अद्भुत संसार - 8 - The Great Wall of India

द ग्रेट वाल ऑफ इंडिया 

(दुनिया की दूसरी सबसे लम्बी दीवार)

जैसा कि हम सभी जानते हैं दुनिया की सबसे लंबी दीवार चीन में है, लेकिन शायद कम ही लोग को पता होगा कि चीन की दीवार के बाद दुनिया में दूसरे स्थान पर सबसे लंबी दीवार भारत में है, शानदार बनावट और लंबाई को देखते हुए इसे "भारत की महान दीवार" का दर्जा दिया गया है।

चीन की दीवार की लंबाई लगभग 6400 किलोमीटर है, हालांकि पुरातत्व सर्वेक्षण के हाल के सर्वेक्षण के अनुसार समग्र महान दीवार अपनी सभी शाखाओं सहित 8851.8 किलोमीटर तक फैली है, वही दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार मेवाड़ के कुंभलगढ़ में है, जो 36 किलोमीटर लंबा है, और समुद्र तल से ग्यारह सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस दीवार की चौड़ाई 15 मीटर है। कहते हैं इस पर एक साथ करीब 10 घोडों को दौड़ाया जा सकता हैं।सैकड़ों साल पहले बनने के बाद भी यह दीवार वैसे का वैसा ही खड़ा है।  कहीं से भी क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। 

असल में कुंभलगढ़ एक किला है, जिसे अजेय गढ़ भी कहा जाता है, क्योंकि इस पर विजय प्राप्त करना बेहद ही मुश्किल काम था। इस किले की दीवार को भेदने में महाराजा अकबर के भी पसीने छूट गए थे।

कुंभलगढ़ किले का निर्माण महाराणा कुंभा ने करवाया था। कहते हैं इस किले के निर्माण में 15 साल का लंबा समय लगा था। 16वीं सदी में महान शासक महाराणा प्रताप का जन्म भी इसी किले में हुआ था। कहा जाता है कि हल्दीघाटी युद्ध में हार के बाद महाराणा प्रताप काफी समय तक इस किले में रहे थे। इसके अलावा महाराणा सांगा का बचपन इसी किले में बीता था। महाराणा उदय सिंह को भी पन्ना धाय ने इसी दुर्ग में छुपा कर पालन पोषण किया था। 

इस किले के अंदर 360 से ज्यादा प्राचीन मंदिर हैं, हालांकि बहुत सारे मंदिर अब खंडहर में बदल गये हैं। इस किले के अंदर भी एक किला है, जिसे 'कटार गढ़' के नाम से जाना जाता है। कुंभलगढ़ किला सात विशाल द्वारों से सुरक्षित है। किले में घुसने के लिए आरेठ पोल, हल्ला पोल, हनुमान पोल और विजय पोल आदि दरवाजे हैं। 

कुंभलगढ़ किले के निर्माण से जुड़ी एक  रहस्यमय कहानी है। कहते हैं सन 1443 में महाराणा कुंभा ने जब इसका निर्माण कार्य शुरू करवाया था तब इससे चिंतित होकर राणा कुंभा ने एक संत को बुलवाया और अपनी सारी परेशानियां बताई। उस संत ने कहा कि दीवार के बनने का काम तभी आगे बढ़ेगा, जब स्वेच्छा से कोई इंसान खुद की बलि देगा। यह सुनकर राणा कुंभा फिर से चिंतित हो गए, लेकिन तभी एक अन्य संत ने कहा कि इसके लिए वह खुद की बलि देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पहाड़ी पर चलने दिया जाए और जहां भी वह रुकें, उन्हें मार दिया जाए और वहां देवी का एक मंदिर बनाया जाए। कहते हैं कि वह संत 36 किलोमीटर तक चलने के बाद रुक गए। इसके बाद वहीं पर उनकी बलि दे दी गई। इस तरह दीवार का निर्माण कार्य पूरा हो सका था। 


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The great wall of india

 (Second longest wall in the world)

 As we all know, the longest wall in the world is in China, but very few people would know that the second longest wall in the world after China wall is in India, given the magnificent texture and length it is "  Has been given the status of "Great Wall of India".

 The length of the China wall is about 6400 kilometers, although according to a recent survey by the Archaeological Survey, the overall Great Wall, with all its branches, extends to 8851.8 kilometers, the same as the second longest wall in the world at Kumbhalgarh in Mewar, which is 36 kilometers long.  , And is situated at an altitude of eleven hundred meters above sea level.  The width of this wall is 15 meters.  It is said that about 10 horses can be run on it simultaneously. Even after being built hundreds of years ago, this wall stands like that.  Has not been damaged anywhere.

 Actually Kumbhalgarh is a fort, also known as the invincible citadel, because conquering it was a very difficult task.  Maharaja Akbar was also left sweating to pierce this fort wall.

