श्री हनुमान गढ़ी मंदिर, अयोध्या (Shri Hanuman Garhi Mandir, Ayodhya)

श्री हनुमानगढ़ी मंदिर

अयोध्‍या में 22 जनवरी दिन इतिहास के पन्‍नों पर दर्ज हो गया है। राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्‍ठा हुई। अयोध्‍या को मूर्ति और मंदिरों का गढ़ कहा जाता है। यहां एक से बढ़कर एक मूर्तियां और करीब 8000 मठ और मंदिर हैं। इनमें सबसे मशहूर है श्री हनुमान गढ़ी मंदिर (Shri Hanuman Garhi Mandir)


श्री हनुमान गढ़ी मंदिर, अयोध्या (Shri Hanuman Garhi Mandir, Ayodhya)

अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित है। हनुमानगढ़ी मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तजनों को 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यहां बजरंगबली के दर्शन किए बिना रामलला की पूजा अधूरी मानी जाती है। हनुमानगढ़ी भगवान बजरंगबली का घर कहा गया है। जब भगवान राम, हनुमान जी सहित लंका विजय करने के बाद अयोध्या आए थे तब से ही हनुमान जी यहां एक गुफा में रहने लगे थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। 

श्री हनुमान गढ़ी मंदिर, अयोध्या (Shri Hanuman Garhi Mandir, Ayodhya)

यहां पर लंका से जीत के बाद लाए गए निशान भी रखे गए हैं। हनुमानगढ़ी मंदिर में एक खास‘हनुमान निशान' है, जो करीब 4 मीटर चौड़ा और 8मीटर लंबा ध्वज है। मान्यता है हर पूजा से पहले करीब 200 लोग इसे पकड़कर जन्मभूमि स्थल ले जाते हैं। जहां सबसे पहले इसकी पूजा की जाती है। 

यह मंदिर कई गुप्‍त रहस्‍य लिए बैठा है। आखिर क्‍याें इतनी मान्‍यता है हनुमानगढ़ी की और क्‍या है इस मंदिर का गुप्‍त रहस्‍य? इस मंदिर को लेकर कई कहानियां और मान्यताएं हैं। कहते हैं कि लंका से लौटने के बाद भगवान राम ने अपने प्रिय भक्‍त हनुमान को यह जगह रहने के लिए दी थी। इस लिए इस जगह को हनुमानजी का घर भी कहते हैं। अथर्ववेद के अनुसार, भगवान राम ने हनुमान जी को कहा था कि जब भी कोई अयोध्‍या में मेरे दर्शन करने आएगा, उससे पहले उसे तुम्‍हारे यानी हनुमानजी के दर्शन करने होंगे। इसलिए आज भी लोग रामलला के दर्शन से पहले हनुमानगढ़ी जाते हैं।

300 साल पहले हुई थी मंदिर की स्‍थापना 

प्राचीन सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी को अधोध्या का सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिर माना जाता है। हनुमानगढ़ी मंदिर की स्थापना करीब 300 साल पहले स्वामी अभयराम जी अभयारामदासी के निर्देश में सिराजुद्दौला ने की थी। यह मंदिर अयोध्‍या शहर के बीचों बीच ऊंचे टीले पर स्थित है। इसके दक्षिण में अंगद और सुग्रीव टीली भी बना हुआ है। हनुमानगढ़ी बनवाने के पीछे के रोचक कहानी है। कहते हैं यहां जब नवाब शुजाऊद्दौला के शहजादे गंभीर बीमार हुआ तो चिकित्सकों ने भी हाथ टेक दि थे। नवाब परेशान हो गये तो हिंदू मंत्रियों ने बाबा अभयराम और उन पर हनुमान जी की कृपा के बारे में नवाब को बताया। जब अभयराम ने कुछ मंत्र पढ़कर हनुमानजी के चरणामृत का जल नवाब के बेटे पर छिड़का, तो उसकी सांसे लौट आईं। नवाब ने इसे चमत्कार माना और अभयराम जी से हनुमानगढ़ी बनवाने की बात कही। 

श्री हनुमान गढ़ी मंदिर, अयोध्या (Shri Hanuman Garhi Mandir, Ayodhya)

आज भी बने हैं हनुमान निशान   

हनुमानगढ़ी में हनुमान जी की प्रतिमा दक्षिणमुखी है। यहां दिखने वाले हनुमान निशान लोगों को आश्चर्यचकित कर देते हैं। यह एक चार मीटर चौड़ा और आठ मीटर लंबा ध्‍वज है, जो लंका से विजय का प्रतीक है। इसके साथ एक गदा और त्रिशूल भी रखा है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले अयोध्‍या में हनुमान निशान ले जाया जाता है। लगभग 20 लोग इस निशान को हनुमानगढ़ी से राम जन्‍म भूमि तक तक ले जाते हैं। पहले इसकी पूजा होती है और फिर किसी कार्य की शुरुआत की जाती है।

