"अधूरा सा किस्सा "

 "अधूरा सा किस्सा "

Rupa Oos ki ek Boond
"काँटों से घिरा रहता है,
फिर भी गुलाब खिला रहता है...🌹"

सच कहूं तो 

तुम मेरी पहुंच से बहुत दूर हो 

मैं एक आम सा‌ किरदार हूं 

तुम ख़ास सी शख्सियत हो

मैं गली के अगले मोड़ पर 

खत्म होती कहानी हूं

तुम दुसरी दुनिया के तिलिस्म हो

जिसका हल मुश्किल था 

तब भी और आज भी 

तुम आकाश का चमकता सितारा हो

मैं जमीन पर बिखरीं हुई कहानी 

तुम महफ़िल में उजाला हो 

मैं अन्धेरों में गुम हुई ,बीती रात हूं

जानती हूं अधूरा सा है ये किस्सा

ये कविता ये अफसाना

बस इतना ही लिख सके 

कमबख्त ये आंखे कभी

साथ नहीं देती हैं मेरा 

जब देखो 

भीग कर रास्ता रोक लेती हैं...

फिर कभी सही..  

इस अधूरे किस्से को पूरा करेंगे...

फिर कभी इत्मिनान से ढालेंगे तुम्हें कविता में..

Rupa Oos ki ek Boond

"कितने शौख से छोड़ दिया तुमने बात करना,
जैसे सदियों से तेरे ऊपर कोई बोझ थे हम.."

20 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 17 जून 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. पांच लिंकों के आनन्द में इस रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।

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  2. Very nice 👌 👍

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  3. मार्मिक रचना

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  4. वाह! बहुत खूब!

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  5. बहुत बहुत सुन्दररचना

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  6. Bht hi aatmiya roop se apni bhawnate utari h aapne in lines me...marvelous

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  7. Waah! Bahut Sundar rachna....Bahut Sundar..

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