"अधूरा सा किस्सा "
सच कहूं तो
तुम मेरी पहुंच से बहुत दूर हो
मैं एक आम सा किरदार हूं
तुम ख़ास सी शख्सियत हो
मैं गली के अगले मोड़ पर
खत्म होती कहानी हूं
तुम दुसरी दुनिया के तिलिस्म हो
जिसका हल मुश्किल था
तब भी और आज भी
तुम आकाश का चमकता सितारा हो
मैं जमीन पर बिखरीं हुई कहानी
तुम महफ़िल में उजाला हो
मैं अन्धेरों में गुम हुई ,बीती रात हूं
जानती हूं अधूरा सा है ये किस्सा
ये कविता ये अफसाना
बस इतना ही लिख सके
कमबख्त ये आंखे कभी
साथ नहीं देती हैं मेरा
जब देखो
भीग कर रास्ता रोक लेती हैं...
फिर कभी सही..
इस अधूरे किस्से को पूरा करेंगे...
फिर कभी इत्मिनान से ढालेंगे तुम्हें कविता में..
जैसे सदियों से तेरे ऊपर कोई बोझ थे हम.."
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 17 जून 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteपांच लिंकों के आनन्द में इस रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
Deleteअति सुन्दर 👌
ReplyDeleteVery nice 👌 👍
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteVery nice 👌
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteमार्मिक रचना
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब!
ReplyDeleteAwesome 💞❤️
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दररचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteBahut sundar kavita
ReplyDeleteBht hi aatmiya roop se apni bhawnate utari h aapne in lines me...marvelous
ReplyDeleteWaah! Bahut Sundar rachna....Bahut Sundar..
ReplyDeleteBahut sunder 👌
ReplyDeleteWaah! Lajwaab....
ReplyDeleteWaah.... Lajwaab 😍
ReplyDeleteVery nice
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