गलत आदत का एहसास - Galat Adat ka Ehsaas

गलत आदत का एहसास

गलत आदत का एहसास - Galat Adat ka Ehsaas

अकबर बीरबल की रोचक और मनोरंजक कहानियों से सभी परिचित हैं। अकबर बीरबल की कहानियां मनोरंजन के साधन तो हैं ही, जो हंसी- ठिठोली के साथ- साथ हमें ज्ञान भी देती हैं। तो आज अकबर- बीरबल की कहानियों को आगे बढ़ाते हुए एक ऐसी कहानी की चर्चा करते हैं, जो हमें हमारे गलत आदतों का एहसास कराएगी।

एक बार बादशाह अकबर अपने बेटे की अंगूठा चूसने की गलत आदत से बहुत परेशान थे। बादशाह अकबर ने शहजादे की इस बुरी आदत को सुधारने के लिए कई तरीके आजमाए, परंतु किसी भी तरीकों का शहजादे पर कोई असर नहीं हुआ।

तभी अकबर को एक ऐसे फकीर के बारे में पता लगा जिनकी बातें इतनी अच्छी होती थी कि टेढ़े से टेढा  व्यक्ति भी सही दिशा में चलने लगता था। उस फकीर की बातों का इतना असर था कि हर कोई उसकी बात सुनता और मान लेता था।

अकबर ने बिना देर किए उस फकीर को दरबार में पेश होने का हुक्म दिया। जब फकीर दरबार में आया तब फकीर से बादशाह के बेटे की गलत आदतों के बारे में बताया गया और कोई उपाय सुझाने का आग्रह किया गया।

दरबार में सभी दरबारी, बीरबल और बादशाह अकबर के साथ-साथ उनका बेटा भी मौजूद था। फकीर ने थोड़ी देर तक सोचा और कहा कि मैं एक हफ्ते बाद आऊंगा और वह वहां से चला गया। अकबर और दरबारियों को यह बात बहुत अजीब लगी कि फकीर बिना शहजादे से मिले ही चला गया।

एक हफ्ते बाद फकीर दरबार में फिर उपस्थित हुआ और शहजादे से मिलने को कहा। फिर उन्होंने शहजादे को बहुत प्यार से मुंह में अंगूठा लेने से होने वाली तकलीफों के बारे में समझाया और शहजादे ने भी उसके बाद कभी भी अंगूठा ना चूसने का वादा किया।

अकबर ने फकीर से कहा कि - "यह काम तो आप पिछले हफ्ते भी कर सकते थे।" सभी दरबारियों ने भी नाराजगी व्यक्त की। फिर सभी दरबारी बोल पड़े की फकीर ने दरबार की तौहीन की है, अतः इसे सजा मिलनी चाहिए। महाराजा अकबर को भी यही सही लगा और उन्होंने फकीर को सजा सुनाने का तय किया।

सभी दरबारियों ने अपना - अपना सुझाव दिया, परंतु बीरबल खामोश रहे। बीरबल को खामोश देख अकबर ने कहा - "बीरबल तुम चुप क्यों हो? तुम भी बताओ कि इस गलती के लिए फकीर को क्या सजा दी जाए।"

बीरबल ने जवाब दिया - "जहांपनाह! हम सभी को इस फकीर से सीख लेनी चाहिए और इन्हें एक गुरु का दर्जा देकर आशीर्वाद लेना चाहिए। इनको सजा देने की बजाय इन्हें पुरस्कृत करना चाहिए।"

बीरबल की बात सुन शहंशाह अकबर गुस्से में बोले - "बीरबल! तुम हमारी और सभी दरबारियों की तौहीन कर रहे हो।"

बीरबल ने पुनः बहुत विनम्रता के साथ कहा - "गुस्ताखी माफ जहांपना! परंतु यही उचित न्याय होगा। जिस दिन यह फकीर पहली बार दरबार में आया था और जब शहजादे के बारे में उनको बताया गया था, तब आप सभी ने फकीर को बार-बार कुछ खाते देखा होगा। दरअसल फकीर को चूना खाने की गलत आदत थी।"

जब आपने शहजादे के बारे में फकीर को बताया, तब उसको खुद की गलत आदत का एहसास हुआ और उसने पहले खुद की गलत आदत को सुधारा। इस बार जब फकीर आया तब उसने एक बार भी चूने की डिबिया को हाथ नहीं लगाया।

