इत्र की बूंद ~ Itra ki Boond

इत्र की बूंद

इत्र की बूंद

आज अकबर बीरबल की एक और मजेदार कहानी आपके साथ शेयर करते हैं।

भारत के शहंशाह और अकबर अक्सर एक-दूसरे को उपहार भेजा करते थे। एक बार फारस के शहंशाह ने बादशाह अकबर को एक दुर्लभ किस्म का इत्र भेंट किया। 

इत्र लगाने की चाहत में अकबर अपने कक्ष में गए और इत्र की शीशी खोलने लगे, लेकिन जैसे ही उन्होंने इत्र की शीशी खोली इत्र की एक बूंद जमीन पर गिर पड़ी। अकबर तुरंत घुटनों के बल बैठ गए और उंगली से समेटकर इत्र की उस बूंद को उठाने लगे। ठीक उसी वक्त किसी काम से बीरबल कक्ष में अंदर आ पहुंचे। 

घुटनों के बल बैठे अकबर ने जब बीरबल को अपने सामने पाया, तो वह हड़बड़ा गए। उस हालत में अकबर को देखकर बीरबल मुंह से तो कुछ ना बोले, परंतु उनकी आंखों में हंसी साफ झलक रही थी। अकबर को बेहद शर्मिंदगी महसूस हुई। हिंदुस्तान का बादशाह इत्र की एक बूंद के लिए अपने घुटनों पर आ गिरे। यह शर्म वाली बात तो थी। 

अकबर को लगा कि बीरबल अवश्य ऐसा ही कुछ सोच रहे होंगे। उस समय तो वह कुछ ना बोल सके, परंतु उनका मन उन्हें अंदर ही अंदर कचोट रहा था। वह किसी भी तरह बीरबल की अपने प्रति धारणा बदलना चाहते थे।  इसलिए अगले ही दिन उन्होंने अपने शाही हमाम को इत्र से भरवा दिया और एलान करवा दिया कि कोई भी आकर वहां से इत्र ले जा सकता है। लोग वहां से बाल्टी भर- भर कर इत्र ले जाने लगे।

अकबर ने बीरबल को बुलावा भिजवाया और यह नजारा दिखाते हुए बोले, "बीरबल देखो प्रजा कैसे खुशी से बाल्टी भर भर के इत्र ले जा रही है। तुम इस बारे में क्या सोचते हो ? अकबर की मनसा बीरबल को यह दिखाने की थी कि हिंदुस्तान का बादशाह अकबर इत्र के मामले में कंजूस नहीं है। वह चाहे तो हमाम भर इत्र दान कर सकता है। 

बीरबल मंद - मंद मुस्कुराते हुए बस इतना ही बोले, " बूंद से जाती, वह हौज से नहीं आती। अर्थात पूरा सागर भर देने के बाद भी वह कभी नहीं लौटता जो एक बूंद से चला गया हो। 

बीरबल ने इस वाक्य के सहारे कह दिया कि अकबर की इत्र उठाने की स्वभाविक कंजूस प्रवृत्ति के कारण जो इज्जत चली गई वह तो पूरा का पूरा सागर भर देने के बाद भी वापस नहीं आएगी।

सीख (Moral of The Story)

स्वाभाविक रूप से की गई हर क्रिया - प्रतिक्रिया मनुष्य के वास्तविक स्वरूप को दर्शाती है। इसे दिखावे का आवरण ढक नहीं सकता। 

English Translate

Perfume 

इत्र की बूंद

 Today Akbar shares another funny story of Birbal with you.

 The Emperor and Akbar of India often sent gifts to each other. Once the emperor of Persia presented a rare type of perfume to Emperor Akbar.

 Wanting to apply perfume, Akbar went to his chamber and started opening the perfume bottle, but as he opened the perfume bottle, a drop of perfume fell on the ground. Akbar immediately sat down on his knees and covered it with a finger and started lifting that drop of perfume. At the same time Birbal came inside the room for some work.

 When Akbar, who was sitting on his knees, found Birbal in front of him, he was shocked. Seeing Akbar in that condition, Birbal did not say anything to his mouth, but laughter was clearly visible in his eyes. Akbar felt extremely embarrassed. The King of India fell to his knees for a drop of perfume. It was a shame

 Akbar thought that Birbal must have been thinking something like this. At that time, he could not speak anything, but his mind was troubling him inside. He wanted to change his perception of Birbal somehow. So the very next day, he filled his royal hammam with perfume and made him declare that anyone can come and take the perfume from there. People started carrying perfume filled with buckets from there.

 Akbar sent a call to Birbal and while showing this view, said, "Look how Birbal is happily carrying a bucketful of perfumes. What do you think about this? Akbar's intent was to show Birbal that India Emperor Akbar is not stingy in the case of perfume. He can donate a perfume if he wants.

 Birbal smiled dimly and said this much, "She goes by the drop, she does not come from the tank. That is, even after filling the entire ocean, he never returns who has gone by a drop.

 Birbal said with the help of this sentence that due to Akbar's natural stingy tendency to pick up perfume, the respect that went away will not come back even after filling the entire ocean.


 Moral of the Story

 Naturally, every action - reaction reflects the true nature of man. It cannot cover the cover of appearance.

11 comments:

  1. बीरबल की चतुराई से लगता है अकबर पूरी तरह वाकिफ नहीं थे...😉👏👏

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  3. अच्छी कहानी

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  4. स्वाभाविक प्रतिक्रिया ही व्यक्ति का वास्तविक रूप है बाकी सब छलावा, अच्छी कहानी

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  5. वास्तव में बढ़िया कहानी।

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