बीरबल ने खुद को धोखा दिया (Birbal betrays himself)
लोकप्रियता और बुद्धिमानी में बीरबल का कोई सानी नहीं था। बीरबल उच्च कोटि के प्रशासक और तलवार बाजी में निपुण व्यक्ति थे। उनकी विनोदप्रियता और चतुराई के किस्से भारत के कोने - कोने में प्रसिद्ध थे। सम्राट अकबर का नाम आए और बीरबल की बात ना हो ऐसा कहीं था ही नहीं। बीरबल, अकबर के नवरत्नों में से एक तो थे ही, साथ ही वह एक मजाकिया, बुद्धिमान, कवि और लेखक भी थे जो सदैव अपने बहुमूल्य सलाह के लिए जाने जाते थे। आइए अकबर बीरबल की कहानी को आगे बढ़ाते हुए एक और मनोरंजक कहानी पढ़ते हैं।
बीरबल गायब था। उन्होंने और सम्राट ने झगड़ा किया था और बीरबल ने कभी वापस न लौटने की कसम खाई थी।
अब अकबर ने उसे याद किया और उसे वापस लाना चाहते थे , लेकिन कोई नहीं जानता था कि वह कहां है।
तब सम्राट के दिमाग में एक ख्याल आया और उन्होंने किसी भी आदमी को 1000 सोने के सिक्कों का इनाम देने की घोषणा की, जो निम्न स्थिति को देखते हुए महल में आ सकता था। आदमी को एक छतरी के बिना धूप में चलना होगा, लेकिन उसे उसी समय छांव में रहना होगा।
"असंभव," लोगों ने कहा।
फिर एक ग्रामीण अपने सिर पर एक खाट लेकर आया और पुरस्कार का दावा किया।
"मैं धूप में चल कर आया हूँ, लेकिन एक ही समय में मैं खाट के तारों की छाया में था," उन्होंने कहा।
यह एक शानदार समाधान था। पूछताछ पर ग्रामीण ने स्वीकार किया कि यह विचार उसके साथ रहने वाले एक व्यक्ति ने उसे सुझाया था।
"यह केवल बीरबल हो सकता है!" यह सोंचते हुए सम्राट बेहद खुश हुए।
उन्हें यकीन था कि यह बीरबल ही हो सकता है। बिना वक्त जाया किये वह बीरबल के पास जा पहुंचे और आदर सम्मान के साथ बीरबल को पुनः दरबार में वापस ले आये।
English Translate
Birbal betrays himself
Birbal was missing. He and the emperor had a quarrel and Birbal had stormed out of the palace vowing never to return.
Now Akbar missed him and wanted him back but no one knew where he was.
Then the emperor had a brainwave. He offered a reward of 1000 gold coins to any man who could come to the palace observing the following condition. The man had to walk in the sun without an umbrella but he had to be in the shade at the same time.
"Impossible," said the people.
Then a villager came carrying a string cot over his head and claimed the prize.
"I've walked in the sun but at the same time I was in the shade of the strings of the cot," he said.
It was a brilliant solution. On interrogation, the villager confessed that the idea had been suggested to him by a man living with him.
"It could only be Birbal!" said the emperor, delighted.
Sure enough, it was Birbal and he and the emperor had a joyous reunion.
Majedaar..
ReplyDeleteMajedar...
ReplyDeleteYogyta chupaye nahi chupti...interesting story ...
ReplyDeleteKya baat ha...Birbal ka jwab nahi...
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteMazza aa gya 👏👏
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteMajedaar
ReplyDeletenice
ReplyDeleteNice story 👍👍
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteWahhhh....Vry nice story
ReplyDeleteBirbal ki chaturai aur buddhimani ka koi jawab nahi, nice story
ReplyDeleteरोचक
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteAkbar Birbal
ReplyDeleteNice story 👏👏👏
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