बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता

बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता

Rupa Oos ki ek Boond

बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता

जो बीत गया है, वो गुजर क्यूँ नहीं जाता..


सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें

क्या बात है, मैं वक्त पे घर क्यूँ नहीं जाता..


वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में

जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता..


मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा

जाते हैं जिधर सब मैं उधर क्यूँ नहीं जाता..


वो ख़्वाब जो बरसों से न चेहरा न बदन है

वो ख़्वाब हवाओं में बिखर क्यूँ नहीं जाता..

18 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 19 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. "पांच लिंकों के आनन्द में" इस रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार।

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  2. जिंदगी के दर्द का फलसफा समझाती दर्द भरी ग़ज़ल

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  3. दर्द बेनाम हो ही नही सकता , दर्द का नाम और उस से जुड़ा इंसान खुद उसका नाम जो होता

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  4. पवन कुमारFebruary 18, 2024 at 6:31 PM

    अति सुन्दर रचना है 🙏🙏🙏

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  5. Laajawaaab
    Gajjjjabbbbb
    Fantastic🤘🥰🤘

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  6. Laajawaaab
    Gajjjjabbbbb
    Fantastic🤘🥰🤘

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  7. ये दिल का मामला है
    बस ये दिल ही जाने
    कैसे भुला दे ये दिल
    वो प्यार के अफसाने
    रह-रहकर उनकी याद आती है
    मेरा वक्त बर्बाद कर जाती है
    जो कभी मेरी हो नहीं सकती
    दिल से क्यों ना उतर जाती है
    जो पहली दफा मिलता है
    उसी से प्यार का दिया जलता है
    उसकी याद में जिंदगी भर
    यह दिल तन्हाई में मचलता है
    उसका हर एक अहसास
    रहता है दिल के पास-पास
    बस यही अहसास है जो
    जिंदगी में होता है सबसे खास
    🙏नरेश"राजन"हिंदुस्तानी🙏

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  8. 🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
    🙏जय श्री राधे कृष्ण🚩🚩
    🚩🚩राधे राधे 🚩🚩
    👍👍👍🙏🙏🙏💐💐

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  9. दर्द दिल का होता ही ऐसा है जिस से निजात पाना नामुमकिन है... 😥💔😔😖🥹💕

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