मातृ दिवस || Mother's Day || 12 May 2024

मातृ दिवस (Mother's Day) 

"रुके तो चांद जैसी है,
चले तो हवाओं जैसी है,
वह मां ही है
जो धूप में भी छांव जैसी है.."

"आधुनिक मातृ दिवस का अवकाश ग्राफटन वेस्ट वर्जिनिया में एना जार्विस के द्वारा समस्त माताओं तथा मातृत्व के लिए खास तौर पर पारिवारिक एवं उनके आपसी सम्बन्धों को सम्मान देने के लिए आरम्भ किया गया था। मातृ दिवस अनाथ बच्चों के प्रति समाज की कुछ विशेष वर्ग की महिलाओं द्वारा ममत्व दिखाने का दिन है, जो अनाथ बच्चे होते हैं उन्हें इस दिन अपनी 1 दिन की वात्सल्य देने वाली मां के लिए अति प्रेम रहता है। सामान्यता यह दिन यूरोप अमेरिका में ही मनाया जाता है। भारत में जो लोग पाश्चर संस्कृति को बढ़ावा देना चाहते हैं, गत वर्षों में वह लोग भी इस दिन को मनाने लगे हैं। भारतीय महाद्वीप में इस तरह का कोई दिन नहीं है।"

ये पंक्तियाँ विकिपीडिआ से ली गयी हैं। इसमें लिखा है कि यह अमेरिका और यूरोप की सभ्यता है। इसपर राजीव दीक्षित जी क्या कहते हैं? क्यों मनाया जाता था Mother's Day? शुरुवात कैसे हुई ? इस वीडियो में देखिये। 


मातृ दिवस माता को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। एक मां का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। एक मां का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, एक मां बिना ये दुनियां अधूरी है। माँ के वात्सल्य के लिए निःस्वार्थ और अटूट प्रेम के लिए उनका सम्मान एक दिन नहीं बल्कि हर दिन होना चाहिए।  भारतीय लोगों के लिए मां से प्रेम या पिता से प्रेम सदैव ही आजीवन अकल्पनीय एवं अद्भुत रहा है। किसी ने सच ही कहा है 
"माँ" के लिए मैं क्या लिखूं....? 
माँ ने तो खुद मुझे लिखा है.....

हमारे यहाँ तो हर दिन की शुरुआत "माँ" से ही होती है। हर दिन माँ का सम्मान करें, आदर और प्रेम करें और अगर चाहें तो आज के दिन माँ के लिए कुछ स्पेशल करें। 

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