरुण भरकर घमंड 
फिर तूने कायर बन, मेरे मन 

क्यों डाले कुरुक्षेत्र में अस्त्र 
ना होगा तेरा कोई अंत 
आगे बढ़ तू बनकर अनंत 
आशा बनकर तुम फिर जागो 
मेरे सपने तुम फिर से जागो 

Sunday.. इतवार ..रविवार

🍂🍂"सभी प्राणियों में एक विशिष्ट प्रकार की प्रतिभा होती है
जिसे अगर वह समय रहते समझ ले तो श्रेष्ठ बन जाता है.."🍁🍁🥀🥀

27 comments:

  1. Waooo... Beautiful poem❤️ with beautiful smile😍😍❤️❤️😘😘😘

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  2. Happy Sunday beautiful 🤗🤗🤗😘😘

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  3. Yes right...always think positive in every situation 👍👍

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  4. जीवन मे उत्साह का संचार करती प्रेरणादायक,बेहतरीन कविता।

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  6. जहां न जाये रवि
    वहाँ चला जाता है कवि

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  7. Inspirational poem...Happy Sunday

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  8. सुंदर सी तस्वीर के साथ जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती अच्छी कविता। शुभ रविवार

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  9. Wah wah kya baat hai 👏👏

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  10. ओजस्वी कविता।शुभ रविवार।

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  11. एक फ्रेम में दो खूबसूरत फूल..बादलों तले..लाजवाब तस्वीर के साथ बहुत ही सुन्दर कविता 🌹🌹🌹🌹

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  12. अति सुन्दर

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  13. Sahi kaha vyakti apni pratibhaon ko nahi pahchan pata

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  14. Achi tasveer ..ache Kavita ke saath..👌👌

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  15. Nice pic 😍😍 nice poem 👌👍

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