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अति भावपूर्ण अभिव्यक्ति रूपा जी। सादर। ------ जी नमस्ते, आपकी लिखी रचना मंगलवार १२ मार्च २०२४ के लिए साझा की गयी है पांच लिंकों का आनंद पर... आप भी सादर आमंत्रित हैं। सादर धन्यवाद।
खुली आंखों से हजार चेहरें देखे हैं बंद आंखों से सपने सुनहरें देखे हैं रोज ख्वाबों में 1 चेहरा आता था दिल को मेरे वो बहुत लुभाता था वो चेहरा कुछ जाना-पहचाना था मेरा दिल बस उसी का दीवाना था पर उसे कदर न थी मेरी चाहत की मज़ाक बना दी मेरी मोहब्बत की उसे पसंद ऐशोआराम कि जिंदगी वो दीवानी थी दौलत-शोहरत की इस मोहब्बत का यही फसाना है किसी की याद में आंसू बहाना है भुला नहीं सकते पहली मोहब्बत इसके आगे जमाना भी बेगाना है सोच-समझ करना किसी से प्यार इसमें जिंदगी जीना हो जाता दुश्वार हर किसी को कदर नहीं इश्क़ की मोहब्बत को समझने लगे व्यापार 🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
एक से एक मिलते है तो हो जाते हैं दो दोनों मिलकर फिर कहलाते दोनों एक दोनों में से अचानक एक का बिछड़ जाना जीवन की गणित का बिगड़ता ताना-बाना वो एक कमी दे जाती अपनी आंखों में नमी आसमां तन्हा होता सुनी हो जाती जमीं हो सके तो किसी को कभी बिछड़ने ना देना खुशी के गुलिस्ता को यूँही उझड़ने ना देना 🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
इस कदर बेकदर हम तुझे ढूंढते फिरते रहे तेरी तलाश में आंखों से यूँ अश्क गिरते रहे होंठ सुर्ख होने लगे आंखें भी तरस गई उम्मीदों में नमी थी जो जितनी बरस गई अब भी इंतजार है धड़कने बेकरार है तुझसे प्यार था बस तुझसे ही प्यार है होश में अब क्या आऊं मैं कैसे तुझे तो अब भुलाऊं मैं 🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
आज भी खलती है मुझे तेरी कमी इन आंखों में रहती है वैसी ही नमी आज भी याद करता तुझे मेरा दिल आज भी सुनी जिंदगी की महफिल आज भी बस तेरा इंतजार रहता है आज भी मुझे बस तुझसे प्यार है ना इकरार किया ना इजहार किया तेरे ही इजहार को दिल बेकरार है 🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
दिल के अरमान क्या कहे हम कब तक ये दर्दों-गम सहे हम तुम इशारा कर दो आंखों से तभी तो हाले-दिल कहे हम तुम चुप रहोगी जब तलक तो हम भी यूँ खामोश रहेंगे जब तक तुम कुछ न कहोगी तब तक हम भी कुछ न कहेंगे अब तो लबों से इजहार करो हम पर जरा तो एतबार करो चुप्पी का मतलब क्या समझे इजहार करो या इनकार करो 🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
उनकी तमाम यादों का कारवां मेरी धड़कनों के साथ चलता है मेरी आंखों से उतरा है जब से तबसे दिलो-दिमाग में पलता है कुछ कशिश थी उनकी बातों में वो बातें तमाम भूल नहीं पाता हूं इत्तेफाक से उनसे मिलना हुआ वो मुलाकातें भूल नहीं पाता हूँ उनसे मिलना उनसे बातें करना वो सब मेरे दिल का सुकून था उन्हें मेरी तन्हा जिंदगी में लाना मेरे इस जिगर का तो जुनून था पर मेरे नसीब ने ये धोखा दिया फिर ना मिलने का मौका दिया मेरी इस किस्मत की बेरुखी ने बड़ा ही गजब मुझे चौंका दिया अब किस के सर ये इल्जाम दूं क्या हो गर किसी का नाम लूं 🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
इन आंखों में नमी है दिल में कुछ बात है जख्म फिर हरे हुए बरसात की रात है भुले नहीं वो दिन सुहाना था मौसम बरसात की रात में जब भीगे थे हम छुईमुई-सी हो गई जब मैंने तुझे छुआ अलाव वो बुझ गया बस रह गया धुआँ हमारी मोहब्बत का अंजाम क्या हुआ ना तु मेरी हो सकी ना ही मैं तेरा हुआ 🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
Wah Wah
ReplyDeleteअति भावपूर्ण अभिव्यक्ति रूपा जी।
ReplyDeleteसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १२ मार्च २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
"पांच लिंकों का आनंद" पर इस रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
Deletewaah
ReplyDeleteankhiyon ko band karke so jao.. good night sweet dreams
सोने वाले नहीं समझेंगे जागने वाले के मसले क्या है
ReplyDelete🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
ReplyDelete🙏जय शिव शम्भू 🚩🚩🚩
🙏हर हर महादेव 🚩🚩🚩
🙏महादेव का आशीर्वाद आप और आपके परिवार पर हमेशा बना रहे 🙏🙏
No Comments 🙏🙏
🙏अपना ख्याल रखो 🙏
कौन जगा कौन सोया
ReplyDeleteकिसने पाया किसने खोया
हिसाब नही है जिंदगी
अपने आप को जीना है
असली नाम जिंदगी
कौन जगा कौन सोया
ReplyDeleteकिसने पाया किसने खोया
हिसाब नही है जिंदगी
अपने आप को जीना है
असली नाम जिंदगी
विरह का दर्द। वाह।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अत्यंत भावपूर्ण सृजन
ReplyDeleteवाह!!!
