आहिस्ता आहिस्ता करके

आहिस्ता आहिस्ता करके

Rupa Oos ki ek Boond

आहिस्ता आहिस्ता करके,

पिघलना पड़ता है,

आसान नहीं मुहब्बत,

बहुत जलना पड़ता है।

बुझती भी नहीं आग दिल की,

जलकर राख भी नहीं होता है।

एक बार हो जाए मुहब्बत तो,

जिंदगी भर गिर गिर कर,

संभलना पड़ता है।

सदियों से रहा है दुश्मन,

जमाना मुहबत का

घर वालों की नजर से भी,

आंसू बनकर निकलना पड़ता है।

खुब सोचना समझना 

किसी का होने से पहले

क्योंकि हो जाए इश्क़ तो,

ताउम्र हाथ मलना पड़ता है।

इतिहास गवाह है मुहब्बत में,

मंजिल नहीं मिलती,

सूरज की तरह रोज,

निकलकर ढलना पड़ता है।

Rupa Oos ki ek Boond

23 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 25 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. "पांच लिंकों के आनन्द में" इस रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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  2. इश्क मोहब्बत प्रेम प्यार💓
    इस पर टिका है सारा संसार🎇

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  3. प्यार को परिभाधित करती बेहतरीन कविता।
    शुभ रविवार

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  4. शुभ रविवार

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  5. अति सुन्दर रचना

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  6. Waaaaaaahh kya bat hai Rupa Ji Very Nice 😍🙏🏼

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  7. This comment has been removed by the author.

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  8. बहुत सुन्दर रचना

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  9. बहुत सुंदर रचना 🙏

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  10. Happy Holi Rupa ji

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