 Kumbhalgarh Fort was built by Maharana Kumbha.  It is said that the construction of this fort took a long time of 15 years.  The great ruler Maharana Pratap was also born in the 16th century in this fort.  Maharana Pratap is said to have lived in this fort for a long time after the defeat in the Haldighati war.  Apart from this, Maharana Sanga's childhood was spent in this fort.  Maharana Udai Singh was also nurtured in this fort by Panna Dhay.

 There are more than 360 ancient temples inside this fort, although many temples have now turned into ruins.  There is also a fort inside this fort, which is known as 'Katar Garh'.  Kumbhalgarh Fort is protected by seven huge gates.  There are doors like Aareth Pol, Halla Pol, Hanuman Pol and Vijay Pol etc. to enter the fort.

 There is a mysterious story associated with the construction of Kumbhalgarh Fort.  It is said that when Maharana Kumbha started its construction work in 1443, then Rana Kumbha called a saint and became aware of all his problems.  The saint said that the construction of the wall will proceed only when a person willingly sacrifices himself.  Hearing this, Rana Kumbha again became worried, but then another saint said that he was ready to sacrifice himself for this.  He said that he should be allowed to walk on the hill and wherever he stops, he should be killed and a temple of Goddess should be built there.  It is said that the saint stopped after walking for 36 kilometers.  After this he was sacrificed there.  In this way the construction of the wall was completed.

24 comments:

  1. समुद्र तल से इतनी ऊंचाई पर बना यह लंबा चौड़ा किला और रास्ता अवश्य ही हमारे पूर्वजों के ज्ञान,समृद्धि और वैभवशाली संस्कृति की परिचायक है। ब्लॉग का यह अंश अत्यंत सराहनीय है, मुझे इसके बारे में पता नहीं था.... ज्ञानवर्धक ब्लॉग 👍👍👌👌

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  2. सुधा पाण्डेयSeptember 23, 2020 at 2:38 PM

    अपने देश की इतनी अद्भुत जानकारी से अनभिज्ञ थे,ब्लॉग के माध्यम से अत्यंत रोचक जानकारी मिल रही है जिसके लिए तुम बधाई की पात्र हो,भिन्न भिन्न विषयों पर आधारित तुम्हारे सारे ब्लॉग अत्यंत सराहनीय हैं

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  3. Sahi baat ha ... China k wall k bare me to sabhi jante... apne desh ki dharohar ko bhi sabhi ko janna chahiye.. very good job..Keep it up..

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  4. हमारे देश के बहुत सारे लोग इससे अनजान होंगे क्युकि इसकी जानकारी ही नहीं दी गई| ऐसे सैकड़ों भवन, मंदिर और किले हैं जिनके वास्तुकला और वैभव की कोई तुलना नहीं है लेकिन हमें पता ही नहीं है| अपने वास्तविक इतिहास से हमें सुनियोजित तरीके से दूर कर दिया गया है| हमारे पूर्वज तकनीकी रूप से कितने दक्ष थे इसका जीता जागता उदाहरण पहाड़ी को काटकर किया गया मंदिर निर्माण जो कि औरंगाबाद का कैलाश मंदिर है| ब्लॉग की इस शृंखला में ऐसे ही उदाहरणों का इंतजार रहेगा, बहुत ही उत्तम ब्लॉग

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    1. मेरी कोशिश रहेगी कि देश के ऐतिहासिक वास्तुकला को भी इस श्रृंखला में जरूर शामिल करूं।

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  5. बहुत बढ़िया जानकारी।ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया के बारे में कोई जानकारी नही थी।आपका हर बुधवार के ब्लॉग का बहुत बेसब्री से इंतज़ार रहता है।

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  6. Apne hi desh k bare me bahut si baat ha Jisse bahut log anbhigya hain.. aisi jaankari share karne k liye dhanywaad..

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  7. Good job...maine bhi pahli baar hi suna...chalo tumhare madhyam se kai baaten...kai jankariyan mil rahi..����

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  8. Bahut badiya jaankari di..

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  9. Bahut badhiya jankari..������

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  10. Great wall of China k bare me to sabhi jante ha..per great wall of India kam logo ko hi pta hoga..mujhe b nhi pta tha..

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  11. सही जानकारी 👌👍

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  12. हमारे इतिहासकारों ने कपट किया है हमारी धरोहरों के साथ😥 इसलिए ऐसी जानकारी को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित और प्रसारित करना हम सब की जिम्मेदारी है

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  13. पवन कुमारNovember 28, 2022 at 10:52 PM

    बहुत सारी ऐसी चीजें जिसपर हमलोगों
    को गर्व है उसे बताया नही गया। आपके
    लेख में ऐसी बातें हमेसा बताई जाती है
    जिसके बारे में हमलोगों को शायद पता
    भी नही है । बहुत ही अच्छी जानकर।
    🌹🙏गोविंद🙏🌹

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