वाह
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteअंखियों से मिली जो अंखियाँ
ReplyDeleteछेड़ती रही मुझे मेरी सखियाँ
अठखेलियाँ करती दिन भर
रातों को तो जागती अखियाँ
चला गया उन आंखों का नूर
जब से गया साजन मुझसे दूर
बोल ना सकी कुछ भी लबों से
दिल ने कर दिया इतना मजबूर
अब सिर्फ आंसू है इन आंखों में
कैद हो गई जैसे मैं सलाखों में
सोचती रह गई ये सुनी अखियाँ
जैसे कोई मिला एक लाखों में
खुली आंखों से हजार चेहरें देखे हैं
ReplyDeleteबंद आंखों से सपने सुनहरें देखे हैं
रोज ख्वाबों में 1 चेहरा आता था
दिल को मेरे वो बहुत लुभाता था
वो चेहरा कुछ जाना-पहचाना था
मेरा दिल बस उसी का दीवाना था
पर उसे कदर न थी मेरी चाहत की
मज़ाक बना दी मेरी मोहब्बत की
उसे पसंद ऐशोआराम कि जिंदगी
वो दीवानी थी दौलत-शोहरत की
इस मोहब्बत का यही फसाना है
किसी की याद में आंसू बहाना है
भुला नहीं सकते पहली मोहब्बत
इसके आगे जमाना भी बेगाना है
सोच-समझ करना किसी से प्यार
इसमें जिंदगी जीना हो जाता दुश्वार
हर किसी को कदर नहीं इश्क़ की
मोहब्बत को समझने लगे व्यापार
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
एक से एक मिलते
ReplyDeleteहै तो हो जाते हैं दो
दोनों मिलकर फिर
कहलाते दोनों एक
दोनों में से अचानक
एक का बिछड़ जाना
जीवन की गणित का
बिगड़ता ताना-बाना
वो एक कमी दे जाती
अपनी आंखों में नमी
आसमां तन्हा होता
सुनी हो जाती जमीं
हो सके तो किसी को
कभी बिछड़ने ना देना
खुशी के गुलिस्ता को
यूँही उझड़ने ना देना
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
इस कदर बेकदर हम
ReplyDeleteतुझे ढूंढते फिरते रहे
तेरी तलाश में आंखों
से यूँ अश्क गिरते रहे
होंठ सुर्ख होने लगे
आंखें भी तरस गई
उम्मीदों में नमी थी
जो जितनी बरस गई
अब भी इंतजार है
धड़कने बेकरार है
तुझसे प्यार था बस
तुझसे ही प्यार है
होश में अब क्या
आऊं मैं कैसे तुझे
तो अब भुलाऊं मैं
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
आज भी खलती है मुझे तेरी कमी
ReplyDeleteइन आंखों में रहती है वैसी ही नमी
आज भी याद करता तुझे मेरा दिल
आज भी सुनी जिंदगी की महफिल
आज भी बस तेरा इंतजार रहता है
आज भी मुझे बस तुझसे प्यार है
ना इकरार किया ना इजहार किया
तेरे ही इजहार को दिल बेकरार है
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
दिल के अरमान क्या कहे हम
ReplyDeleteकब तक ये दर्दों-गम सहे हम
तुम इशारा कर दो आंखों से
तभी तो हाले-दिल कहे हम
तुम चुप रहोगी जब तलक
तो हम भी यूँ खामोश रहेंगे
जब तक तुम कुछ न कहोगी
तब तक हम भी कुछ न कहेंगे
अब तो लबों से इजहार करो
हम पर जरा तो एतबार करो
चुप्पी का मतलब क्या समझे
इजहार करो या इनकार करो
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
उनकी तमाम यादों का कारवां
ReplyDeleteमेरी धड़कनों के साथ चलता है
मेरी आंखों से उतरा है जब से
तबसे दिलो-दिमाग में पलता है
कुछ कशिश थी उनकी बातों में
वो बातें तमाम भूल नहीं पाता हूं
इत्तेफाक से उनसे मिलना हुआ
वो मुलाकातें भूल नहीं पाता हूँ
उनसे मिलना उनसे बातें करना
वो सब मेरे दिल का सुकून था
उन्हें मेरी तन्हा जिंदगी में लाना
मेरे इस जिगर का तो जुनून था
पर मेरे नसीब ने ये धोखा दिया
फिर ना मिलने का मौका दिया
मेरी इस किस्मत की बेरुखी ने
बड़ा ही गजब मुझे चौंका दिया
अब किस के सर ये इल्जाम दूं
क्या हो गर किसी का नाम लूं
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
इन आंखों में नमी है
ReplyDeleteदिल में कुछ बात है
जख्म फिर हरे हुए
बरसात की रात है
भुले नहीं वो दिन
सुहाना था मौसम
बरसात की रात में
जब भीगे थे हम
छुईमुई-सी हो गई
जब मैंने तुझे छुआ
अलाव वो बुझ गया
बस रह गया धुआँ
हमारी मोहब्बत का
अंजाम क्या हुआ
ना तु मेरी हो सकी
ना ही मैं तेरा हुआ
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