दूध को दही बनाने वाला अद्भुत पत्थर

दूध को दही बनाने वाला अद्भुत पत्थर

हम भारतवासियों के सभी घरों में दही जमाया जाता है। दही जमाने की एक साधारण सी प्रक्रिया है। हम लोग दूध में जोरन डाल देते हैं, 4 से 6 घंटे में यह दूध दही में बदल जाता है। दूध से दही बनने की प्रक्रिया को किण्वन कहते हैं। किण्वन एक जैव रासायनिक क्रिया है, जिसमें जटिल कार्बनिक यौगिक सूक्ष्मजीवों की सहायता से सरल कार्बनिक यौगिक में विघटित हो जाते हैं। दूध से दही बनना एक रासायनिक अभिक्रिया है। लैक्टोबैसिलस जीवाणु के कारण दूध से दही बनता है।

दूध को दही बनाने वाला अद्भुत पत्थर

वैसे आज हम दूध से दही बनने की प्रक्रिया पर चर्चा नहीं करेंगे, अपितु एक ऐसे पत्थर की चर्चा करेंगे जिसके दूध में डालने से दूध दही में बदल जाता है। साधारणतया हम दूध में थोड़ा सा दही एक चम्मच या दो चम्मच दही जिसको कुछ जगहों पर जोरन तो कहीं जामन कहा जाता है, डालते हैं और दूध जम के दही बनता है, परंतु बिना जामन के भी दही जम सकता है, यह बात आश्चर्यजनक है। राजस्थान के जैसलमेर जिले में एक पत्थर मिलता है जिसे हासिल कहते हैं, यह पत्थर दूध को दही में बदल देता है।

दूध को दही बनाने वाला अद्भुत पत्थर

जैसलमेर जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर स्थित हाबूर गांव में लोग पत्थर से दही जमाते हैं। यह एक ऐसा अनोखा पत्थर है जो कि दूध को जमाकर दही में बदल देता है। यहां के लोग सैकड़ों सालों से इस चमत्कारी पत्थर का उपयोग करते आ रहे हैं। दूध में इस पत्थर को डालने के 14 घंटे बाद दूध, दही में बदल जाता है। हाबूर गांव अब पूनमनगर के नाम से पहचाना जाता है। यहां के इस पत्थर को स्थानीय भाषा में 'हाबूरिया भाटा' भी कहा जाता है। इस पत्थर के संपर्क में आते ही दूध जम जाता है। यह पत्थर अपनी इस विशेष खूबी के कारण देश-विदेश में काफी लोकप्रिय है। यहां आने वाले सैलानी हाबूर पत्थर के बने बर्तन भी ले जाते हैं। इस पत्थर से बने बर्तनों की डिमांड हमेशा ही बनी रहती है।

दूध को दही बनाने वाला अद्भुत पत्थर

शोधकर्ताओं ने भी इसे प्रमाणित किया है। शोध में साबित हुआ है की इस पत्थर में दही जमाने वाले रासायनिक गुण मौजूद हैं। इस पत्थर में एमिनो एसिड, फिनायल एलिनिया, रिफ्टाफेन टायरोसिन हैं जो कि दूध से दही जमाने में सहायक होते हैं। इन बर्तनों में जमा दही और उससे बनने वाली लस्सी के देश-विदेश के पर्यटक दीवाने हैं। आपको बस हाबूर पत्थर के बर्तनों में दूध रखकर छोड़ दीजिए, सुबह तक शानदार दही तैयार हो जाता है जो स्वाद में मीठा और सौंधी खुश्बू वाला होता है। इस पत्थर में कई खनिज व अन्य जीवाश्मों की भरमार है जो इसे चमत्कारी बनाते हैं।

दूध को दही बनाने वाला अद्भुत पत्थर

यह पत्थर हल्का सुनहरा और पीले रंग का होता है। गांव में मिलने वाले इस स्टोन से बर्तन, मूर्ति और खिलौने बनाए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि हजारों साल पहले जहां पर आज जैसलमेर है, वहां पहले विशाल समुद्र हुआ करता था। धीरे-धीरे समुद्र सूख जाने के कारण यहां मौजूद समुद्री जीवाश्म में बदल गए। फिर यहां पहाड़ों का निर्माण होने लगा। फिर पत्थरों से खनिजों का निर्माण भी शुरू होने लगा। धरती की उथल-पुथल में समुद्र व समुद्री जीव जमीन में दब गए, जो आज पत्थर बन गए हैं और उसमें विशिष्ट गुण आ गए हैं, जिससे इसमें रखा दूध बिना किसी सहायक विलायक की‌ मदद से दही में परिवर्तित हो जाता है। इन पत्थर के बर्तनों के उपयोग करने व इसमें बना खाना खाने से कई असाध्य बिमारियों से राहत मिलती है. इस फॉसिल पत्थर को जीवाश्म पत्थर भी कहा जाता है। 

7 comments:

  1. अनोखी जानकारी

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  2. उव्वाहहहहह
    आभार
    सादर

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  3. अच्छी जानकारी, जितने लोग तुम्हारा ब्लॉग देखते है, उन सब के लिए एक एक छोटे छोटे बर्तन दही जमाने के लिए उपहार स्वरूप भेंट कर दीजिए । तब तुम बहुत बड़ी वाली बन जाओगी । धन्यवाद

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  4. Rare information...

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