प्रम्बनन शिव मंदिर || Prambanan Shiv Temple

प्रम्बनन शिव मंदिर (Prambanan Shiv Temple)

हिंदू देवी देवताओं के अनेकों मंदिर न सिर्फ भारत देश में अपितु दुनिया भर में मौजूद हैं। आज चर्चा करेंगे भगवान शिव को समर्पित इंडोनेशिया का सबसे बड़ा व एशिया के दूसरे सबसे बड़े मंदिर की, जिसका नाम है "प्रम्बनन शिव मंदिर (Prambanan Shiv Temple)।"

प्रम्बनन शिव मंदिर (Prambanan Shiv Temple)

प्रम्बनन शिव मंदिर (Prambanan Mandir) इंडोनेशिया देश के जावा शहर के पास योग्यकर्ता शहर से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक विशाल मंदिर है। इसे वहां की स्थानीय भाषा में रोरो जोंग्गरंग मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा कुछ लोग इसे प्रम्बानन मंदिर इंडोनेशिया या प्रमबनन मंदिर इंडोनेशिया भी कह देते हैं। यह छोटे-बड़े मंदिरों को मिलाकर कुल 240 मंदिरो का समूह (Prambanan Shiv Mandir In Hindi) है, जिनमे से अधिकांश नष्ट हो चुके हैं किंतु तीन मुख्य मंदिर जो कि त्रिदेव को समर्पित हैं, वे आज पुनरुद्धार के बाद जीवंत अवस्था में हैं।

प्रम्बनन शिव मंदिर || Prambanan Shiv Temple

यह शिव मंदिर चौकोर क्षेत्र में फैला हुआ सबसे ऊँचा व विशाल मंदिर है। मंदिर की ऊंचाई 47 मीटर व चौड़ाई 34 मीटर है। मंदिर धरातल पर ना होकर ऊंचाई पर स्थित हैं जिस पर चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ बनाई गयी हैं। सीढ़ियों से चढ़ने पर आप पाएंगे कि मंदिर को चारों ओर से एक मजबूत दीवार से घेरा गया हैं। मंदिर का मुख पूर्व दिशा की ओर हैं अर्थात इसमें पूर्वी दिशा से प्रवेश किया जा सकता है। यह मंदिर हिन्दू देवता भगवान शिव को समर्पित है। वर्तमान समय में यह इंडोनेशिया में सबसे बड़ा हिंदू मंदिर स्थल और दक्षिण पूर्व एशिया में दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है, इसकी कलाकृति, वास्तुकला और इतिहास को देखते हुये इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। 

प्रम्बनन शिव मंदिर || Prambanan Shiv Temple

प्रम्बानन शिव मंदिर का इतिहास

सबसे पहले इंडोनेशिया में सनातन धर्म को मानने वाले लोग रहते थे लेकिन सम्राट अशोक के शासन काल में बौद्ध धर्म तेजी से फैला। उन्होंने भारत के उत्तर व दक्षिण में बौद्ध धर्म का जमकर प्रचार करवाया। फलस्वरूप इंडोनेशिया में भी बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या बढ़ती चली गयी।

प्रम्बनन शिव मंदिर || Prambanan Shiv Temple

इंडोनेशिया में लगभग एक सदी तक बौद्ध धर्म को मानने वाले राजाओं का राज रहा जिनमे शैलेन्द्र राजवंश प्रमुख था। इसके बाद वहां फिर से हिंदू धर्म का राज आया व संजय राजवंश के राजा रकाई पिकाटन राजा बने। उन्होंने वहां हिंदू धर्म की पुनः स्थापना के उद्देश्य से इस विशाल मंदिर का निर्माण करवाया जो मुख्यतया भगवान शिव को समर्पित था।

इस मंदिर का निर्माण 850 ईसवीं में शुरू हुआ था जो राजा पिकाटन के नेतृत्व में 856 ईस्वी में पूरा हो गया था। इसके बाद संजय राजवंश के अन्य राजाओं ने इस मंदिर को विस्तार दिया जिनमे राजा लोकपाला व बलितुंग महाशंभू प्रमुख थे।

प्रम्बनन शिव मंदिर || Prambanan Shiv Temple

इस मंदिर का शुरूआती नाम शिवगृह था अर्थात भगवान शिव का घर। मंदिर के पास ओपक नदी बहती थी, जिसकी दिशा को मंदिर निर्माण के लिए मोड़ दिया गया था ताकि मंदिर को और बड़ा स्थान मिल सके। इसके साथ ही बाद के राजाओं द्वारा इसे और विस्तार दिया गया व मुख्य मंदिर के चारो ओर अन्य छोटे मंदिर क्रमानुसार बनाए गए हैं। प्रम्बानन मंदिर परिसर में कुल 240 मंदिर हैं। 

मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी है विराजमान

प्रम्बानन मंदिर परिसर में मुख्य रूप से तीन मंदिर हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव को समर्पित है। सभी भगवानों की मूर्तियों के मुख पूर्व दिशा की ओर है और हर मुख्य मंदिर के सामने संबंधित भगवानों के वाहनों को समर्पित मूर्तियां विराजमान है। भगवान ब्रह्मा के सामने हंस, भगवान विष्णु के लिए गरूड़ और भगवान शिव के लिए नन्दी का मंदिर बना हुआ है। इनके अलावा परिसर में और भी कई मंदिर बने हुए हैं।

