उषा पान किसे कहते हैं और इसके फायदे क्या हैं ?

उषा पान किसे कहते हैं और इसके फायदे क्या हैं ?

उषा पान का उल्लेख आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है। हमारे ऋषि मुनि और प्राचीन काल के लोग उषा पान करके स्वस्थ और सेहतमंद रहते थे। उषा अर्थात प्रात:काल उठने के बाद जल पीने को उषापान कहते हैं। आयुर्वेद में उषापान को अमृतपान कहा गया है। रोगों को दूर करने में यह सरल, नि:शुल्क व सर्वसुलभ उपचार है। उषा पान को जल चिकित्सा या वाटर थेरेपी भी कहते हैं।
उषा पान किसे कहते हैं और इसके फायदे क्या हैं ?
हम सभी जानते हैं कि हमें 8-10 लीटर पानी दिन भर में पीना चाहिए। जिसमें से 3-4 गिलास पानी हमें सुबह के समय खाली पेट जरूर पीना चाहिए। जिससे कि हमारी त्वचा स्वस्थ रहें, हमारा शरीर डिटॉक्स हो सके और हम रोगों से दूर रह सके आदि।

तो चलिए आज इसी विषय पर चर्चा करते हैं। आयुर्वेद में उषापान के बारे में क्या बताया है? उषापान क्या होता है? क्या उषापान सभी के लिए करना सही है?

“काकचण्डीश्वर_कल्पतन्त्र” 
नामक आयुर्वेदीय ग्रन्थ में रात के पहले प्रहर में पानी पीना विषतुल्य बताया गया हैं। मध्य रात्रि में पिया गया पानी “दूध” के सामान लाभप्रद बताया गया हैं। प्रात : काल (सूर्योदय से पहले) पिया गया जल माँ के दूध के समान लाभप्रद कहा गया हैं।

बर्तन का महत्व

उल्लेखनीय हैं के लोहे के बर्तन में रखा हुआ दूध और ताम्बे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने वाले को कभी यकृत (लिवर) और रक्त सम्बन्धी रोग नहीं होते और उसका रक्त हमेशा शुद्ध बना रहता हैं।
उषा पान किसे कहते हैं और इसके फायदे क्या हैं ?
उषा पान के लिए पिया जाने वाला जल ताम्बे के बर्तन में रात भर रखा जाए, तो उस से और भी स्वस्थ्य लाभ प्राप्त हो सकेंगे। जल से भरा ताम्बे का बर्तन सीधे भूमि के संपर्क में नहीं रखना चाहिए, अपितु इसको लकड़ी के टुकड़े पर रखना चाहिए। और पानी हमेशा नीचे उकडू (घुटनो के बल – उत्कर आसान) बैठ कर पीना चाहिए।

ऐसे लोग जिन्हें यूरिक एसिड बढे होने की शिकायत हैं, उनके लिए तो सुबह उषा पान करना किसी रामबाण औषिधि से कम नहीं।

क्या है उषा पान

प्रात : काल रात्रि के अंतिम प्रहर में पिया जाने वाल जल दूध इत्यादि को आयुर्वेद एवं भारतीय धर्म शास्त्रों में उषा पान शब्द से संबोधित किया गया हैं। सुप्रसिद्ध आयुर्वेदीय ग्रन्थ ‘योग रत्नाकर’ सूर्य उदय होने के निकट समय में जो मनुष्य आठ प्रसर (प्रसृत) मात्रा में जल पीता हैं, वह रोग और बुढ़ापे से मुक्त रहता है और दीर्धायु होता है। 

उषा पान कब करना चाहिए

प्रात : काल बिस्तर से उठ कर बिना मुख प्रक्षालन (कुल्ला इत्यादि) किये हुए ही पानी पीना चाहिए। कुल्ला करने के बाद पिए जाने वाले पानी से सम्पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता। ध्यान रहे पानी मल मूत्र त्याग के भी पहले पीना हैं।

उषा पान के फायदे :

सवेरे ताम्बे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से अर्श (बवासीर), शोथ(सोजिश), ग्रहणी, ज्वर, उदर(पेट के) रोग, जरा(बुढ़ापा), कोष्ठगत रोग, मेद रोग (मोटापा), मूत्राघात, रक्त पित (शरीर के किसी भी मार्ग में होने वाला रक्त स्त्राव), त्वचा के रोग, कान नाक गले सिर एवं नेत्र रोग, कमर दर्द तथा अन्यान्य वायु, पित्त, रक्त और कफ, मासिक धर्म, कैंसर, आंखों की बीमारी, डायरियां, पेशाब संबन्‍धित बीमारी, किड़नी, टीबी, गठिया, सिरदर्द आदि से सम्बंधित अनेक व्याधियां धीरे धीरे समाप्त हो जाती हैं।