यह सुनकर सभी दरबारियों को अपनी गलती समझ में आई और सभी ने फकीर का आदर पूर्वक सम्मान किया।

कभी भी दूसरों को ज्ञान देने से पहले खुद की कमियों को सुधारना चाहिए और सही उदाहरण पेश करना चाहिए तभी हम दूसरों को ज्ञान देने के काबिल हो सकते हैं।

Feel the wrong habit

गलत आदत का एहसास - Galat Adat ka Ehsaas

 Akbar is well acquainted with the interesting and entertaining stories of Birbal. Akbar Birbal's stories are a means of entertainment, which along with laughter and humor give us knowledge. So today Akbar discusses a story that will make us realize our wrong habits, taking forward Birbal's stories.

 Once Emperor Akbar was deeply troubled by his son's wrong habit of sucking his thumb. Emperor Akbar tried many ways to rectify this bad habit of the princess, but none of the methods had any effect on the princess.

 Then Akbar came to know about a fakir whose words were so good that even a crooked person started walking in the right direction. The words of that fakir had so much effect that everyone would listen and listen to him.

 Without delay, Akbar ordered the fakir to appear in the court. When the fakir came to the court, the fakir was told about the bad habits of the emperor's son and was requested to suggest a solution.

 All the courtiers, Birbal and Emperor Akbar as well as his son were present in the court. The fakir thought for a while and said that I will come after a week and he left from there. Akbar and the courtiers found it strange that the fakir left without meeting Shahzade.

 A week later, the fakir reappeared at the court and asked to meet Shahzade. Then he very lovingly explained to Shehzade about the problems of getting thumb in the mouth and Shehzade also promised never to suck her thumb after that.

 Akbar told the fakir that - "You could have done this work even last week". All the courtiers also expressed displeasure. Then all the courtiers said that the fakir has tainted the court, so it should be punished. Maharaja Akbar felt the same right and decided to punish the fakir.

 All the courtiers gave their suggestions, but Birbal remained silent. Seeing Birbal kept silent, Akbar said - "Birbal why are you silent? You also tell me what punishment should be given to the fakir for this mistake."

 Birbal replied - "Jahanpanah! We should all learn from this fakir and take blessings by giving him the status of a guru. He should be rewarded rather than punished."

 Hearing Birbal, Emperor Akbar said angrily - "Birbal! You are insulting us and all the courtiers."

 Birbal again said very politely - "Gustaki Maaf Jahanpana! But that would be fair justice. The day this fakir first came to the court and when she was told about the princess, all of you repeated the fakir again and again. Must have seen some accounts. Actually the fakir had the wrong habit of eating lime. "

 When you told the fakir about Shahzade, he realized his own wrong habit and he corrected his own wrong habit first. This time when the fakir came, he did not touch the casket of lime even once.

 Hearing this, all the courtiers understood their mistake and respected all the fakirs.

 Anytime, before giving knowledge to others, we must correct our own shortcomings and present the right example, only then we can be able to give knowledge to others.


24 comments:

  1. वाह,एक प्रेरणादायी कथा।

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  2. Kitni sahi baat ha is kahani me....hum dusre ko to sudharna chahte...khud nhi sudhrte....jab hum khud kisi cheej k addicted honge...to dusre ko kaise mna karenge👍🏻👍🏻

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  3. अपने आप में सुधार करना बहुत ही मुश्किल है। अच्छी और प्रेरणादायक कहानी

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  4. Interesting story with a strong moral...✌

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  5. अपनी गलती का एहसास किसे एहसास होता है... 😊अच्छी और शिक्षाप्रद कहानी 👍👍

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  6. Prerdaprad कहानी।

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  7. Interesting story with beautiful moral

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  8. Birbal the great... inspirational story...

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  9. Apne ander jhaank ke kaun dekhta ha...Ager sab apni galtiyan sudharne lage to samaj sudher jaye....

    Apne aap me hi sudhar karna mushkil ha...Ek inspirational Story...

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  10. पवन कुमारJanuary 27, 2023 at 8:17 PM

    बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक कहानी है।
    पहले खुद गलत आदतों को छोड़ेंगे तभी
    दूसरे को इसके लिये प्रेरित करेंगे और तभी
    इसका प्रभाव भी पड़ेगा।यह कहानी हमे
    यही यही संदेश देती है🙏🌹गोविंद🌹🙏

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