गुप्‍त रूप से बजरंग बली देते हैं दर्शन

हनुमानगढ़ी जैसी गुप्‍त पूजा पद्धति बहुत‍ विशेष है। देश में ऐसी पूजा और कहीं नहीं होती। हनुमानगढ़ी में यह परंपरा सर्दियों से चली आ रही है। दरअसल, एक गुप्‍त पूजा होती है। जिसमें पुजारियों के अलावा किसी और को आने की अनमुति नहीं होती। यह पूजा सुबह 3 बजे होती है, जिसमें खुद पवन पुत्र हनुमान पूजा में सम्‍मलित 8 पुजारियों को साक्षात दर्शन देते हैं। यह पूजा करीब डेढ़ घंटे की होती है। सबसे अजीब बात तो यह है कि ये पुजारी न तो इस पूजा के बारे में किसी को कुछ बताते हैं और न ही कभी चर्चा करते हैं। क्‍योंकि उनकी भी एक मर्यादा है। बता दें कि मंदिर के पट सुबह 4 बजे श्रद्धालुओं के लिए खुल जाते हैं, जो रात 10 बजे तक खुले रहते हैं।

श्री हनुमान गढ़ी मंदिर, अयोध्या (Shri Hanuman Garhi Mandir, Ayodhya)

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Shri Hanuman Garhi Temple

22 January has been recorded in the pages of history in Ayodhya. The idol of Ramlala was consecrated in the Ram temple on 22 January. Ayodhya is called the fort of statues and temples. There are many statues and about 8000 monasteries and temples here. The most famous among these is Shri Hanuman Garhi Temple.

श्री हनुमान गढ़ी मंदिर, अयोध्या (Shri Hanuman Garhi Mandir, Ayodhya)

Ayodhya is situated on a high mound on the right bank of the Saryu river. To reach Hanumangarhi temple, devotees have to climb 76 stairs. Here the worship of Ramlala is considered incomplete without seeing Bajrangbali. Hanumangarhi is said to be the home of Lord Bajrangbali. When Lord Ram along with Hanuman ji came to Ayodhya after conquering Lanka, Hanuman ji started living in a cave here and used to protect Ramjanmabhoomi and Ramkot.

श्री हनुमान गढ़ी मंदिर, अयोध्या (Shri Hanuman Garhi Mandir, Ayodhya)

The souvenirs brought after the victory from Lanka are also kept here. Hanumangarhi temple has a special 'Hanuman Nishan', which is a flag about 4 meters wide and 8 meters long. It is believed that before every puja, about 200 people hold it and take it to the birthplace. Where it is worshiped first.

This temple holds many hidden secrets. After all, why is Hanumangarhi so recognized and what is the secret of this temple? There are many stories and beliefs regarding this temple. It is said that after returning from Lanka, Lord Rama gave this place to his beloved devotee Hanuman to live. That is why this place is also called Hanumanji's house. According to Atharvaveda, Lord Ram had told Hanumanji that whenever anyone comes to Ayodhya to visit him, first he will have to see you i.e. Hanumanji. That is why even today people go to Hanumangarhi before having the darshan of Ramlala.

The temple was established 300 years ago

Ancient Siddhpeeth Hanumangarhi is considered to be the most famous Hanuman temple of Adhodhya. Hanumangarhi Temple was established about 300 years ago by Siraj-ud-Daula under the instructions of Swami Abhayaram Ji Abhayaramadasi. This temple is situated on a high mound in the middle of Ayodhya city. Angad and Sugriva mounds are also built to its south. There is an interesting story behind the construction of Hanumangarhi. It is said that when Nawab Shuja-ud-Daula's prince became seriously ill, even the doctors had given up. When the Nawab got worried, the Hindu ministers told the Nawab about Baba Abhayram and Hanuman ji's blessings on him. When Abhayram recited some mantras and sprinkled Hanumanji's Charanamrit water on the Nawab's son, his breathing came back. The Nawab considered it a miracle and asked Abhayram ji to get Hanumangarhi built.

श्री हनुमान गढ़ी मंदिर, अयोध्या (Shri Hanuman Garhi Mandir, Ayodhya)

Hanuman marks are still there today

The statue of Hanuman ji in Hanumangarhi faces south. The Hanuman marks seen here surprise people. It is a four meter wide and eight meter long flag, which symbolizes victory over Lanka. A mace and trident are also kept with it. Before doing any auspicious work, Hanuman Nishan is taken to Ayodhya. About 20 people carry this trail from Hanumangarhi to Ram Janmabhoomi. First it is worshiped and then some work is started.

Bajrang gives darshan secretly

The secret worship method like Hanumangarhi is very special. Such puja is not done anywhere else in the country. This tradition has been going on in Hanumangarhi since winter. Actually, there is a secret worship. In which no one else is allowed to enter except the priests. This puja takes place at 3 am in the morning, in which Pawan's son Hanuman himself gives physical darshan to the 8 priests participating in the puja. This puja lasts for about one and a half hours. The strangest thing is that these priests neither tell anything about this puja to anyone nor discuss it. Because they also have a dignity. Let us tell you that the doors of the temple open for devotees at 4 am in the morning and remain open till 10 pm.

9 comments:

  1. आपके लिखने का अंदाज काफी अच्छा हैं और आप सरल भाषा में लिखते हैं, आपके ब्लॉग को देखकर हीं हमने इस Omega 3 Capsule Ke Fayde aur Nuksan in Hindi आर्टिकलं को लिखा हैं, मुझे लगता हैं की आप हमे कुछ तो सुझाव दे ताकी हम भी अपने ब्लॉगिंग करियर की आपके जैसी ही बढोतरी करे..!

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  2. सनातन संस्कृति सतत और संपूर्ण है

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