उषा पान के 10 फायदे :

1. रात के चौथे प्रहर को उषा काल कहते हैं। रात के 3 बजे से सुबह के 6 बजे के बीच के समय को रात का अंतिम प्रहर भी कहते हैं। यह प्रहर शुद्ध रूप से सात्विक होता है। इस प्रहर में जल की गुणवत्ता बिल्कुल बदल जाती है। इसीलिए यह जल शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होगा है। 

2. शरीर की जैविक घड़ी के अनुसार इस समय में फेफड़े क्रियाशील रहते हैं। यदि हम इस काल में उठकर गुनगुना पानी पीकर थोड़ा खुली हवा में घूमते या प्राणायाम करते हैं तो फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है, क्योंकि इस दौरान उन्हें शुद्ध और ताजी वायु मिलती है। 

3. यदि ऐसा करते हैं तो जब प्रात: 5 से 7 बजे के बीच हमारी बड़ी आंत क्रियाशील रहती है तब इस बीच मल त्यागने में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है। जो व्यक्ति इस वक्त सोते रहते हैं और मल त्याग नहीं करते हैं उनकी आंतें मल में से त्याज्य द्रवांश का शोषण कर मल को सुखा देती हैं। इससे कब्ज तथा कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।

4. 'काकचण्डीश्वर कल्पतन्त्र' नामक आयुर्वेदीय ग्रन्थ के अनुसार रात के पहले प्रहर में पानी पीना विषतुल्य, मध्य रात्रि में पिया गया पानी दूध सामान और प्रात: काल (सूर्योदय से पहले उषा काल में) पिया गया जल मां के दूध के समान लाभप्रद कहा गया हैं।

5. आयुर्वेदीय ग्रन्थ 'योग रत्नाकर' के अनुसार जो मनुष्य सूर्य उदय होने के निकट समय में आठ प्रसर (प्रसृत) मात्रा में जल पीता हैं, वह रोग और बुढ़ापे से मुक्त होकर 100 वर्ष से भी अधिक जीवित रहता हैं।

6. उषापान करने से कब्ज, अत्यधिक एसिडिटी और डाइस्पेसिया जैसे रोगों को खत्म करने में लाभ मिलता है।

7. उषापान करने वाले की त्वचा भी साफ और सुंदर बनी रहती है।
8. प्रतिदिन उषापान करने से किडनी स्वस्थ बनी रहती है।

9. प्रतिदिन उषापान करने से आपको वजन कम करने में भी लाभ मिलता है। 

10. उषापान करने से पाचन तंत्र दुरुस्त होता है।

खास बातें : 

1. तांबे के लोटे में पीए पानी। रात में तांबे के बरतन में रखा पानी सुबह पीएं तो अधिक लाभ होता है।

2. वात, पित्त, कफ, हिचकी संबंधी कोई गंभीर रोग हो तो पानी ना पीएं।

3. अल्सर जैसे कोई रोग हो तो भी पानी ना पीएं।

एक कहावत है
प्रात : काल खाट से उठकर, पिए तुरतहि पानी।
उस घर वैद्द कबहुँ नहीं आये, बात घाघ ने जानी।।

उषा पान किन्हें नहीं करना चाहिए।

विविध कफ – वातज व्याधियों, हिचकी, आमाशय व्रण(अल्सर), अफारा(आध्मान), न्यूमोनिया इत्यादि से पीड़ित लोगो को उषापान नहीं करना चाहिए।

17 comments:

  1. Mai subah uth ke har din 2glass pani piti hu...
    Good information..

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  2. Durust Jankari

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  3. Very nice information...

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  4. अच्छी जानकारी

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  5. Very useful information for us..
    Thank you Ma'am.

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  6. सभी लोग लेते होंगे

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  7. पवन कुमारAugust 30, 2023 at 10:32 AM

    बहुत ही उपयोगी जानकारी प्रदान की हैं। सुबह का पानी पीना अनेक बीमारियों से बचाता है । तांबे के बर्तन में रखा हुआ बासी पानी पीना तो सही में अमृत के समान है🙏

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  8. बहुत ही उपयोगी जानकारी 🙏

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  9. Nice information

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  10. जल दान.. श्रेष्ठ दान 🙏🚩❣️

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  11. Yes. Drinking water from a copper jug in the morning is familiar.

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  12. बहुत उपयोगी जानकारी 👌👌

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