Sunday

इतवार 
💦💦जिंदगी में जो करना चाहते हैं वो जरूर कीजिये,
 ये मत सोचिये के लोग क्या कहेंगे। 
क्यूँकि लोग तो तब भी कुछ कहते हैं,
जब हम कुछ नहीं करते।  💦💦

मैं तुम सब की ओर निहार रहा हूं ,
स्थान मुझे भी दो तुम अपने बीच ;
सबसे नीचे धूल भरी धारणी पर। 

जहाँ  ना आसन का देना है मूल्य ,
जहां खींचकर रेखा कुछ है लेना ;
जहां मान- अपमान का ना है भेद ,
स्थान वहां दो मुझको अपने बीच। 

जहां आवरण बाहर का ना रहे कुछ ,
जहां रहे परिचय अपना उन्मुक्त ;
अपना कहने को ना जहां कुछ भी हो। 

जहाँ ना ढके रहे अपने को सत्य ,
वही खड़ा रह परम धाम से 'उनके'
भर लूंगा मैं अपना सारा दैन्य  ,
स्थान वहां दो मुझको अपने बीच। 

💞💞 एक बचपन का जमाना था,
 जिसमें खुशियों का खजाना था। 
चाहत चांद को पाने की थी,
 पर दिल तितली का दीवाना था। 💞💞

18 comments:

  1. Aapka itwari post har itwar ko rangeen bna deta hai 👌👌👏👏

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  2. Nice poem..with beautiful smile..

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  3. ���� एक बचपन का जमाना था,
    जिसमें खुशियों का खजाना था।
    चाहत चांद को पाने की थी,
    पर दिल तितली का दीवाना था। ����
    आता है मुझे फिर याद वही गुजरा जमाना बचपन का...आहा....हर इतवार तुम्हारा पोस्ट बचपन के खुशनुमे याद में ढकेल देती है। मस्त पिंक

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  4. सुधा पाण्डेयAugust 23, 2020 at 2:01 PM

    इतवार का ब्लॉग भावमय कविता के साथ साथ प्यारी सी फ़ोटो के साथ बहुत ही खास बन जाता है और आज तो दो नन्हीं परियों ने चार चाँद लगा दिया

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  5. Kuch to log kahenge..logon ka kaam ha kahna...very nice post...superb

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  6. पठनीय ब्लॉग।

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  7. Very nice post 👍👍,aaj garden me 3gulab wonderful Sunday 😘♥️

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  8. Bachpan ki yaad dilati post jab Sunday ka siddat se intezaar rahta tha, sundar kavita aur photo

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  9. Really beautiful poem & beautiful family pic.

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