अरूणाचल प्रदेश का राज्य पशु मिथुन (Mithun) या गयाल (Gayal)/ बोस फ्रॉन्टालिस / State Animal of Arunachal Pradesh

मिथुन (Mithun) /गयाल (Gayal)

भारत जैव विविधता से समृद्ध देश है और विभिन्न पशु प्रजातियाँ भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पाई जाती हैं। हर राज्य का अपना राजकीय पशु होता है। राजकीय पशुओं के क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज चर्चा करते हैं अरुणाचल प्रदेश के राजकीय पशु की। मिथुन (गयाल) जानवर नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश का राज्य पशु है।

अरूणाचल प्रदेश का राज्य पशु मिथुन (Mithun) या गयाल (Gayal)/ बोस फ्रॉन्टालिस / State Animal of Arunachal Pradesh

मिथुन (Mithun) या गयाल (Gayal) पूर्वोत्तर भारत, बांग्लादेश, म्यानमार और चीन के युन्नान प्रान्त में पाले जाना वाला एक गौवंशीय पशु है। यह भारत के गौर का वंशज माना जाता है। भारत में यह अरुणाचल प्रदेश का राज्य पशु है और उस राज्य की निशि, अपातानी, गालो एवं आदि जनजातियों की सामाजिक-आर्थिक व सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। भारत का पूर्वोत्तर हिस्सा मिथुन को अपना गौरव मानता है।

मिथुन को 'हाइलैंड का जहाज' और 'पहाड़ों का मवेशी' भी कहा जाता है। वह भारतीय बाइसन के वंशज हैं। एक औसत वयस्क गायल का वजन लगभग 400-600 किलोग्राम होता है। एक औसत गायल की लंबाई 2.8 से 3.3 मिमी तक होती है। मिथुन की आयु 16 से 18 वर्ष तक होती है। मिथुन को हल्की और ठंडी जलवायु पसंद है और यह एक शाकाहारी जानवर है जो घास, झाड़ियों और जंगल की पत्तियों का भोजन करता है। पूर्वोत्तर भारत के किसान पहाड़ी, झाड़ीदार जंगलों में समुद्र तल से 1000 से 3000 मीटर की ऊंचाई पर मिथुन को पालते हैं।

अरूणाचल प्रदेश का राज्य पशु मिथुन (Mithun) या गयाल (Gayal)/ बोस फ्रॉन्टालिस / State Animal of Arunachal Pradesh

मिथुन पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में योगदान देते हैं। पूर्वोत्तर भारत के लोग मिथुन राशि का होना समृद्धि का प्रतीक मानते हैं। मिथुन को पालने का प्राथमिक उद्देश्य मांस, दूध और चमड़ा उत्पादन करना है। उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लोग इसे सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यों में एक आवश्यक उपहार मानते हैं। मांस के साथ-साथ लोग इसके दूध का उपयोग पनीर, रसगुल्ला, दही, घी और चीज बनाने में भी करते हैं। हालाँकि, उत्पादित दूध की मात्रा कम है। लोग मिथुन की त्वचा का उपयोग चमड़े के बैग, चमड़े के जूते और चमड़े के वस्त्र बनाने के लिए करते हैं।

कुछ लोगों द्वारा सामाजिक एवं सांस्कृतिक समारोहों में मिथुनों की अंधाधुंध हत्या की जाती है। तथाकथित पढ़े-लिखे लोग अपना आर्थिक और सामाजिक प्रभाव दिखाने के लिए इनकी हत्या कर देते हैं। अंधाधुंध हत्या के अलावा, मिथुन को कई बीमारियों के कारण मृत्यु और पीड़ा का सामना करना पड़ता है। मिथुन पूर्वोत्तर भारत में लोगों के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में इस जानवर की सुरक्षा और संरक्षण वहां के लोगों के लिए जरूरी है।

अरूणाचल प्रदेश का राज्य पशु मिथुन (Mithun) या गयाल (Gayal)/ बोस फ्रॉन्टालिस / State Animal of Arunachal Pradesh

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Mithun/Gayal

State Animal of Arunachal Pradesh

India is a country rich in biodiversity and various animal species are found across Indian states and union territories. Every state has its own state animal. Continuing the sequence of state animals, today let us discuss the state animal of Arunachal Pradesh. Mithun (Gayaal) animal is the state animal of Nagaland and Arunachal Pradesh.

अरूणाचल प्रदेश का राज्य पशु मिथुन (Mithun) या गयाल (Gayal)/ बोस फ्रॉन्टालिस / State Animal of Arunachal Pradesh

Mithun or Gayal is a cattle animal reared in North-East India, Bangladesh, Myanmar and Yunnan province of China. It is considered a descendant of the Gaur of India. In India, it is the state animal of Arunachal Pradesh and is an integral part of the socio-economic and cultural life of the Nishi, Apatani, Galo and other tribes of that state. The northeastern part of India considers Gemini as its pride.

Gemini is also called 'ship of the highlands' and 'cattle of the mountains'. He is a descendant of the Indian bison. An average adult cow weighs around 400-600 kg. An average cowl ranges from 2.8 to 3.3 mm in length. The age of Gemini is from 16 to 18 years. Mithun likes mild and cool climate and is a herbivorous animal that feeds on grass, bushes and forest leaves. Farmers in northeastern India raise mithun in hilly, scrubby forests at an altitude of 1000 to 3000 meters above sea level.

अरूणाचल प्रदेश का राज्य पशु मिथुन (Mithun) या गयाल (Gayal)/ बोस फ्रॉन्टालिस / State Animal of Arunachal Pradesh

Mithun contributes to the socio-economic and cultural development of North-East India. People of North-East India consider Gemini to be a symbol of prosperity. The primary objective of rearing Mithun is to produce meat, milk and leather. People of North-East region consider it an essential gift in social and cultural functions. Along with meat, people also use its milk to make paneer, rasgulla, curd, ghee and cheese. However, the amount of milk produced is less. People use the skin of mithun for making leather bags, leather shoes and leather garments.

अरूणाचल प्रदेश का राज्य पशु मिथुन (Mithun) या गयाल (Gayal)/ बोस फ्रॉन्टालिस / State Animal of Arunachal Pradesh

Mithuns are killed indiscriminately by some people in social and cultural functions. So-called educated people kill them to show their economic and social influence. Apart from indiscriminate killing, Mithun has to face death and suffering due to many diseases. Mithun plays an important role in the social, cultural and economic development of the people in North-East India. In such a situation, the safety and conservation of this animal is important for the people there.

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13 comments:

  1. बेहद रोचक जानकारियां

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  2. बेहद रोचक जानकारी सांझा की आपने👍😊

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  3. अच्छी जानकारी

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  4. 🙏🙏💐💐
    🕉️शुभरात्रि 🕉️
    🙏जय जय सियाराम 🚩🚩🚩
    👍👍👍बहुत रोचक जानकारी 🙏
    🙏आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐

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  5. ज्ञानवर्धक जानकारी🙏🙏🙏🙏🙏

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  6. Nice information

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