मूँगफली खाने के बाद के कुछ तथ्य

मूँगफली खाने के बाद के कुछ तथ्य

सर्दी की दस्तक हो चुकी है। सड़क के किनारे मूंगफली की रेडियां लग चुकी है। वैसे तो मूंगफली हर मौसम में हर महीने में उपलब्ध है, परंतु सर्दियों में गरम गरम मूंगफली खाने का अपना अलग आनंद है। आज आपके इसी आनंद को बढ़ाते हैं और प्रस्तुत करते हैं कुछ तथ्य जो शायद आप लोगों के साथ भी घटित होता होगा।

जब भी हम ये सोंचे कि अब बस करता हूँ तो आख़िरी वाली मूँगफली का कड़वा हुआ स्वाद ५-६ मूँगफली और खाने को मजबूर कर देता है। 

मूँगफली खाने के बाद के कुछ तथ्य

हम कितना भी स्वच्छ भारत अभियान के समर्थक हों, मूँगफली के छिलके इधर उधर फेंकने के अपने अलग मज़े हैं। साथ ही अगर पास ही आग जल रही हो तो छिलके उसमें डालने का अलग ही आनंद है। आग में छिलके जरूर डालिये, पर इधर उधर फेंकने का आनंद ना उठाइये। 

अगर ४-५ लोग एकसाथ मूँगफली खा रहे हैं, तो हमारे खाने की स्पीड सामने वालों के खाने की स्पीड पर बहुत हद तक निर्भर करती है।

जब मूँगफली का स्वाद अपने चरम पर होता है, तो एक मूँगफली के अंदर भरी हुई मिट्टी / रेत या नमक आपकी स्वाद ग्रंथियों की ऐसी की तैसी कर देती हैं।

मूँगफली खाने के बाद के कुछ तथ्य

मूँगफली के साथ मिलने वाली नमक की पुड़िया की भी अपनी ही अहमियत होती है। कुछ जगह मिर्च की चटनी भी मिलती है। छिलके में चटनी लगा के चाटने का आपना ही मज़ा है, इसको बयां कर पाना लगभग असंभव है। 

और आख़िर में कितनी भी खा लो, लगता है कि और ले ली होती तो अच्छा होता।

मूँगफली खाते हुए अगर एक दाना हाथ से छूटकर गिर जाये तो ऐसा फील होता है, जैसे पुरखों की संपत्ति हाथ से निकल गयी है…. उस दाने को ढूंढे बिना दूसरी मुंगफली खाने में मन नही लगता,या यह कहे जब तक ना मिल जाये, आंखे चारो तरफ उसे ही दूंढ रही होती है। 

मूंगफली खाने वाला व्यक्ति अच्छी अच्छी भरी हुई मूंगफली पहले खाता है और छोटी और थोड़ी बहुत जली हुई बाद में खाता है। 

एक तथ्य तो रह ही गया कि जब हम मूंगफली खत्म होने के बाद छिलके हटा रहे होते हैं, तो उसमें कोई मूंगफली का दाना मिल जाता है, तब उसका आनंद असीमित होता है। लगता है जैसे खोया ख़ज़ाना मिल गया हो।

मूँगफली खाने के बाद के कुछ तथ्य

क्या आपके साथ भी ऐसा ही होता है? जरूर बताइये। 
और मूँगफली के साथ पोस्ट का भी आनंद उठाइये। 

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