महादेव के साथ देवी दुर्गा

प्रम्बानन मंदिर में महादेव के साथ देवी दुर्गा की मूर्ति विराजमान है। देवी की स्थापना के संबंध में एक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार जावा में प्रबु बका नाम का एक दैत्य राजा था। उसकी रोरो जोंग्गरंग नाम की एक बहुत ही सुंदर बेटी थी। बांडुंग बोन्दोवोसो नाम का एक व्यक्ति रोरो जोंग्गरंग से शादी करना चाहता था, लेकिन रोरो जोंग्गरंग उससे शादी नहीं करना चाहती थी। इसलिए उसने बांडुंग बोन्दोवोसो के सामने एक अनूठी शर्त रखी।

प्रम्बनन शिव मंदिर || Prambanan Shiv Temple

शर्त यह थी कि बांडुंग बोन्दोवोसो को एक ही रात में एक हजार मूर्तियां बनानी होगी। यदि वह सफल हो जाता है तो रोरो जोंग्गरंग उससे शादी करेगी। शर्त को पूरा करने के लिए बांडुंग बोन्दोवोसो ने एक ही रात में 999 मूर्तियां बना दी और वह आखिरी मूर्ति बनाने जा रहा था। तभी रोरो जोंग्गरंग ने पूरे शहर के चावल के खेतों में आग लगवा कर दिन के समान उजाला कर दिया। जिससे वह दिन के उजाले का धोखा खाकर बांडुंग बोन्दोवोसो आखरी मूर्ति नहीं बना पाया और शर्त हार गया।

जब बांडुंग बोन्दोवोसो को हकीकत का पता चला तो वह बहुत गुस्सा हो गया और उसने रोरो जोंग्गरंग को आखिरी मूर्ति बन जाने का श्राप दे दिया। कहा जाता है कि प्रम्बानन मंदिर में रोरो जोंग्गरंग की उसी मूर्ति को देवी दुर्गा मान कर पूजा की जाती है 

प्रम्बनन शिव मंदिर || Prambanan Shiv Temple                         

स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना

प्रम्बानन मंदिर स्थित शिव मंदिर विशाल और स्थापत्य का बेहतरीन नमूना है। यह मंदिर परिसर के मध्य में है। शिव मंदिर के अंदर चार कक्ष बने हुए हैं। जिनमें से एक में भगवान शिव की विशाल मूर्ति विराजमान है, दूसरे में भगवान शिव के शिष्य अगस्त्य की मूर्ति है, तीसरे में माता पार्वती की और चौथे में भगवान गणेश की मूर्ति स्थित है। शिव मंदिर के उत्तर में भगवान विष्णु का और दक्षिण में भगवान ब्रह्मा का मंदिर है।

प्रम्बनन शिव मंदिर || Prambanan Shiv Temple

मंदिर की दीवारों पर उत्कीर्ण है रामायण

मंदिर की दिवारों पर महाकाव्य रामायण की कथाओं को उत्कीर्ण किया गया है। पत्थरों पर तथा मंदिर की दीवारों पर रामायण के प्रसंगों को बेहद खूबसूरती के साथ उकेरा गया है। प्रम्बानन मंदिर की सुंदरता और बनावट देखने लायक है। ये चित्र रामायण की कहानी को दर्शाते हैं। मंदिर की दीवारों पर की हुई यह कलाकारी इस मंदिर को और भी सुंदर और आकर्षक बनाती है।     

प्रम्बनन शिव मंदिर || Prambanan Shiv Temple                  

प्रम्बानन शिव मंदिर से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • सन 1991 में यूनेस्को के द्वारा प्रम्बनन शिव मंदिर को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में सम्मिलित किया जा चुका है।
  • यह मंदिर कुल 39.8 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • हालाँकि प्रम्बनन मंदिर का संपूर्ण क्षेत्रफल बहुत बड़ा हैं जिसमें 4 मंदिर (एक हिंदू व तीन बौद्ध) आते हैं। एक तो प्रम्बनन शिव मंदिर ही हैं जो अपने आप में 240 मंदिरों का विशाल समूह हैं। इसके अलावा बुब्रुह, लुम्बुंग व सेवू बुद्ध मंदिर भी इसी क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
  • इंडोनेशिया की स्थानीय जावानीज भाषा में प्रम्बनन शिव मंदिर को रोरो जोग्गरंग के नाम से जाना जाता है।
  • शिव मंदिर के शीर्ष पर बनी आकृति पुन्काक मस्तक के रूप में जानी जाती हैं। यह हमारे आत्म अवलोकन व मोक्ष को दर्शाती है।
  • प्राचीन हिंदू मान्यता के अनुसार प्रम्बनन शिव मंदिर के डिजाईन को सुमेरु पर्वत की महामेरु चोटी की भांति तैयार किया गया था। महामेरु चोटी को देवताओं के घर के रूप में जाना जाता है।

11 comments:

  1. बहुत खूब, जय भोले

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  2. बेहतरीन जानकारी

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  3. Nice information

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  4. 🙏🙏💐💐सुप्रभात 🕉️
    🙏ॐ नमः शिवाय 🚩🚩🚩
    🙏जय जय भोलेनाथ 🚩🚩🚩
    🙏हर हर महादेव 🚩🚩🚩
    महादेव का आशीर्वाद आप और आपके परिवार पर हमेशा बना रहे 🙏
    👍👍👍बहुत महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐

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  5. Nice information

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